मध्य प्रदेश निजी विश्वविद्यालय आयोग (एमपीपीयूआरसी) की मनमानी फीस बढ़ोतरी का विरोध खुद शासन स्तर पर हुआ था। कॉलेजों और निजी विवि की फीस में भारी असमानता को देखते हुए तकनीकि शिक्षा विभाग के पीएस और अपीलीय अधिकारी रघुराज राजेंद्रन ने पीयूआरसी को तलब किया
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दरअसल, सत्र 2024-25 में जब एमबीबीएस छात्रों को स्कॉलरशिप देने की फाइल चली तो मेधावी विद्यार्थी योजना संभाल रहे अफसर बी. लक्ष्मीनारायण ने तकनीकी शिक्षा विभाग के आयुक्त अवधेश शर्मा को ईमेल भेजा। इसमें उन्होंने बताया कि निजी कॉलेजों और निजी विश्वविद्यालयों की फीस में बड़ा अंतर है। उनके अनुसार, निजी कॉलेजों की फीस न्यूनतम 9 लाख से अधिकतम 12.60 लाख रुपए प्रतिवर्ष है।
वहीं, विश्वविद्यालयों की फीस 15.20 लाख से 17.37 लाख रु. तक पहुंच गई है। आयुक्त शर्मा ने यह ईमेल तकनीकि शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और अपीलीय अधिकारी रघुराज राजेंद्रन को भेज दिया। राजेंद्रन ने इस असमानता पर पीयूआरसी से जवाब मांगा था। इसके बाद उन्हें पद से हटा दिया। एक पहलू यह भी है कि फीस बढ़ोतरी का असर मेधावियों को मिलने वाली स्कॉलरशिप पर भी पड़ा।
दरअसल, 2017 से चल रही मेधावी विद्यार्थी योजना के तहत सरकार 6 लाख तक सालाना आय वाले गरीब परिवार के बच्चों को मेडिकल, इंजीनियरिंग, लॉ सहित अन्य यूजी कोर्सेस में मुफ्त पढ़ाई करवाती थी। मप्र बोर्ड की 12वीं की परीक्षा में 75% अंक लाने वाले और सीबीएसई में 85% अंक लाने वाले मेधावियों की पूरी फीस सरकार वहन करती थी। जब पीयूआरसी ने मनमाने तरीके से फीस बढ़ाई तो मेधावी योजना का बजट ही गड़बड़ा गया।
जानकारी के मुताबिक, सरकार ने अब फैसला किया है कि छात्रों को सिर्फ सरकारी कॉलेजों की फीस के बराबर ही छात्रवृत्ति मिलेगी। शेष खर्च छात्रों को खुद वहन करना पड़ेगा। इस निर्णय से जरूरतमंद छात्रों के सामने पढ़ाई पूरी करना मुश्किल होगा।
निजी विश्वविद्यालयों की फीस तय करने का जिम्मा पीयूआरसी के पास है, जबकि निजी कॉलेजों की फीस प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति (एएफआरसी) तय करती है। दोनो को फीस बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय फीस निर्धारण कमेटी के नियमों का ही पालन करना होता है। इसके बावजूद पीयूआरसी ने प्रदेश के 53 निजी विश्वविद्यालयों में मनमानी फीस बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी।
पहले 6–8 माह लगते थे, फीस निर्धारण प्रक्रिया में, इस साल एक ही दिन में 18–18 विवि के प्रस्तावों पर दे दी मंजूरी अब तक निजी विश्वविद्यालयों की फीस तय करने की प्रक्रिया में 6–8 महीने लगते थे। लेकिन इस साल आयोग के अध्यक्ष भरतशरण सिंह ने सिर्फ कुछ ही दिनों में 53 विश्वविद्यालयों की फीस तय करने का काम निपटा दिया। उनका कार्यकाल अगले दो महीने में पूरा होना है। जांच में पता चला कि उन्होंने एक ही दिन में 18–18 विश्वविद्यालयों की सुनवाई कराई और तुरंत मंजूरी भी दे दी।
राजेंद्रन का ईमेल- जिसमें जवाब मांगा था
फीस निर्धारण से जुड़ा प्रकरण मेरे पास आया था। प्रोफेशनल कोर्सों के लिए बनाई गई एएफआरसी और पीयूआरसी की फीस में काफी अंतर था। इसी पर मैंने पीयूआरसी से सवाल किया था। उसके बाद मुझे अपीलीय अधिकारी के पद से हटा दिया गया।’ -रघुराज राजेन्द्रम, पूर्व अपीलीय अधिकारी