चिकन-मटन भी फीका पड़ जाए इन आदिवासी सब्जियों के आगे, इतनी दुर्लभ कि साल में बस दो महीने दिखती हैं

चिकन-मटन भी फीका पड़ जाए इन आदिवासी सब्जियों के आगे, इतनी दुर्लभ कि साल में बस दो महीने दिखती हैं


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Tribal Healthy Lifestyle: बारिश के मौसम में जंगलों में कई ऐसी औषधियां उपजती हैं जिसे हमलोग तो नहीं खा पाते लेकिन आदिवासी इनका बड़े चाव से लुत्फ उठाते हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में…

बालाघाट के आदिवासियों के पांच मानसून सुपर फूड, स्वाद जोरदार, तबीयत असरदार

मध्य प्रदेश का बालाघाट जिला आदिवासी बहुल जिला है. यहां पर उनका रहन सहन और खाना भी काफी अलग है. ऐसे में बारिश के दिनों में वनों में कई तरह की भाजियां होती है, जो आदिवासी समुदाय का अहम भोजन होती है. ये सिर्फ खान पान ही नहीं सेहत के लिहाज से भी काफी अहम है. ऐसे में आज हम आपको पांच भाजियों के बारे में बताएंगे.

बांस के पौधे की कोमल नई कोपलें होती है, जो बारिश के मौसम में बांस के जंगलों में प्राकृतिक रूप से उगती हैं. ये कोपलें दिखने में शंक्वाकार और हल्के हरे रंग की होती हैं. यानी की ये बांसवाटियों से मिलती है.

बांस के पौधे की कोमल नई कोपलें होती है, जो बारिश के मौसम में बांस के जंगलों में प्राकृतिक रूप से उगती हैं. ये कोपलें दिखने में शंक्वाकार और हल्के हरे रंग की होती हैं. यानी की ये बांसवाटियों से मिलती है.

बास्ता थोड़े कड़वे होते है लेकिन सही ढंग से पकाने पर वह स्वादिष्ट हो जाते हैं. इसके लिए इसे उबालना होता है. जीरा, लहसुन, हरी मिर्च, हल्दी, और खड़े मसालों के साथ भूना जाता है. बाद में नींबू रस डालकर इसे पकाया जाता है, जिससे यह स्वादिष्ट और पौष्टिक हो जाता है.

बास्ता थोड़े कड़वे होते हैं लेकिन सही ढंग से पकाने पर वह स्वादिष्ट हो जाते हैं. इसके लिए इसे उबालना होता है. जीरा, लहसुन, हरी मिर्च, हल्दी, और खड़े मसालों के साथ भूना जाता है. बाद में नींबू रस डालकर इसे पकाया जाता है, जिससे यह स्वादिष्ट और पौष्टिक हो जाता है.

बारिश के दिनों में जब बादल गरजते हैं, तब बांस के पेड़ के नीचे छत्तानुमा एक चीज निकलती है. इसे जब पकाया गया होगा, तो इसका स्वाद चिकन-मटन से भी शानदार रहा होगा. इसी के साथ भारतीय खाने में एक डिश ने अपनी जगह बनाई, जिसे अब हम बांस पिहरी कहने लगे. अब यह बालाघाट के बाजारों में बिकने लगी है. खास बात यह है कि यह बारिश के मौसम में सिर्फ दो महीने (जुलाई और अगस्त) में ही मिलती है.

बारिश के दिनों में जब बादल गरजते हैं, तब बांस के पेड़ के नीचे छत्तानुमा एक चीज निकलती है. इसे जब पकाया गया होगा, तो इसका स्वाद चिकन-मटन से भी शानदार रहा होगा. इसी के साथ भारतीय खाने में एक डिश ने अपनी जगह बनाई, जिसे अब हम बांस पिहरी कहने लगे. अब यह बालाघाट के बाजारों में बिकने लगी है. खास बात यह है कि यह बारिश के मौसम में सिर्फ दो महीने (जुलाई और अगस्त) में ही मिलती है.

चिरोटा की भाजी को लोग आम तौर पर सब्जी के रूप में इस्तेमाल करते हैं. बारिश के दिनों में सब्जियों की खेती होना मुश्किल होता है. ऐसे में सब्जियों की कीमत आसमान छूती है. ऐसे में इस तरह की भाजी लोग बड़े चाव से खाते हैं. चिरौटे के पौधे से हरी और मुलायम पत्तियों को तोड़ा जाता है. ऐसे में लोग इसे लाल भाजी और चौलाई भाजी की तरह आलू के साथ बनाते हैं. इसका स्वाद कई गुना बढ़ जाता है. ये चिरोटा का पौधा आसानी से जंगल के किनारे पर पाए जाते हैं.

चिरोटा की भाजी को लोग आम तौर पर सब्जी के रूप में इस्तेमाल करते हैं. बारिश के दिनों में सब्जियों की खेती होना मुश्किल होता है. ऐसे में सब्जियों की कीमत आसमान छूती है. ऐसे में इस तरह की भाजी लोग बड़े चाव से खाते हैं. चिरौटे के पौधे से हरी और मुलायम पत्तियों को तोड़ा जाता है. ऐसे में लोग इसे लाल भाजी और चौलाई भाजी की तरह आलू के साथ बनाते हैं. इसका स्वाद कई गुना बढ़ जाता है. ये चिरोटा का पौधा आसानी से जंगल के किनारे पर पाए जाते हैं.

बालाघाट में आदिवासी अंचलों में अंबाड़ी की भाजी खाई जाती है. फूल, पत्तियां, तना, सब कुछ उपयोगी है. पत्तों को भाजी के रूप में खाया जाता है. भाजी में कई प्रकार के विटामिन, आयरन और मिनरल्स पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक फायदेमंद होते हैं. इन पोषक तत्वों के कारण लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं. अंबाड़ी की भाजी शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है और पाचन तंत्र को भी मजबूत बनाती है.

बालाघाट में आदिवासी अंचलों में अंबाड़ी की भाजी खाई जाती है. फूल, पत्तियां, तना, सब कुछ उपयोगी है. पत्तों को भाजी के रूप में खाया जाता है. भाजी में कई प्रकार के विटामिन, आयरन और मिनरल्स पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक फायदेमंद होते हैं. इन पोषक तत्वों के कारण लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं. अंबाड़ी की भाजी शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है और पाचन तंत्र को भी मजबूत बनाती है.

बथुआ की भाजी एक पौष्टिक और स्वादिष्ट व्यंजन है, जो बथुआ के पत्तों से बनाया जाता है. बथुआ एक मौसमी सब्जी है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होती है.

बथुआ की भाजी एक पौष्टिक और स्वादिष्ट व्यंजन है, जो बथुआ के पत्तों से बनाया जाता है. बथुआ एक मौसमी सब्जी है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होती है.

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साल में सिर्फ 2 महीने! आदिवासियों की इन सब्जियों का स्वाद चिकन-मटन से भी बेहतर



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