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Datta Dham News: यहां भगवान दत्तात्रेय की छह भुजाओं वाली एकमुखी प्रतिमा विराजित है, जिसे शिव दत्तक के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि दत्त भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों के अवतार हैं और उनके दर्शन से सभ…और पढ़ें
सद्गुरु नारायण महाराज ने धर्म जागरण और समाज को भक्ति से जोड़ने के उद्देश्य से भारत भूमि पर चार दत्तधाम स्थापित किए. इनमें सबसे पहला धाम जलकोटी में बना. यहां भगवान दत्तात्रेय की छह भुजाओं वाली एकमुखी प्रतिमा विराजित है, जिसे शिव दत्तक के नाम से जाना जाता है. बाकी तीन धाम कन्याकुमारी, कोलकाता और उत्तराखंड में बने हैं. मान्यता है कि दत्त भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों के अवतार हैं और उनके दर्शन से सभी कष्ट दूर होते हैं.
20 अगस्त को शाम से जलकोटी धाम परिसर भक्ति रंग में रंग गया. इस दिन हवन, आरती और भंडारे का आयोजन की शुरुआत हुई. देर रात तक श्रद्धालु मंदिर परिसर में भगवान दत्तात्रेय के भजनों और आरती में शामिल रहेंगे. इसके साथ ही मंदिर प्रांगण में पालकी प्रदक्षिणा और शयन आरती भी निकाली जाएगी. पूरा वातावरण “दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा” महामंत्र से गूंजेगा.
दूसरे दिन होंगे भव्य आयोजन
21 अगस्त को महोत्सव और भी खास होगा. इस दिन विशेष दत्त पादुका पूजन किया जाएगा. इंदौर की मंडली भक्तिमय भजन प्रस्तुत करेगी. दोपहर बाद आरती और भंडारे का आयोजन होगा. इसके बाद शाम 4 बजे स्वामी जी की उपस्थिति में ग्राम जलकोटी से होकर भव्य पालकी भ्रमण निकलेगा. इस शोभायात्रा में हजारों श्रद्धालु शामिल होंगे और पूरा गांव आस्था और भक्ति में डूब जाएगा.
प्रदेश की धार्मिक ओर आस्था का केंद्र
धाम से जुड़े मिलिंद यादव एवं अन्य सेवकों के अनुसार सद्गुरु नारायण महाराज ने यहां श्रद्धा, विश्वास और भाव की त्रिवेणी स्थापित की थी. मान्यता है कि जो भी इस त्रिवेणी की छांव में रहता है, उसका जीवन कल्याणमय हो जाता है. यहां हर माह प्रदोष तिथि पर हवन और पूजन किया जाता है. 17 साल पहले स्थापित यह दत्तधाम आज निमाड़ क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की धार्मिक पहचान और आस्था का केंद्र बन चुका है.