कभी नहीं हारे युद्ध! राजा संग्राम शाह को मिला था ‘भैरव बाबा’ का ऐसा वरदान, आज भी…

कभी नहीं हारे युद्ध! राजा संग्राम शाह को मिला था ‘भैरव बाबा’ का ऐसा वरदान, आज भी…


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Jabalpur Bhairav Temple History: जबलपुर का बाजनामठ मंदिर सिर्फ आस्था ही नहीं, इतिहास से भी जुड़ा है. माना जाता है कि गोंडवाना साम्राज्य के राजा संग्राम शाह को यहाँ भैरव बाबा से अजय रहने का वरदान मिला था. जानें …और पढ़ें

मध्य भारत के इतिहास में गोंडवाना साम्राज्य का नाम गौरव के साथ लिया जाता है. इस साम्राज्य के प्रसिद्ध शासक राजा संग्राम शाह (15वीं शताब्दी) न सिर्फ अपनी वीरता बल्कि अपनी अजेयता के लिए भी जाने जाते थे. कहा जाता है कि वे भैरव बाबा के परम भक्त थे और जबलपुर के बाजनामठ मंदिर से उन्हें ऐसा वरदान मिला था कि वे कभी युद्ध में हार नहीं सके.

बाजनामठ मंदिर का इतिहास

करीब 10 किलोमीटर दूर, जबलपुर शहर से बाहर स्थित यह मंदिर राजा संग्राम शाह की आस्था का प्रतीक है. उन्होंने ही इस भव्य मंदिर का निर्माण कराया था. माना जाता है कि यहाँ बटुक भैरव की पूजा करने से राजा को अजय रहने का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था.

इतिहासकार बताते हैं कि राजा जब भी युद्ध से पहले इस मंदिर में पूजा करते थे, उनकी परेशानियाँ दूर हो जाती थीं. इसी वजह से इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैल गई.

मंदिर की रहस्यमयी शक्ति

मंदिर के मठ के गुंबद पर लगे त्रिशूल से निकलने वाली प्राकृतिक ध्वनि शक्ति को जागृत करती है. गर्भगृह के अंदर कोई छेद नहीं होने के बावजूद वहाँ हमेशा गूंज और धुएँ का वातावरण बना रहता है. श्रद्धालु मानते हैं कि यहाँ 7 दिन तक एक ही समय पर पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है.

आस्था का केंद्र

यहाँ शनिवार और मंगलवार को सबसे अधिक भीड़ उमड़ती है.

श्रद्धालु तेल और पुष्प चढ़ाकर शनि व राहु की पीड़ा से मुक्ति की कामना करते हैं.

चारों तरफ हरियाली से घिरे इस मंदिर तक पुराने समय में राजा संग्राम शाह कच्चे रास्तों से घोड़े और सैनिकों के साथ पहुंचते थे.

कलचुरी काल से जुड़ा इतिहास

इतिहासकारों के अनुसार यह मंदिर सिर्फ गोंडवाना साम्राज्य ही नहीं बल्कि कलचुरी काल से भी जुड़ा हुआ है. आज भी यहाँ हजारों लोग आकर पूजा-अर्चना करते हैं और राजा संग्राम शाह की भक्ति की याद को ताजा करते हैं.

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कभी नहीं हारे युद्ध! राजा संग्राम शाह को मिला था ‘भैरव बाबा’ का ऐसा वरदान!



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