न पर्दे पर, ना स्टेज पर, फिर भी बने किशोर कुमार की जिंदगी का अहम हिस्सा, जानें

न पर्दे पर, ना स्टेज पर, फिर भी बने किशोर कुमार की जिंदगी का अहम हिस्सा, जानें


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Kishore Kumar Sewadar Sitaram kaka story: जो कभी थे दर्जी… वही बन गए बॉलीवुड के महान गायक किशोर कुमार के सच्चे सेवादार… ये कहानी है खंडवा के 81 वर्षीय सीताराम काका की, जिनका जीवन किशोर दा की यादों में आज भी बसत…और पढ़ें

Khandwa News: खंडवा का नाम सुनते ही अगर सबसे पहले किसी का नाम ज़ुबान पर आता है, तो वो हैं स्वर्गीय गायक किशोर कुमार, लेकिन आज हम आपको उस शख्स की कहानी सुनाने जा रहे हैं जो इस महान गायक के सिर्फ प्रशंसक नहीं, बल्कि उनके सच्चे सेवादार रहे हैं. नाम है– सीताराम काका, उम्र – 81 वर्ष.
किशोर कुमार की तरह ही खंडवा में जन्मे सीताराम काका शुरू में दर्जी का काम करते थे. कहते हैं कि सन् 1986 में जब किशोर दा खंडवा आए, तब उनकी मुलाक़ात सीताराम से हुई थी.

शुरुआत में केवल कपड़े सिलने वाले एक दर्जी के रूप में काम शुरू किया, लेकिन जल्द ही यह रिश्ता बदल गया. सेवा और सच्चाई से भरे स्वभाव के कारण किशोर कुमार ने उन्हें अपने भरोसेमंद सेवक के रूप में स्वीकार किया. सीताराम काका बताते हैं- किशोर दा बेहद सरल इंसान थे. बड़े होकर भी अंदर से बिल्कुल बच्चे जैसे. वह जब भी खंडवा आते, सीधा मुझसे मिलते. खाने से लेकर कपड़े तक की सारी व्यवस्था मुझे सौंपते. उनकी पसंद-नापसंद का मुझे पूरा ज्ञान था.

काका ने उनकी यादों को संभाला
काका बताते हैं कि किशोर कुमार का खंडवा से प्रेम अटूट था. बॉलीवुड में सुपरस्टार बनने के बावजूद किशोर दा ने कभी अपने गांव और लोगों को नहीं भुलाया. जब भी समय मिलता, वे खंडवा आकर अपने पुराने दोस्तों और परिवार से मिलने ज़रूर आते. सीताराम काका ने न सिर्फ किशोर दा की सेवा की, बल्कि उनके खंडवा वाले घर की देखरेख भी अपने ज़िम्मे ली. किशोर कुमार के निधन के बाद, जब पूरा देश शोक में डूबा था, तब सीताराम काका जैसे लोग ही थे, जिन्होंने न सिर्फ उनकी यादों को संभाला, बल्कि उनके घर को जीवित रखा.

प्रशंसकों को करते हैं गाइड
आज भी सीताराम काका किशोर दा के खंडवा स्थित घर की देखभाल करते हैं. हर कोना, हर दीवार उन्हें किशोर कुमार की कोई न कोई याद दिलाती है. जब भी कोई प्रशंसक उस घर में आता है, तो सीताराम काका खुद उन्हें गाइड करते हैं. बताते हैं कि यहीं किशोर दा बैठकर गुनगुनाते थे, यहीं वो घंटों तक खामोश बैठे रहते थे. उनकी आंखों में आज भी वही चमक है जब वो किशोर दा की बात करते हैं. भावुक होकर कहते हैं- हमने तो सिर्फ सेवा की थी, लेकिन किशोर दा ने हमें परिवार बना लिया था. काका की यही सच्ची सेवा आज उन्हें खास बनाती है।वो ना कभी स्क्रीन पर आए, ना स्टेज पर, लेकिन उन्होंने एक ऐसे कलाकार की परछाई बनकर जिंदगी गुज़ारी,जो आज भी करोड़ों दिलों की धड़कन हैं. आज जब किशोर कुमार को याद किया जाता है, तो खंडवा में एक और नाम साथ जुड़ता है सेवादार सीताराम काका.

Dallu Slathia

Dallu Slathia is a seasoned digital journalist with over 6 years of experience, currently leading editorial efforts across Madhya Pradesh and Chhattisgarh. She specializes in crafting compelling stories across …और पढ़ें

Dallu Slathia is a seasoned digital journalist with over 6 years of experience, currently leading editorial efforts across Madhya Pradesh and Chhattisgarh. She specializes in crafting compelling stories across … और पढ़ें

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