तान्या हेमंथ ने ‘सायपन इंटरनेशनल’ बैडमिंटन खिताब जीता: 4 साल में 4 अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार; मेडल लेने के लिए हिजाब पहनना पड़ा, जानें कंप्लीट प्रोफाइल

तान्या हेमंथ ने ‘सायपन इंटरनेशनल’ बैडमिंटन खिताब जीता:  4 साल में 4 अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार; मेडल लेने के लिए हिजाब पहनना पड़ा, जानें कंप्लीट प्रोफाइल


17 मिनट पहले

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इंडियन शटलर तान्या हेमंथ ने शनिवार, 16 अगस्त को सायपन इंटरनेशनल 2025 बैडमिंटन खिताब जीता। उन्होंने जापान की खिलाड़ी कनाए साकाई को 15-10, 15-8 से हराकर विमेन्स सिंगल्स खिताब अपने नाम किया।

तान्या का यह चौथा इंटरनेशनल और साल 2025 का पहला खिताब था। सायपन इंटरनेशनल 2025 का आयोजन नॉर्थर्न मरियाना आइलैंड में हुआ।

मां के सुपरविजन में बैडमिंटन खेलना शुरू की

मां को भी बैडमिंटन खेलने का शौक था। वो अपने दोस्तों के साथ बैडमिंटन खेलती थी। स्कूल के बाद वो अपने साथ तान्या को भी ले जाती थी। धीरे-धीरे तान्या को भी ये खेल अच्छा लगने लगा और फिर खेलने लगीं। कुछ सालों के खेलने के बाद उन्हें रियलाइज हुआ कि वो इस गेम में अच्छा कर सकती हैं।

इसके बाद तान्या ने बैडमिंटन को प्रोफेशनली खेलना शुरू किया। उन्होंने इसकी शुरुआत स्कूल से की और फिर स्टेट टूर्नामेंट खेला। तान्या ने अंडर 10, अंडर 13, अंडर 15 और अंडर 17 हर एक कैटेगरी में बैडमिंटन खेला और बेहतरीन तरीके से परफॉर्म किया।

तान्या ने अपनी शुरुआती ट्रेनिंग iSports Badminton Academy में ली, जहां उन्होंने 6.5 साल बिताए।

तान्या ने अपनी शुरुआती ट्रेनिंग iSports Badminton Academy में ली, जहां उन्होंने 6.5 साल बिताए।

एक इंटरव्यू में तान्या बताती हैं कि 10वीं के पहले तक तान्या को लगता था कि वो स्कूलिंग और स्पोर्ट्स दोनों में बेहतर कर सकती हैं। लेकिन उन्हें 10वीं में आने के बाद ये रियलाइज हुआ कि एक साथ दोनों काम नहीं हो सकता। अगर उन्हें प्रोफेशनली बैडमिंटन खेलना होगा तो डेली स्कूल जाना पॉसिबल नहीं है। ऐसे में उन्होंने 10वीं क्लास में आने के बाद प्रॉपर्ली स्कूल जाना बंद किया। फिर उसके बाद से वो महीने में 2-4 दिन ही स्कूल जाती रहीं। हालांकि एग्जाम्स में उनके अच्छे मार्क्स आए।

2020 में तान्या ने प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन एकेडमी (PPBA) में शामिल हुईं। यहां उनके कोच विमल कुमार सीनियर टूर्नामेंट्स पर फोकस करने टिप्स और ट्रेनिंग देते हैं। ये एकेडमी पूर्व दिग्गज बैडमिंटन प्लेयर प्रकाश पादुकोण चलाते हैं।

तान्या ने पेंडेमिक के बाद साल 2021-2022 से प्रॉपर्ली इंटरनेशनल टूर्नामेंट खेलना शुरू किया।

जूनियर लेवल पर 2 इंटरनेशनल खिताब और 1 रनर-अप

तान्या ने जूनियर स्तर पर 2 इंटरनेशनल खिताब जाती है। साथ ही, 1 टूर्नामेंट में रनर-अप भी रही हैं। 2014 में तमिलनाडु में अंडर-13 गर्ल्स डबल्स में खिताब, 2018 में दुबई जूनियर इंटरनेशनल में अंडर-19 सिंगल्स गोल्ड, इसी साल में साइप्रस जूनियर में सिल्वर जीती। साथ ही, 2019 में चंडीगढ़ में अदिति भट्ट के साथ मिलकर ऑल इंडिया U19 गर्ल्स डबल्स जीती।

साइन नेहवाल तान्या की आइडल हैं। वे साइन को सोर्स ऑफ इंस्पिरेशन बताती हैं।

साइन नेहवाल तान्या की आइडल हैं। वे साइन को सोर्स ऑफ इंस्पिरेशन बताती हैं।

4 इंटरनेशनल खिताब हासिल कर चुकी हैं

तान्या ने पिछले 4 सालों में 4 सीनियर इंटरनेशनल खिताब जीत चुकी हैं। उन्होंने अपना पहला सीनियर इंटरनेशनल खिताब साल 2022 में जीता था। तान्या ने इंडिया इंटरनेशनल 2022 में विमेन्स सिंगल्स खिताब अपने नाम किया था। फिर, ईरान फज्र इंटरनेशनल 2023 में विमेन्स सिंगल्स खिताब और बेंडिगो इंटरनेशनल 2024 में विमेन्स सिंगल्स खिताब।

इस बार तान्या ने सायपन इंटरनेशनल 2025 में विमेन्स सिंगल्स खिताब जीतकर पी.वी. सिंधु के बाद उभरती स्टार के रूप में अपनी दावेदारी ठोक दी है।

वो 2024 में अजरबैजान इंटरनेशनल के फाइनल में पहुंची थीं, लेकिन अपनी इंडियन प्लेयर मालविका बंसोड से हार गई थीं।

ईरान फज्र इंटरनेशनल 2023 में हुआ हिजाब विवाद

तान्या ने साल 2023 में 31वें ईरान फज्र इंटरनेशनल चैलेंज के विमंस सिंगल्स कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीता। हालांकि जब वो मेडल लेने के लिए स्टेज यानी पडियम पर चढ़ी तो उन्हें मजबूरन हिजाब पहनना पड़ा।

तान्या को ईरान फज्र इंटरनेशनल 2023 को जीतने के बाद मेडल लेने के लिए हिजाब पहनने के लिए मजबूर किया गया था।

तान्या को ईरान फज्र इंटरनेशनल 2023 को जीतने के बाद मेडल लेने के लिए हिजाब पहनने के लिए मजबूर किया गया था।

बताया गया कि ये टूर्नामेंट के आयोजकों की अजीब शर्तों में से एक थी। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक आयोजकों ने नियम बनाया था कि जो भी महिला खिलाड़ी पोडियम पर मेडल लेने जाएंगी उन्हें अपने सिर पर दुपट्टा या हिजाब रखना होगा। हालांकि, ये शर्त टूर्नामेंट के प्रोस्पेक्टस में नहीं थी। प्रोस्पेक्टस में वहीं नियम लिखे थे जो दुनिया भर के बैडमिंटन टूर्नामेंट में होते हैं।

इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हुई। बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन (BWF) ने इसे अनएक्सेप्टेबल यानी अस्वीकार्य बताया था।

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