बारिश और नमी बढ़ने से शहर के अस्पतालों में त्वचा रोगियों की संख्या बढ़ गई है। अकेले हमीदिया और जेपी अस्पताल के मेडिसिन और त्वचा विभागों में ओपीडी में रोजाना फंगल-बैक्टीरियल संक्रमणों से ग्रसित 100 से 150 तक मरीज आने लगे हैं। जबकि, सामान्य दिनों में य
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मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. योगेंद्र श्रीवास्तव के अनुसार, मानसून में पैरों के बीच, ठाईज, अंडरआर्म और त्वचा के इंटरट्रिक्सियल स्थानों में एथलीट-फुट और अन्य फंगल इन्फेक्शन बढ़ते हैं। भीगने के बाद गीले कपड़े लंबे समय तक पहन लेने से त्वचा पर नमी बनी रहती है, जो बैक्टीरिया के पनपने के लिए आदर्श स्थिति मुहैया कराती है।
कब डॉक्टर को दिखाएं? जेपी अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. राकेश श्रीवास्तव बताते हैं कि बाजार की कई क्रीमों में छिपे स्टेरॉयड त्वचा की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर सकते हैं। यही नहीं बीमारी को भी दबा देते हैं, उसको खत्म नहीं करते हैं। जिससे संक्रमण दोबारा होने लगता है।
डॉ. श्रीवास्तव के अनुसार, यदि खुजली के साथ लाल चकत्ते, पपड़ीदार निशान, फफोले या दर्द दिखाई दें तो समय पर विशेषज्ञ से दिखाना चाहिए।
बचाव के व्यावहारिक सुझाव
- भीगने पर तुरंत कपड़े बदलें और कपड़ों को अच्छी तरह सुखाएं।
- गुनगुने पानी व हल्के साबुन से नहाएं। कपड़े ढीले-ढाले रखें ताकि त्वचा सांस ले सके।
- एंटी फंगल पाउडर का उपयोग उन हिस्सों में करें, जो लंबे समय तक गीले रहते हैं।
- निजी टॉवल स्वच्छ रखें, जूते और चादर साझा न करें।
- त्वचा पर छाले या फफोले दिखे तो बिना डॉक्टर की सलाह के घरेलू या बाजारू दवाएं न लगाएं।
- पर्याप्त पानी पिएं, विटामिन-रिच आहार लें और इम्यूनिटी मजबूत रखें।