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Rare Energy Elements: देश की ऊर्जा राजधानी सिंगरौली में दुर्लभ मृदा तत्वों (Rare Earth Elements) के विशाल भंडार मिले हैं, जिससे ग्रीन एनर्जी, इलेक्ट्रॉनिक्स और ई-व्हीकल्स के क्षेत्र में भारत को नई ऊर्जा मिलेगी. इसकी पुष्टि संसद में मंत्री किशन रेड्डी ने की है.

ऊर्जा की राजधानी कहे जाने वाले सिंगरौली में देश को पहली बार दुर्लभ मृदा तत्वों ( rare earth Elements) का विशाल भंडार मिला है. कोयला क्षेत्रों में मिले इन भंडारों से भारत ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाएगा.

कोयला व खान मंत्री किशन रेड्डी ने संसद में बताया कि सिंगरौली में कोयला खदानों के आसपास दुर्लभ मृदा तत्वों के विशाल भंडार मिले हैं. ये भंडार भारत के औद्योगिक भविष्य के लिए गेम चेंजर साबित हो सकते हैं.

Rare Earth Elements मिलने से भारत ग्रीन एनर्जी सेक्टर में तेज़ी से आगे बढ़ेगा. यह वही क्षेत्र है जिसमें हम दुनिया से पीछे चल रहे हैं. अब सिंगरौली की धरती से देश को नई ताकत मिलेगी.

सिंगरौली में मिले दुर्लभ तत्व इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में उपयोग होंगे. भारत अब विदेशी सप्लाई पर कम और अपने संसाधनों पर अधिक निर्भर हो सकेगा, जिससे लागत और आयात दोनों घटेंगे.

कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) की रिसर्च टीम लंबे समय से कोयला खदानों के अपशिष्ट में दुर्लभ मृदा तत्वों की तलाश में थी. अब उनकी मेहनत रंग लाई है, जिससे भारत को बड़ा आर्थिक और रणनीतिक लाभ होगा.

अब तक रेयर अर्थ के लिए भारत चीन पर निर्भर था. लेकिन, सिंगरौली में मिले ये खजाने भारत को उस निर्भरता से मुक्ति दिलाएंगे. यह ऐसे समय में बड़ी खबर है जब चीन-भारत ट्रेड तनाव चरम पर है.

रेयर अर्थ एलिमेंट्स मिलने के बाद भारत का औद्योगिक विकास रॉकेट जैसी रफ्तार पकड़ सकता है. आत्मनिर्भर भारत अभियान को इससे जबरदस्त समर्थन मिलेगा, खासकर टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में.

कोयला मंत्री के अनुसार सिंगरौली के कोयला, मिट्टी, शेल और बलुआ पत्थर की गहन रिसर्च से पता चला कि इन क्षेत्रों में आशा के अनुरूप रेयर अर्थ एलिमेंट्स छिपे हैं. यह भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है.