भारत बहुराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पाक के साथ खेलने के लिए क्यों सहमत हुआ?

भारत बहुराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पाक के साथ खेलने के लिए क्यों सहमत हुआ?


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सरकार ने अब खेलों में पाकिस्तान के साथ भारत के जुड़ाव का रोडमैप स्पष्ट कर दिया है. किसी भी तरह के द्विपक्षीय खेल संबंधों के लिए सख़्त मनाही. भारत को बहुराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में पाकिस्तान के साथ खेलने की …और पढ़ें

भारत बहुराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पाक के साथ खेलने के लिए क्यों सहमत हुआ?भारत सरकार ने टीम इंडिया को पाकिस्तान के खिलाफ एशिया कप में खेलने की क्यों दी परमीशन?
नई दिल्ली. सरकार ने भारत टीम को जब से बहुराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में पाकिस्तान के साथ खेलने की अनुमति दे दी है हर तरफ इस बात की चर्चा हो रही है.  यह कदम भारत की भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर आधारित है, जिसमें ओलंपिक की मेज़बानी भी शामिल है.सरकार ने अब खेलों में पाकिस्तान के साथ भारत के जुड़ाव का रोडमैप स्पष्ट कर दिया है. किसी भी तरह के द्विपक्षीय खेल संबंधों के लिए सख़्त मनाही. भारत को बहुराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में पाकिस्तान के साथ खेलने की अनुमति, जो अंतर्राष्ट्रीय चार्टर द्वारा शासित हैं, साथ ही अगर प्रतियोगिता पाकिस्तान में खेली जा रही है तो उस पर विचार-विमर्श भी किया जाएगा.

काफी समय से खेल प्रेमी सरकार की सोच को ठीक-ठीक समझाने की कोशिश कर रहे हैं. यह भारत की भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर आधारित है या एक वैश्विक शक्ति बनने की आकांक्षाओं पर. ओलंपिक की मेज़बानी सिर्फ़ खेल के बारे में नहीं है दरअसल, खेल के बारे में कम और भारत को अपनी धरती पर दुनिया की मेज़बानी करने में सक्षम एक मज़बूत देश के रूप में पेश करने के बारे में ज़्यादा.

पाकिस्तान पर कूटनीतिक वार 

एक बात तो दावे के साथ कही जा सकती है कि पाकिस्तान कोई बड़ा अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजन कभी नहीं कर पाएगा. पाकिस्तान के पास ऐसा करने के लिए संसाधन नहीं हैं और वे कभी भी खेलों को सॉफ्ट पावर के रूप में इस्तेमाल नहीं कर पाएँगे. संभावना है कि भारत 2030 के राष्ट्रमंडल खेलों और 2036 के ओलंपिक खेलों की मेज़बानी करेगा, जो दोनों ही हमारी सॉफ्ट पावर महत्वाकांक्षाओं का ही एक प्रक्षेपण होंगे.भारत में कोई भी खेल के मैदान पर पाकिस्तान से भिड़ना नहीं चाहता बात उनके साथ खेलने या पैसा कमाने की नहीं है.

दरअसल भारत बनाम पाकिस्तान एक आकर्षक खेल आयोजन है, यह तो तय है. लेकिन सरकार ने बहुराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भागीदारी की अनुमति देने का फैसला इसीलिए नहीं किया है. इस तर्क से तो सरकार तटस्थ स्थानों पर भी द्विपक्षीय खेलों की अनुमति दे सकती थी. इस तरह से खूब पैसा कमाया जा सकता था. सरकार असली पैसों से होने वाले जुए पर प्रतिबंध नहीं लगाती. इस कदम से उसे हज़ारों करोड़ का नुकसान हो सकता है. पाकिस्तान के साथ खेलना या न खेलना पैसे की बात नहीं है. यह फैसला कहीं ज़्यादा गंभीर है और अगले दशक में भारत के भविष्य को लेकर है.

पाकिस्तान का पूर्ण बहिष्कार ना करने की वजह 

कई लोगों ने सुझाव दिया है कि भारत एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ मैच का बहिष्कार करे लेकिन इससे भारत की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं को कोई मदद नहीं मिलेगी. पाकिस्तान इसका इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने यह रोना रोने के लिए करता कि भारत उनके साथ वैश्विक प्रतियोगिताओं में नहीं खेलता, उनके खिलाड़ियों को वीज़ा नहीं देता और फिर भी वैश्विक खेल आयोजन करना चाहता है. भारत के फैसले अंतरराष्ट्रीय चार्टर का उल्लंघन करते हैं और इसलिए भारत को ओलंपिक जैसे वैश्विक आयोजन करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. इससे पाकिस्तान को भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाने का मौका मिल जाता, और सरकार ने ऐसे किसी भी कदम को रद्द कर दिया है.

1990 से पहले तक आर्थिक दृष्टि से पाकिस्तान भारत के मुकाबले ज्यादा मजबूत था.

मैदान से बनेंगे महाशक्ति 

भारत की सॉफ्ट पावर की महत्वाकांक्षाओं ने इस फैसले को दिशा दी है और चाहे आप इसे पसंद करें या न करें, यह वास्तविक राजनीति में गहराई से निहित है.युद्ध एक दिन में नहीं जीता जाता. एक वैश्विक शक्ति के रूप में भारत की प्रगति और उत्थान ही पाकिस्तान का सबसे बड़ा जवाब है. और ऐसा करने के लिए, खेल अंतर्राष्ट्रीय जुड़ाव का एक महत्वपूर्ण माध्यम है. ओलंपिक कभी भी पदक जीतने या रिकॉर्ड तोड़ने के बारे में नहीं होता यह दिखाने के बारे में है कि आप किसके लिए खड़े हैं और एक देश के रूप में आप कितने मजबूत हैं. सरकार यह जानती है और उसने निर्णायक रूप से कार्रवाई की है और यह फैसला पूरी तरह से भारत की महत्वाकांक्षाओं से प्रेरित है और पाकिस्तान स्पष्ट रूप से इसका एक अभिन्न अंग है.

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