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अब मुर्गा मुर्गी पालने वाले और किसानों के लिए नर्मदा निधि प्रजाति और भी बेहतर विकल्प बनकर सामने आई है. यह नस्ल कड़कनाथ और जबलपुर कलर मुर्गी की क्रासिंग ब्रीड है. इसमें 25% कड़कनाथ और 75% जबलपुर कलर मुर्गी के लक…और पढ़ें
बता दें कि, खरगोन, झाबुआ, अलीराजपुर, धार सहित आसपास के आदिवासी जिलों में ही कड़कनाथ पाया जाता है. मांस खाने के शौकीनों में इसकी डिमांड पूरे मध्य प्रदेश में रहती है. जिससे पालकों को बेहतर मुनाफा होता है. लेकिन अब मुर्गा मुर्गी पालने वाले और किसानों के लिए नर्मदा निधि प्रजाति और भी बेहतर विकल्प बनकर सामने आई है. यह नस्ल कड़कनाथ और जबलपुर कलर मुर्गी की क्रासिंग ब्रीड है. इसमें 25% कड़कनाथ और 75% जबलपुर कलर मुर्गी के लक्षण पाए जाते हैं. यही कारण है कि इसकी ग्रोथ रेट और अंडा उत्पादन क्षमता अन्य नस्लों से कहीं अधिक है.
शासकीय पशु चिकित्सालय खरगोन में पदस्थ डॉ. सुभाष खन्ना बताते हैं कि, नर्मदा निधि की सबसे बड़ी खासियत है कि यह तेजी से वजन पकड़ती है. सिर्फ ढाई महीने में ही इनके मुर्गे 800 से 900 ग्राम तक हो जाते है. करीब साढ़े चार महीने में मुर्गे डेढ़ किलो और मुर्गियां सवा किलो तक वजन प्राप्त कर लेती हैं. यही नहीं, अंडा उत्पादन की क्षमता भी देसी मुर्गियों की तुलना में अधिक है. सालाना करीब 1500 से 180 अंडे देती है.
कड़कनाथ से ज्यादा पोषक तत्व
इस नस्ल का मांस न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि इसमें पोषण भी भरपूर होता है. फैट कम होता है और प्रोटीन, आयरन जैसे पोषक तत्व ज्यादा पाए जाते हैं. यह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है और कुपोषण की समस्या को दूर करने में मददगार हो सकता है. इसके अंडे भी पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जिससे बाजार में इनकी डिमांड बनी रहती है.
बरसती बीमारियों से सुरक्षा
डॉ. खन्ना बताते है कि, मुर्गा-मुर्गी पालन में अक्सर बरसात के मौसम में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. लेकिन नर्मदा निधि प्रजाति में रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा पाई जाती है. इस वजह से इसमें बीमारी का असर कम देखने को मिलता है. इससे किसानों का खर्च भी घटता है और उत्पादन पर कोई खास असर नहीं पड़ता. किसान अगर इस नस्ल का पालन करें तो उन्हें कड़कनाथ की तुलना में जल्दी और ज्यादा फायदा मिलेगा.