खामोश लेकिन करामाती…सुन-बोल नहीं सकते फिर भी मेडल्स और टैलेंट से सबको किया हैरान!

खामोश लेकिन करामाती…सुन-बोल नहीं सकते फिर भी मेडल्स और टैलेंट से सबको किया हैरान!


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Balaghat News: बालाघाट का स्वराजदीप सुन और बोल नहीं सकता, लेकिन क्रिकेट, फुटबॉल, डांस और पढ़ाई में मेडल पर मेडल जीतकर सबको हैरान कर रहा है. गरीबी के बावजूद उसका हुनर मिसाल है. पढ़िए उसकी संघर्ष और प्रेरणा से भर…और पढ़ें

बालाघाट जिला मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर दूर नैतरा नाम का गांव है. वहां पर स्वराजदीप नाम का लड़का रहता है. वह क्रिकेट, फुटबॉल, शॉट पुट, शतरंज, सहित कई खेलों में माहिर है. उसने स्कूल ही नहीं जिला स्तरीय खेलों में कई मेडल्स जीते हैं. वही डांस भी करता है. वह फ्री स्टाइल ही नहीं कथक भी कर लेता है. इतना ही नहीं वह पढ़ाई में भी काफी आगे है. उसने बारवहीं में 80.17 प्रतिशत अंक हासिल किए. आपको लग रहा होगा इसमें नया क्या है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि वह बचपन से ही बोल और सुन नहीं सकता है. बावजूद इसके उसमें कई ऐसी प्रतिभाएं है, जो उसे औरों से अलग बनाती है.

लोकल 18 रिपोर्टर ने उससे इशारों में बातचीत की कोशिश की लेकिन थोड़ी देर बाद समस्या बनने लगी. कॉपी पेन पर लिखकर बातचीत की. रिपोर्टर ने जीवन में क्या करना चाहते हो, तो उसने लिखा नगर पालिका में सफाई कर्मी…ये सुनकर रिपोर्टर चौक पड़ा. ये सोचना लगा कि इतना प्रतिभाशाली लड़का और सफाई कर्मी का काम, तब उसने बताया कि उसकी दो बहने भी उसी की तरह सुन और बोल नहीं सकती लेकिन उनमें लगभग उतनी ही प्रतिभाएं. वह उनके लिए कुछ करना चाहता है. और उन्हें जीवन में आगे बढ़ाने के लिए ये मेहनत करना चाहता है.

स्वराजदीप का एक भाई और दो बहने है. उससे बड़ी रक्षा और छोटी बहन रानी भी बोल और सुन नहीं सकती लेकिन सबसे छोटे भाई को ऐसी कोई समस्या नहीं है. वहीं, उसके पिता सरदार सिंह मई 2021 में चल बसे. ऐसे में चारों बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी स्वराजदीप की मां राजवंती धुर्वे पर आ गई है.

मां ने मजदूरी कर बच्चों को भेजा स्कूल
बच्चों में प्रतिभा को देख उनके माता-पिता ने उन्हें पढ़ाने के लिए गोंदिया एक मूक बधिर स्कूल में पढ़ाया. वहां पर बच्चों को इशारों की भाषा में पढ़ाया जाता है. वहां पर न सिर्फ पढ़ाया जाता है बल्कि बच्चों को खेल सहित तमाम प्रतिभाओं को निखारा जाता है. लेकिन उनके पिता की मौत के बाद मां राजवंती धुर्वे पर ही सारी जिम्मेदारी आ गई.

गरीबी के चलते स्वराजदीप का स्कूल छूटा
कक्षा 12वीं में 80 प्रतिशत अंक हासिल करने वाले स्वराजदीप आगे महाराष्ट्र के नागपुर कॉलेज से बीए की पढ़ाई करना चाहता है. लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने से उसे पढ़ाई छोड़नी पड़ रही है. वहीं, बड़ी बहन रक्षा की भी पढ़ाई छूट चुकी है. लेकिन स्वराजदीप अपनी छोटी बहन रानी और भाई जयदीप को पढ़ाने के लिए मेहनत मजदूरी करना चाहता है. रानी फिलहाल नागपुर के स्कूल से 11वीं की पढ़ाई कर रही है. हाल ही में उसने बालाघाट नगरपालिका में सफाईकर्मी की नौकरी के लिए आवेदन किया है.

मात्र 600 रुपए पेंशन से चल रही जिंदगी
स्वराजदीप और उसकी दोनों बहनों को सामाजिक सुरक्षा विकलांगता पेंशन योजना के तहत 600 रुपए की पेंशन मिल रही है.  इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना के तहत राजवंती धुर्वे को भी महज 600 रुपए की मासिक पेंशन मिल रही है. परिवार का कहना है कि इससे स्कूल-कॉलेज की फीस भरना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में उनकी प्रतिभाओं के साथ अन्याय हो रहा है.

सरकार से मदद मांगी लेकिन मिली नाकामी
स्वराजदीप ने परिवार की मदद की गुहार शासन-प्रशासन से लगाई. इसके लिए स्वराजदीप कलेक्टर कार्यालय भी गए लेकिन वहाँ से भी कोई मदद नहीं मिल सकी. पढ़ाई, खेल और नृत्य में आगे होने के बावजूद गरीबी ने उसे पीछे धकेल दिया.

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80% नंबर, दर्जनों मेडल, डांस का हुनर… मगर गरीबी ने थमा दिया झाड़ू!



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