उपलब्धि महिला वर्ग में 500 मीटर के लिए आयोजित कॉम्पीटिशन में मिला है।
खेलो इंडिया गेम्स के तहत कश्मीर में वाटर स्पोर्ट्स कॉम्पीटिशन चल रहे हैं। केनाेइंग स्पर्धा के फायनल में एमपी टीम चैंपियन रही है। इसी टीम में शामिल खंडवा की दीपिका ढीमर को सिल्वर मेडल मिला है। यह उपलब्धि महिला वर्ग में 500 मीटर के लिए आयोजित कॉम्पीटिश
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बता दें कि, दीपिका खंडवा के तीर्थस्थल सिंगाजी की रहने वाली हैं। वह केनोइंग में इंटरनेशनल गोल्ड मेडलिस्ट कावेरी ढीमर की छोटी बहन हैं। दोनों बहनें कभी पिता का कर्ज उतारने के लिए इंदिरा सागर बांध के बैकवाटर में नाव चलाकर मछली पकड़ती थीं।
इसी दौरान दैनिक भास्कर ने कावेरी के संघर्ष की कहानी को प्रकाशित किया। तब खेल विभाग के अधिकारी कावेरी के घर पहुंचे और उसे एकेडमी ज्वाइन कराई। कावेरी अब तक इंटरनेशनल लेवल पर एक दर्जन से ज्यादा गोल्ड मेडल हासिल कर चुकी हैं। वह फिलहाल इटली में आयोजित कॉम्पीटिशन में हिस्सा लेने पहुंची हैं।
दीपिका को मिला सिल्वर मेडल।
9 भाई-बहन, छोटी बहन को एकेडमी ज्वाइन कराई केनोइंग खिलाड़ी कावेरी और दीपिका के 9 भाई-बहन हैं। कावेरी ने महज 13 साल की उम्र से केनोइंग गेम स्टार्ट किया था। आज वह इंटरनेशनल चैंपियन हैं। इसके साथ ही स्पोर्ट्स कोटे से कावेरी का सिलेक्शन नौसेना में हो गया है। अपनी सफलता के बाद उसने छोटी बहन दीपिका को भी एकेडमी ज्वाइन कराई और केनोइंग में उतारा। दीपिका भी नेशनल स्तर पर कई कॉम्पीटिशन में हिस्सा ले चुकी हैं।

कावेरी और दीपिका दोनों बहनें कभी इंदिरा सागर बांध के बैकवाटर में नाव चलाती थी।
दैनिक भास्कर से बातचीत में कावेरी ढीमर ने बताया दैनिक भास्कर के एक इंटरव्यू में कावेरी ने बताया था कि- ‘मैंने 2016 में केनोइंग गेम स्टार्ट किया था। तब मैं 13 साल की थी। 2016 से ही केनोइंग कर ही हूं, इसी में इंट्रेस्ट लगा रहा। 2018 में पहला कदम नेशनल चैंपियनशिप में रखा था। तब मैं 14 साल की थी। उसी टाइम से अच्छा परफार्मेंस देने लगी, गोल्ड मेडल जीतने लगी तो मेरा हौसला बढ़ता गया। लगातार नेशनल गेम्स, एशियन गेम्स, नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीते। कई इंटरनेशनल गेम्स का हिस्सा रही। काफी अच्छा परफार्मेंस होने की वजह से मेरा लगाव इसी गेम की ओर रहा। अब मेरा सिलेक्शन नौसेना में एजीपीओ पेटी के पद पर हुआ हैं।’
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