इनसे क्या होगा, ये तो कुछ कर ही नहीं सकते…ताने सुन-सुन किया ऐसा काम, विदेशों तक हो गया नाम!

इनसे क्या होगा, ये तो कुछ कर ही नहीं सकते…ताने सुन-सुन किया ऐसा काम, विदेशों तक हो गया नाम!


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Aishwarya Atnere Success Story: बुरहानपुर की दिव्यांग बेटी ऐश्वर्या अटनेरे ने समाज के ताने सुनकर भी हार नहीं मानी. सोशल मीडिया के जरिए उनकी पेंटिंग्स की डिमांड देश-विदेश तक पहुंच गई है. पढ़ें उनकी प्रेरणादायक क…और पढ़ें

मोहन ढाकले/बुरहानपुर: समाज अक्सर दिव्यांगों को देखकर ताने देता है “इनसे क्या होगा, ये तो कुछ कर ही नहीं सकते”. लेकिन बुरहानपुर जिले के बम्बाडा गांव की बेटी ऐश्वर्या अटनेरे ने इन तानों को अपनी कमजोरी नहीं, बल्कि ताकत बना लिया. सोशल मीडिया का सहारा लेकर आज वह न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी अपनी कला का नाम रोशन कर रही है.

धागे से बनाई कलाम की तस्वीर
ऐश्वर्या का कहना है कि मैंने हाल ही में एक ऐसी पेंटिंग बनाई है जिसमें न ब्रश का इस्तेमाल किया, न ही रंगों का. सिर्फ एक धागे से मैंने भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की तस्वीर बनाई.यह पेंटिंग इतनी अद्भुत बनी कि जिसने भी देखी, दंग रह गया. ऐश्वर्या बताती हैं कि उन्हें भी अंदाजा नहीं था कि यह इतनी शानदार निकलेगी.

सोशल मीडिया से पहुंची कला विदेशों तक
सिर्फ चार सालों में ऐश्वर्या ने 1000 से ज्यादा पेंटिंग्स बनाई हैं. उनकी पेंटिंग्स की डिमांड अब विदेशों तक है. लोग उन्हें फोटो देकर पेंटिंग बनवाते हैं और वह कुछ ही घंटों में उसे तैयार कर देती हैं.

पढ़ाई और जुनून साथ-साथ
ऐश्वर्या दिव्यांग होने के बावजूद हिम्मत नहीं हारीं. वह फिलहाल बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स (BFA) की पढ़ाई कर रही हैं. पढ़ाई के साथ उनका पेंटिंग का जुनून लगातार नए मुकाम छू रहा है.

माता-पिता का सहारा

मां सरिता अटनेरे सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं.

पिता दीपक अटनेरे किसान हैं, जो खेती कर अपनी बेटी के सपनों को पूरा करने में जुटे हैं.

दोनों का कहना है कि समाज ने कई बार ताने दिए, लेकिन आज बेटी की कला ने न सिर्फ परिवार बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन कर दिया है.

संदेश सभी के लिए
ऐश्वर्या की कहानी यह साबित करती है कि समाज चाहे कितनी भी रुकावटें डाले, अगर हिम्मत और मेहनत हो तो सपनों को पंख मिल ही जाते हैं.

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