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सफेद गुड़हल की खेती: विंध्य क्षेत्र में सफेद गुड़हल की खेती धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है. धार्मिक, औषधीय और सौंदर्य संबंधी लाभों के कारण इसकी मांग तेजी से बढ़ी है.
विंध्य में कम, लेकिन मांग में ज्यादा
लोकल 18 से बातचीत में जैव विविधता विशेषज्ञ चंदन सिंह ने बताया कि उनके बगीचे में गुड़हल की करीब 25 प्रजातियां हैं, जिनमें सफेद, पीला, लाल और गुलाबी रंग आदि के गुड़हल शामिल हैं. इनमें सफेद गुड़हल सबसे खास है, क्योंकि विंध्य क्षेत्र में इसकी उपलब्धता बेहद कम है. उन्होंने कहा की इसकी कलम उत्तराखंड से मंगाई थी और अब धीरे-धीरे कई किसान इसे अपनाने लगे हैं.
भारतीय परंपरा में सफेद गुड़हल का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है. शिव पूजा और दुर्गा पूजा जैसे धार्मिक अनुष्ठानों में इसे शुभ माना जाता है. वहीं औषधीय गुणों की वजह से यह आयुर्वेद में भी खूब उपयोगी है. पुराने समय में बघेलखंड के लोग बालों को काला और मजबूत करने, त्वचा संबंधी बीमारियों को दूर करने और घाव भरने के लिए सफेद गुड़हल का काढ़ा या पेस्ट बनाकर इस्तेमाल करते थे. वहीं आज भी कई ग्रामीण इलाकों में ये परंपरा देखने को मिल जाती है.
खेती और बाजार की संभावना
बरसात के मौसम में सफेद गुड़हल की कलम लगाई जाती है और महज 6 महीने में यह पौधा तैयार हो जाता है. आसान देखभाल और तेज़ी से बढ़ने की क्षमता के कारण यह किसानों के लिए कम समय में बेहतर आय का जरिया बन सकता है. वहीं इसकी मांग दवा उद्योग, पूजा-पाठ और घरेलू उपयोग में बनी रहने से बाजार में इसका दाम स्थिर रहता है. सफेद गुड़हल खेती से किसानों को दोहरा फायदा मिलता है. एक ओर खेत और बगीचों की खूबसूरती बढ़ती है तो दूसरी ओर आयुर्वेद और मार्केट डिमांड से अतिरिक्त कमाई भी सुनिश्चित होती है.
Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked a…और पढ़ें
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