बाप से बाप! रेलवे ने बना डाला कैसा…ब्रिज, जो खत्‍म होने का नाम नहीं लेता!

बाप से बाप! रेलवे ने बना डाला कैसा…ब्रिज, जो खत्‍म होने का नाम नहीं लेता!


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Longest Bridge In Railway- भारतीय रेलवे ने हाल ही में बड़ी उपलब्धि हासिल की है, देश का सबसे लंबा ग्रेड सेपरेटर ब्रिज बनाकर. इसकी लंबाई इतनी है कि आपको ‘हवा’ में रहेंगे. आइए जानते हैं यह कहां बना है?

बाप से बाप! रेलवे ने बना डाला कैसा...ब्रिज, जो खत्‍म होने का नाम नहीं लेता!पीएम गति शक्ति के तहत हुआ है निर्माण.
नई दिल्‍ली. भारतीय रेलवे आजकल लगातार अनूठे कारनामें कर रहा है. पहले विश्‍व का सबसे ऊंचा आर्च ब्रिज, लंबी टनल, पंबन ब्रिज और अब सबसे लंबा ब्रिज बनाकर कमाल ही कर दिया है. इससे सफर के दौरान आप लंबे समय तक हवा में रहेंगे. यानी ट्रेन में हवाई यात्रा का आनंद ले सकेंगे. यह ब्रिज तैयार हो चुका है और सीआरएस की मंजूरी भी मिल चुकी है. जल्‍द ही इसका उद्घाटन होगा.

रेलवे ने यह ग्रेड सेपरेटर ब्रिज कटनी जंक्‍शन में बनाया है. जिससे पूरे शहर को बाई पास कर ट्रेनें चल सकेंगी. यह पूरा सेपरेटर एलेवेटेडर है यानी पिलर पर ही पूरा 15.85 किमी. लंबा ट्रैक बनाया गया है. 2020 में इसका काम शुरू हुआ था और 2025 में तैयार हो चुका है.

प्रोजेक्‍ट हेड धर्मेन्‍द्र पांडेय ने बताया कि इसमें अप और डाउन दो एलेवेटेड ग्रेड सेपरेटर बनाए गए हैं, जिसमें अप तैयार हो चुका है और डाउन पर (17.52 किमी.लंबा) पर काम चल रहा है. यह ब्रिज पीएम गति शक्ति के तहत बनाया गया है और इसकी लागत 580 करोड़ रुपये है.

ये आती थी परेशानी

न्‍यू कटनी यार्ड देश का सबसे बड़ा यार्ड है. यहां पर ट्रेनें आती थीं, जिससे पैसेंजर और गुड्स ट्रेनों का ट्रैफिक प्रभावित होता था. इस वजह से पंच्‍यू‍अलिटी भी प्रभावित होती थी और ट्रेनों की संख्‍या भी बढ़ा पाना मुश्किल हो रहा था.

ये होगा फायदा

रेलवे के अनुसार पूरा प्रोजेक्‍ट तैयार होने के बाद सिंगरौली और बिलासपुर की ओर से आने वाली ट्रेनों को न्‍यू कटनी जंक्‍शन और कटनी मुड़वारा जंक्‍शन पर रुकना नहीं पड़ेगा. कोटा और बीना की ओर जाने वाली ट्रेनों को फायदा होगा. इस वजह से पंच्‍यूअलिटी में सुधार आएगा. साथ ही इससे रेलवे के दो जोनों पश्चिम मध्‍य रेलवे और दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की ऑपरेंशस की क्षमता बढ़ेगी. जरूरत पड़ने पर ट्रेनों की संख्‍या और बढ़ाई जा सकती है.इस तरह यात्रियों का सफर सुविधाजनक होगा. साथ ही यार्ड में ट्रैफिक कम होगा. इसके अलावा जो ट्रेनें थ्रू जाने वाली होंगी, कटनी नहीं जाना होगा, वे नॉन स्‍टाफ जा सकेंगी.

यहां पर कोल लोडिंग वाली काफी संख्‍या में गाडि़यां होती है. इस सेपरेटर के बनने के बाद पॉवर प्‍लांट में कोयला समय पर और जल्‍दी पहुंचाया जा सकेगा. अगर आपको याद होगा तो पूर्व में पॉवर प्‍लांट में कोयले की कमी की खबर आई थी. अब इस तरह की समस्‍या भी नहीं होगी.

ग्रेड सेपरेटर की खासियत

ग्रेड सेपरेटर के निर्माण में 15000 टन स्‍टील और 1.50 लाख घन मीटर कंक्रीट का इस्‍तेमाल किया गया है. साथ ही 1.90 लाख घन मीटर मिट्टी पर काम हुआ है. चार आरओबी का निर्माण किया गया, जिसमें सबसे लंबा स्‍पैन 91.40 मीटर का है.

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