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Passenger vs Freight Trains : लोगों में ट्रेन के ड्राइवर को लेकर खूब दिलचस्पी होती है. यही कारण है कि वह अपने मन से ही उनकी सैलरी और सुविधाओं को लेकर चर्चा करते हैं. इनमें सबसे अहम मालगाड़ी और पैसेंजर के सैलरी …और पढ़ें
अमूमन किसी भी ट्रेन को चलाना आसान नहीं होता है. ऐसे में लोको पायलट या ट्रेन ड्राइवर किसी भी ट्रेन को चलाएं, इसका असर ट्रेन को देखकर नहीं बल्कि लोको पायलट के अनुभव और पद के आधार पर होता है. हालांकि कुछ मामलों में लोको पायलट को पैसेंजर ट्रेन से ज्यादा सैलरी मालगाड़ी ट्रेन को चलाने पर भी मिलती है. जबकि अधिकांश मामलों में पैसेंजर ट्रेन के लोको पायलट की सैलरी ज्यादा होती है. हालांकि सैलरी का आधार ट्रेन के प्रकार पर निर्भर नहीं करता है.
रिटायर्ड रेलवे अधिकारी एसके श्रीवास्तव ने बताया रेलवे में सहायक लोको पायलट की प्रारंभिक पोस्टिंग गुड्स होती है. इसलिए पैसेंजर ट्रेन पायलट से कम वेतन मिलता है. प्रारंभिक पोस्टिंग के दौरान सहायक लोको पायलट लोको पायलट की सहायता करते हैं और ट्रेन को सुरक्षित रूप से चलाने में मदद करते हैं. जिनका काम लोको पायलट की सहायता करना होता है. जिसमें सहायक लोको पायलट की भूमिका सिग्नल देखने, ट्रेन की गति, ब्रेक की जांच सहित अन्य की चीजों की होती हैं.
उन्होंने बताया रेलवे में सारी पोस्टिंग ग्रेड के आधार पर होती है. कोई भी लोको पायलट जब रेलवे में आता है, तब सहायक लोको पायलट की तरह कार्य करता है. पदोन्नति के बाद लोको पायलट बनने का अवसर मिलता है. इसके बाद पैसेंजर ट्रेन फिर मेल एक्सप्रेस में लोको पायलट को ट्रेन चलाने की भूमिका मिलती हैं. हालांकि ऐसा नहीं होता कि पैसेंजर ट्रेन या फिर मालगाड़ी ट्रेन चलाने वाले ड्राइवर की सैलरी ज्यादा या फिर कम होती हो , यह लोको पायलट के ग्रेड पर आधारित होता है और रेलवे के द्वारा दी गई जिम्मेदारी पर निर्भर करता है. अमूमन पैसेंजर ट्रेन और मालगाड़ी ट्रेन चलाने वाले ड्राइवरों की सैलरी कुछ मामलों को छोड़ने के बाद समकक्ष ही होती है.