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Chhatarpur Womens Success Story: हुनर हो तो इंसान क्या कुछ नहीं कर सकता. ये साबित कर दिखाया है छतरपुर की इन महिलाओं ने, आइए जानते हैं इनकी कहानी.
हर महीने कमाती हैं इतने रुपए
मनीषा बताती है कि वह 2 साल से यहां काम कर रही हैं. इससे पहले भी घर में ब्लाउज बनाने का काम करती थी. यहीं पर उन्हें लोअर पेंट बनाने की ट्रेनिंग दी गई और अब वह यहां रहकर अच्छा खासा पैसा कमा रही हैं जिससे उनके घर परिवार का खर्चा चल रहा है. गांव में रहकर ही आराम से 10 हजार का महीना कमा लेती हैं.
वही माया पटेल बताती हैं कि घर में ही रहकर पहले सिलाई करती थी. साथ ही पहले बैंक सखी का काम भी करती थी जिसमें मुझे बीमा करना होता था. अब गांव में छोटी सी कपड़ा फैक्ट्री खुल जाने से काम मिल गया है. यहां हमें लोअर से लेकर दूसरे कपड़ों को बनाने की ट्रेनिंग दी गई है. यहीं पर मैंने लोअर पैंट बनाना सीखा है. मैंने तो पहले ऐसी आधुनिक सिलाई मशीन भी नहीं देखी थी, दूसरों के घरों पर जाकर ब्लाउज बनाना मैंने सीखा था. अब मैं अपने खर्च से बच्चों का पालन पोषण कर पा रही हूं.
घर में पहले ब्लाउज सिलती थी
वहीं विनीता बताती हैं कि वह घर में रहकर पहले ब्लाउज सिलती थीं. घर में रहकर पहले ब्लाउज सिलती थी तो कभी कभार दो-चार लोग ब्लाउज सिलवाने आ जाते थे, तो कभी एक भी नहीं आता था. लेकिन अब इस फैक्ट्री में काम मिल जाने से वह गांव में रहकर ही बढ़िया रुपया कमा लेती हैं.