Last Updated:
पशुओं को सालभर हरा चारा उपलब्ध नहीं हो पाता है. जिसको वजह से अक्सर किसानों को भूसा या सूखा चारा देना पड़ता है, जिससे दूध उत्पादन और पशुओं का स्वास्थ्य दोनों प्रभावित होता है. लेकिन अब किसान नेपियर घास की खेती कर इस समस्या को दूर कर सकते है. यह घास पशुओं को पोषक तत्वों से भरपूर हरा चारा उपलब्ध कराती है और साथ ही किसानों की आमदनी भी बढ़ाती है.

नेपियर घास की खेती करने वाले खरगोन के किसान वीरेंद्र पाटीदार बताते है कि, नेपियर घास उष्णकटिबंधीय जलवायु में आसानी से उगाई जा सकती है और इसकी पैदावार भी अन्य चारे वाली फसलों की तुलना में कहीं ज्यादा होती है.

नेपियर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि एक बार लगाने के बाद यह घास 3 से 4 साल तक लगातार हरा चारा देती रहती है. किसानों को बार-बार बुवाई करने की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे समय और मेहनत दोनों की बचत होती है.

खेती की बात करें तो नेपियर घास की रोपाई कटिंग या जड़ वाले टुकड़ों से की जाती है. एक हेक्टेयर खेत के लिए लगभग 40 से 50 हजार पौधों की जरूरत पड़ती है. रोपाई का सही समय बरसात की शुरुआत से लेकर अगस्त-सितंबर तक होता है. यह फसल अच्छी जलनिकासी वाली भूमि में बेहतरीन परिणाम देती है.

नेपियर घास की लागत भी अन्य चारा फसलों की तुलना में कम आती है. एक हेक्टेयर खेत तैयार करने और पौधे लगाने में करीब 15 से 20 हजार रुपये तक का खर्च आता है. इसके बाद सिर्फ हल्की सिंचाई और खाद डालने की जरूरत होती है. रखरखाव कम होने के कारण यह किसानों के लिए बेहद किफायती साबित होती है.

उत्पादन की बात करें तो एक हेक्टेयर में सालभर में 300 से 400 क्विंटल तक हरी घास की पैदावार आसानी से मिल सकती है. यह फसल हर 45-50 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. लगातार कटाई के बावजूद पौधे दोबारा तेजी से बढ़ जाते हैं, जिससे सालभर पशुओं के लिए हरा चारा उपलब्ध रहता है.

नेपियर घास में लगभग 8-12% प्रोटीन, पर्याप्त कैल्शियम, फाइबर और खनिज तत्व पाए जाते हैं. यही कारण है कि इसे खाने वाले पशु स्वस्थ रहते हैं और उनके दूध की मात्रा के साथ-साथ गुणवत्ता भी बेहतर होती है. यह घास पचने में भी आसान होती है, जिससे पशुओं का वजन और ताकत बनी रहती है.

किसानों को इससे आमदनी के नए रास्ते भी खुलते हैं. जिन किसानों के पास अधिक पशु नहीं हैं, वे अतिरिक्त हरी घास बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. कई जगहों पर किसान इसे 2 से 3 रुपए प्रति किलो तक बेचते हैं. इससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी आसानी से हो जाती है.

बता दें कि, नेपियर घास दुग्ध उत्पादन बढ़ाने का सबसे सरल और टिकाऊ उपाय है. जिन किसानों ने इसे अपनाया है, उनके पशुओं का दूध उत्पादन 20 से 25% तक बढ़ गया है. साथ ही पशु रोगों से भी बचे रहते हैं. यह फसल छोटे और बड़े दोनों स्तर के किसानों के लिए बेहद लाभकारी है.