ट्राइबल टीचर वेलफेयर एसोसिएशन ने जताई नाराजगी: रीवा में कलेक्टर को दिया ज्ञापन; छात्रावासों में गुणवत्ताविहीन काम करने का आरोप – Rewa News

ट्राइबल टीचर वेलफेयर एसोसिएशन ने जताई नाराजगी:  रीवा में कलेक्टर को दिया ज्ञापन; छात्रावासों में गुणवत्ताविहीन काम करने का आरोप – Rewa News


रीवा में ट्राइबल टीचर वेलफेयर एसोसिएशन ने मंगलवार को संभाग आयुक्त के नाम कलेक्टर को ज्ञापन दिया। एसोसिएशन ने ट्राइबल विभाग और जनपद पंचायत की एजेंसियों पर छात्रावासों की मरम्मत और निर्माण कार्यों में लापरवाही और शासकीय राशि के दुरुपयोग के आरोप लगाए है

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मरम्मत कार्यों में लापरवाही, गुणवत्ताविहीन निर्माण का आरोप

संगठन पदाधिकारियों का कहना है कि छात्रावासों में जरूरी मरम्मती कार्य नहीं किए जाते, जबकि संबंधित एजेंसियां कार्य की राशि आहरित कर लेती हैं। इस वजह से छात्रावासों की हालत दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि निर्माण कार्यों में गुणवत्ता का अभाव है, जिससे छात्रावासों में रह रहे विद्यार्थियों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

कनिष्ठ शिक्षकों को अधीक्षक बनाए जाने पर आपत्ति

ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि कई जगहों पर नियमों के विपरीत प्राथमिक स्कूलों के कनिष्ठ शिक्षकों को ट्राइबल छात्रावासों का अधीक्षक बनाया जा रहा है। यह नियुक्तियां नियमित प्रक्रिया के खिलाफ हैं और इससे छात्रावासों की व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं।

छात्रावास अधीक्षक हरीश तिवारी और रेनू शुक्ला ने बताया कि मऊगंज जिले में एक प्राथमिक शिक्षक को ट्राइबल हॉस्टल का प्रभारी बना दिया गया है, जो नियमों का उल्लंघन है।

हॉस्टल अधीक्षकों को दी जाए निगरानी की जिम्मेदारी

संगठन ने मांग की कि छात्रावासों में चल रहे निर्माण और मरम्मती कार्यों की निगरानी की जिम्मेदारी हॉस्टल अधीक्षकों को सौंपी जाए, ताकि वे कार्य की गुणवत्ता परख सकें और किसी भी गड़बड़ी की स्थिति में रिपोर्ट कर सकें। इसके लिए उन्हें अधिकार दिए जाने की जरूरत है।

यह हैं संगठन की प्रमुख मांगे

ज्ञापन के माध्यम से एसोसिएशन ने आठ सूत्रीय मांगें रखी हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  • छात्रावासों में गुणवत्तापूर्ण निर्माण सुनिश्चित किया जाए
  • नियम विरुद्ध प्रभारी नियुक्तियों को रोका जाए
  • छात्रावास अधीक्षकों को निगरानी अधिकार दिए जाएं
  • शासकीय धन के दुरुपयोग की जांच कराई जाए

संगठन ने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही उनकी मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई, तो वे उग्र आंदोलन करने पर विवश होंगे।



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