Last Updated:
एशिया कप के लिए चुनी गई टीम में सिर्फ श्रेयस अय्यर के रिजेक्शन पर चर्चा नहीं हो रही है दरअसल फैंस के साथ साथ क्रिकेट जानकार भी सवाल उठा रहे है कि हर्षित राणा का टीम में सेलेक्शन क्यों हुआ और इससे पहले इंग्लैंड …और पढ़ें

एशिया कप के लिए जो टीम चुनी गई उसमें एक गेंदबाज ऐसा है जो हर टीम में नजर आता है इस गेंदबाज का नाम है हर्षित राणा. मजे की बात ये है कि हर्षित रेड बॉल की टीम में भी नजर आते है , कोई गेंदबाज चोटिल हो जाए तो उनको बैकअप गेंदबाज के तौर पर इंग्लाड बुला लिया जाता है और अब एशिया कप के लिए जो तीन तेज गेंदबाज टीम में है उनमें से एक है हर्षित राणा.
भारत में क्रिकेटर बनने का क्रेज ऐसा है कि गली-गली में गेंदबाज़ मिल जाएंगे जो बल्लेबाज़ का सिर तोड़ने का दम रखते हैं. लेकिन टीम इंडिया की जर्सी पाना? अरे भई, वो सिर्फ विकेट लेने से नहीं मिलता—कभी-कभी “सही किताब” में नाम लिखवाना भी ज़रूरी होता है और इस वक्त सबसे “हॉट किताब” है गौतम गंभीर की गुडबुक्स. एशिया कप 2025 की टीम में तीन तेज़ गेंदबाज़ चुने गए और गेस कीजिए उनमें से एक कौन है? जी हां, हर्षित राणा. अब यह बात अलग है कि लोग कह रहे हैं—“भाई, इनका नाम हर फॉर्मेट में क्यों आता है? कहीं भी चोट, बैकअप में राणा. कई क्रिकेट पंडितों का मानना है कि ये सिर्फ गेंदबाज़ी की कला नहीं, बल्कि गंभीर के दिल की गली में बने खास रास्ते की वजह से है.
2024 में IPL का सीज़न हर्षित राणा के लिए सीधा जैकपॉट साबित हुआ। KKR के लिए खेले और 13 मैचों में 19 विकेट झटककर धमाका कर दिया. टीम के दूसरे सबसे बड़े विकेट-टेकर बने, फिर क्या था, गंभीर का भरोसा + अच्छा प्रदर्शन = टीम इंडिया का फास्ट-ट्रैक पास. ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में जब उन्होंने डेब्यू किया तो चार विकेट झटककर सीधा सुर्खियों में आ गए. भारत ने 295 रनों से मैच जीता और हर हेडलाइन में उनका नाम चमका. इंग्लैंड दौरे पर भले ही प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिली, मगर टीम मैनेजमेंट ने उन्हें बैकअप के तौर पर रखा. इंडिया A और कुछ काउंटी मैचों में भी खेलते रहे. मतलब ये कि – टीम मैनेजमेंट कह रहा है, “तुम पास में ही रहो, काम आ सकते हो।”
क्रिकेट फैंस के बीच अब यही सवाल घूम रहा है कि क्या हर्षित राणा को हर फॉर्मेट में जगह मिल रही है क्योंकि वो गंभीर के फेवरेट हैं?या फिर उनका असली टैलेंट ही उन्हें आगे बढ़ा रहा है? सच तो यह है कि IPL की परफ़ॉर्मेंस और पर्थ टेस्ट का चार विकेट वाला शो उन्हें “सिर्फ फेवरेट” की कैटेगरी से बाहर निकाल देता है.क्रिकेट में टिकना सिर्फ गुडबुक्स से नहीं होता. लंबे समय तक वही खिलाड़ी टिकते हैं जो लगातार प्रदर्शन करें। हर्षित राणा की कहानी आज एकदम मसालेदार है—एक तरफ गंभीर की छत्रछाया, दूसरी तरफ खुद की परफ़ॉर्मेंस.अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में लोग उन्हें “गंभीर का फेवरेट” कहेंगे या “टीम इंडिया का भरोसेमंद तेज़ गेंदबाज़.