15 अगस्त की शाम 5 बजे। कर्नाटक की मैंगलोर पुलिस के 3 जवान एक ऑटो से सीधी जिले के कमर्जी थाना क्षेत्र के चिलरी गांव पहुंचते हैं। एक छोटी सी दुकान के सामने ऑटो खड़ी कराते हैं। ऑटो से उतरते ही वो दुकान चला रहे, बिना शर्ट पहने बैठे भोले कोरी को पकड़ लेते
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अचानक पुलिस को देख भोले डर जाता है और किसी तरह उनसे छूट कर रोड से थोड़ा नीचे बने अपने घर की तरफ भागता है। जवान उसका पीछा करते हैं। जवानों की परिवार से झड़प होती है। करीब 3 घंटे बाद एक बंद कमरे में भोले कोरी की फांसी के फंदे पर लटकी हुई डेडबॉडी मिलती है।
इसी फंदे पर भोले कोरी का शव लटक रहा था।
कर्नाटक पुलिस 2 हजार किमी का सफर कर भोले कोरी को पकड़ने सीधी क्यों पहुंची? यहां आने के बाद कर्नाटक पुलिस ने सबसे बड़ी गलती क्या की? भोले कोरी के परिजन उसकी हत्या का आरोप कर्नाटक पुलिस पर क्यों और किन तथ्यों के आधार पर लगा रहे हैं? एमपी पुलिस इस मामले की जांच में कहां तक पहुंची? उसका क्या कहना है? कर्नाटक पुलिस का आरोपों पर क्या कहना है?
इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़िए ये रिपोर्ट…
सबसे पहले परिजनों के आरोप…
पुलिस ने हमें भी मारा, कपड़े फाड़े, एक नहीं सुनी सीधी जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर चिलरी गांव में एकदम शांत माहौल है। घरों के बाहर इक्के-दुक्के लोग ही दिखे। भोले कोरी के घर का पता पूछने पर उन्होंने बताया कि प्राथमिक स्कूल से 10 कदम आगे दाहिनी तरफ उनका घर है। घर के बाहर एक बुजुर्ग बैठे हुए हैं। पूछने पर उन्होंने कहा यही मेरे बेटे भोले का घर है। थोड़ा अंदर जाने पर दिखाई दिया कुछ बच्चियां और दो महिलाएं अनाज की सफाई कर रही हैं। पूछने पर एक बच्ची ने कहा पापा की तेरहवीं होगी, सब उसी के लिए अनाज की सफाई कर रहे हैं।
इतने में भोले कोरी की 4 बेटियां, पत्नी और माता-पिता हमारे पास आ गए। उन्होंने एक-एक कर पूरा घटनाक्रम बताना शुरू कर दिया। भोले कोरी की तीसरी बेटी 18 साल की शिवानी ने कहा, हम 4 बहन और 1 भाई हैं। भाई मानसिक तौर पर थोड़ा कमजोर है। दो बहनों की शादी हो गई है। साथ ही हमारी मां और दादा-दादी भी हमारे साथ रहते हैं।

भोले कोरी के परिवार के लोग इंसाफ की मांग कर रहे हैं।
इसके बाद शिवानी पूरा घटनाक्रम बताने लगी। हमने देखा वो थोड़ा लंगड़ा रही थी। पूछने पर उसने बताया कर्नाटक पुलिस ने मारपीट की है। तभी पैर में भी चोट आ गई।
मैं और मेरे पिता घर के सामने रोड पर ही अंडा और किराना की छोटी दुकान चलाते थे। उस दिन शाम करीब 5 बजे दुकान के सामने ऑटो आकर रुकी। पिता दुकान में अकेले थे। ऑटो में 3 लोग बैठे हुए थे। वो उतरे और उन्होंने पापा को पकड़ लिया। हमने घर से उनके चीखने की आवाजें सुनी। उस वक्त घर में मैं, मेरी मां, छोटी बहन और दादा-दादी थे। हम भाग कर पापा के पास पहुंचे। उनसे पापा को छोड़ने के लिए कहा और पूछा कि आप कौन हैं?
वो सिविल ड्रेस में थे। उन्होंने कहा हम कर्नाटक पुलिस से हैं, इसे अपने साथ ले जाने आए हैं। हमने उनसे आईडी कार्ड दिखाने को कहा? और वारंट भी मांगा। उन्होंने हमें कुछ भी नहीं दिखाया। इसके बाद हमने पापा को छुड़ाने की कोशिश की। पापा उनसे छूट कर घर की तरफ भागे। कर्नाटक पुलिस के जवानों ने उनका पीछा किया। हम भी पीछे थे। हमने उन्हें रोकने की कोशिश की। उनसे कोऑपरेट करने के किए कहा। आराम से बैठकर बात करने के किए कहा, लेकिन वो नहीं माने।
वो कह रहे थे तुझे ले जाएंगे, जिंदा या मुर्दा शिवानी ने आगे कहा कि पिता को पकड़ने के बाद उन्होंने हमें भी पीटना और नोचना शुरू कर दिया। शिवानी ने हमें अपने शरीर पर निशान भी दिखाए। उसने कहा, उन्होंने मेरे कपड़े भी फाड़ दिए। मेरे बाल खींचे, जो अभी भी वैसे ही हैं। मुझे तब से ही बुखार है।
इसके बाद दो लोग पापा के पीछे आए। उनका सिर दीवार पर मारा। उनके साथ काफी देर तक पिटाई की। वो कह रहे थे कि हम तुझे यहां से लेकर जाएंगे- जिंदा या मुर्दा। वो पापा को घसीटते हुए अंदर की तरफ आंगन तक ले आए। यहां भी उनके साथ मारपीट की।

कर्नाटक पुलिस ने आईडी और वारंट नहीं दिखाया इसके बाद हम उन लोगों से लगातार मिन्नतें करते रहे। बैठ कर बात करने को कहते रहे। वो मानने के लिए तैयार नहीं थे। कुछ देर बाद वो लोग घर से बाहर आए। हमने उनसे उनकी आईडी और वारंट मांगा। उन्होंने नहीं दिखाया। वो हमसे बहस कर रहे थे। इसी बीच उन तीन में से एक व्यक्ति गायब हो गया। वो काफी देर से घर के बाहर हमारे साथ नहीं था। कुछ देर बाद हमने ध्यान दिया। हम उसे ढूंढते हुए घर के अंदर जाने लगे तब वो व्यक्ति दूसरे दरवाजे से घर के बाहर निकलते हुए दिखाई दिया। हमने उससे पूछा कि वो घर के अंदर क्यों गया था। उसने कोई जवाब नहीं दिया।
इसके बाद जिस कमरे में पिता जी थे, वहां एकदम शांति हो गई थी। करीब 2 घंटे तक दरवाजे नहीं खुले। हमने कमर्जी थाने की पुलिस को इसकी जानकारी दी। पुलिस के आते ही वो तीनों लोग सहम गए थे और वहां से भागने लगे थे। पुलिस ने उन्हें रोका। साथ ही दरवाजा तोड़ा। देखा तो मेरे स्टॉल से बने फंदे पर पापा लटके हुए थे। उनकी मौत हो चुकी थी।
कर्नाटक के उसी पुलिस वाले ने अटारी के रस्ते अंदर आकर पापा की हत्या कर उन्हें फंदे पर लटकाया था। उनके शरीर पर बहुत सी चोटों के भी निशान थे। जब वो फंदे पर लटके हुए थे, तब उनके पैर जमीन को छू रहे थे। उनकी हाइट अच्छी थी। वो खुद फांसी लगा ही नहीं सकते थे।

भोले की मौत के बाद परिवार सदमे में है।
लोकल पुलिस आई तो कर्नाटक पुलिस वाले भागने लगे छोटी बेटी प्रियांशु कोरी ने बताया कि कर्नाटक पुलिस के लोगों ने हमारे पिता की हत्या की है। उनकी ड्यूटी थी कि वो पिता जी को जिंदा पकड़ कर ले जाएं। मेरे पापा ने पूरे कपड़े नहीं पहने थे। वो उनसे बार-बार कपड़े पहनने देने की इजाजत भी मांग रहे थे, लेकिन उन्होंने एक नहीं सुनी।
उन तीन लोगों में से एक व्यक्ति चश्मा लगाए हुए था। जब हमारे पापा ने खुद को कमरे में बंद कर लिया था। हम तीनों को बाहर ले गए थे। उसके बाद दो लोगों ने हमें घर के बाहर बातों में उलझाया। चश्मा लगाए हुए तीसरा शख्स अचानक गायब हो गया। काफी देर बाद हमारा ध्यान उस पर गया। हम घर के अंदर भागे तो वो वहां से निकल रहा था।
पापा जिस कमरे में बंद थे, वहां जाने के लिए ऊपर से एक रास्ता था। वहीं भगवान की तस्वीर भी टंगी हुई थी। हमने देखा तो वो तस्वीर गिरी हुई थी। इसी शख्स ने अंदर जाकर पिता जी की हत्या की और उन्हें फंदे से लटकाया।इसके बाद से ही आवाज लगाने पर भी पिता जी कोई जवाब नहीं दे रहे थे।
हमने लोकल पुलिस को कॉल किया। जब पुलिस आई तो ये तीन लोग भागने की कोशिश करने लगे। इसी भागने के चक्कर में उनमें से एक व्यक्ति की चप्पल भी यहीं छूट गई। प्रियांशु ने हमें वो चप्पल भी दिखाई। अगर इन्होंने कुछ नहीं किया तो पुलिस के आने के बाद वो डरे हुए क्यों थे? वहां से भागने की कोशिश क्यों कर रहे थे। हालांकि लोकल पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया था।
अब हम दो बहनों, भाई, मां और दादा-दादी की जिम्मेदारी कौन उठाएगा?

भोले की मौत के बाद उसके पिता के बुढ़ापे का सहारा छिन गया।
पत्नी ने कहा- पति 19 साल कर्नाटक में रहे, 4 साल यहां रहे भोले कोरी की पत्नी प्रेमवती ने बताया कि मेरे पति 25 साल कर्नाटक में रहे। शुरुआत में वो वहां मजदूरी करने गए थे। इसके बाद वो ठेकेदारी करने लगे थे। ठीक ठाक पैसा कमाने लगे थे। मैं और मेरे बच्चे भी वहीं रहते थे। वो अच्छा पैसा कमाने लगे थे, इसी जलन में आकर वहां एक अन्य महिला ने इनको ब्लैकमेल करना शुरू किया। पैसे और शादी के लिए धमकी देती थी।
इन्होंने उसकी बात मानने से मना कर दिया तो उसने झूठे केस में फंसा दिया। मेरे पति को जेल भिजवा दिया। वो 90 दिन जेल में रहे। इसके बाद दो साल मैंगलोर में ही रहे। लगातार पेशी पर भी जाते थे, लेकिन वो लड़की पेशी करने नहीं आती थी। इसके बाद घर में हमारी सास बीमार हो गई थीं। उनका पैर टूट गया था, तो हम सभी मैंगलोर से अपने गांव वापस आ गए थे। पति यहीं थोड़ी-बहुत खेती करने और दुकान चलाने लगे थे। पिछले 4 साल से यहीं रह रहे थे।

भोले की मौत के बाद परिजनों और गांव के लोगों ने अस्पताल के बाहर आक्रोश जताया।
अब सीधी पुलिस का जवाब-
कर्नाटक पुलिस आई, लेकिन लोकल पुलिस को नहीं बताया सीधी के एसडीओपी आशुतोष द्विवेदी ने बताया कि 15 अगस्त की शाम की बात है। कर्नाटक राज्य के मैंगलोर महिला थाने का फोर्स सीधी के चिलरी गांव आया हुआ था। उनके पास 49/19 में धारा 376, 506 आईपीसी एवं धारा 6 पॉक्सो एक्ट के तहत माननीय न्यायालय द्वारा जारी एक वारंट था। उन्हें वारंट तामील करने के लिए भेजा गया था। उसे लेकर ये आरोपी भोले कोरी के घर पहुंचे। वारंट तामिली के दौरान भोले कोरी घर के अंदर गए और उन्होंने सुसाइड कर लिया।
इसके बाद हमें सूचना मिली। पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची। भोले कोरी को जिला अस्पताल सीधी लाया गया। जिला अस्पताल में डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है। परिजनों से पूछताछ की जा रही है। जांच में जो भी सामने आएगा, उस हिसाब से वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
सुसाइड हुआ है या हत्या? ये तो डॉक्टर की पीएम रिपोर्ट के बाद ही साफ होगा। फिलहाल हत्या के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं। फिर भी जांच में जो तथ्य सामने आएंगे उस लिहाज से कार्रवाई की जाएगी।
जब कर्नाटक पुलिस यहां आई थी तब इन्होंने हमें इसकी कोई जानकारी नहीं दी थी। ये सीधे आरोपी के घर पहुंच गए थे। जब ये घटना घट गई तब पुलिस को सूचना मिली। घटना के बाद हमने कर्नाटक पुलिस से पूछताछ की थी। उनकी आइडेंटिटी कार्ड भी चेक किए। बाद में उन्होंने हमें वारंट भी दिखाया। पूछताछ में उन्होंने अपना पक्ष भी रखा। हम सख्ती से जांच कर रहे हैं।

पुलिस थाना कमर्जी को भोले की मौत के बाद सूचना मिली।
कर्नाटक पुलिस का रवैया…
जवान ने कहा, एमपी पुलिस से ही पूछिए
इसके बाद हमने कर्नाटक से एमपी आए एक जवान शिवू जी से फोन कॉल पर बात की। उनका पक्ष जानना चाहा। मामले के बारे में पूछने पर वो थोड़े घबराए। तमाम जानकारी ली। इसके बाद उन्होंने मामले से संबंधित कोई भी जवाब नहीं दिया। कहा कि सभी सवाल एमपी पुलिस के जांच अधिकारी से पूछिए।