रोजाना 40 लाख रुपए टोल टैक्स की वसूली: मेंटेनेंस पर हर दिन 14 लाख भुगतान, फिर भी NH-44 ग्वालियर में असुरक्षित – Gwalior News

रोजाना 40 लाख रुपए टोल टैक्स की वसूली:  मेंटेनेंस पर हर दिन 14 लाख भुगतान, फिर भी NH-44 ग्वालियर में असुरक्षित – Gwalior News



मंगलवार, 19 अगस्त को झांसी के साहू परिवार के लोग कार से दिल्ली से झांसी जा रहे थे। सुबह के वक्त उनकी कार जब ग्वालियर-झांसी बायपास (एनएच-44) स्थित जय गुरूदेव आश्रम के पास पहुंचे। तो डिवाइडर की झाड़ियों में अचानक गाय सड़क पर आ गई और उसे बचाने के लिए ड

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इस हादसे में ड्राइवर भूपेंद्र की मौत हो गई। कार सवार तरुण साहू, अरविंद, अतुल पवन व विकास साहू गंभीर घायल हो गए। ये हाल एक एक्सीडेंट का है। ऐसे कई एक्सीडेंट इस सड़क पर जानवर और दूसरे असुरक्षित कारणों से हो चुके हैं। लेकिन नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) एवं मेंटेनेंस व कंसल्टेंट कंपनी के जिम्मेदार अधिकारी सुरक्षित व्यवस्थाएं नहीं करा पा रहे।

देश के सबसे लंबे नेशनल हाइवे (एनएच-44) का ग्वालियर में बुरा हाल है। शहरी सीमा शुरू होने से ठीक पहले रायरू से डबरा होते हुए झांसी तक जाने वाले इस बायपास पर जगह-जगह गड्ढे हैं। सड़क रफनेस (खुरदरेपन) इंडैक्स का शिकार हो चुकी है, लेकिन एनएचएआई के अधिकारी ठेकेदारों का बचाव करते जा रहे हैं।

हालात… क्रश बैरियर है नहीं, कई जगह टूटे डिवाइडर, बीच सड़क पर दौडते हैं जानवर

  1. क्रश बैरियर:हाइवे पर वाहन सुरक्षित चलें इसलिए डिवाइडर को दोनों साइड से क्रश बैरियर लगाकर जानवरों को सड़क तक आने से रोका जाता है। लेकिन इस हाइवे पर क्रश बैरियर सिर्फ यू टर्न पर हैं और कहीं नहीं। नतीजा- डिवाइडरों पर लगे पौधों से जानवर अचानक से रोड पर आने से एक्सीडेंट हो रहे हैं।
  2. जानवर: मेंटेनेंस संभाल रही कंपनी की पेट्रोलिंग टीम को ये जानवर पकड़ कर हाइवे क्षेत्र से दूर छोड़ने होते हैं। इतना ही नहीं, एक्सीडेंट में रोजाना गाय-सांड व दूसरे जानवरों की मौत हाइवे पर हो रही है और उनका शव भी कंपनी द्वारा समय पर नहीं उठाया जा रहा। हाइवे पर 2 जगह ऐसे शव पड़े थे।
  3. सड़क/डिवाइडर: 42 किमी लंबी ये सड़क (रायरू से सिकरौदा तिराहा) जगह-जगह रफनेस इंडैक्स में बदल चुकी है। साथ ही कई जगह गड्ढे हैं। इस बायपास का डिवाइडर भी कई जगह टूटा है। इन जगहों से वाहन चालक बिना यू टर्न के रोड क्रॉस करते हैं और कई बार एक्सीडेंट हो जाते हैं।

ऐसे समझें… मेंटेनेंस व टोल वसूली का गणित

  • मेंटेनेंस: रायरू से सिकरौदा तक 42 किलोमीटर लंबा ये बायपास एरा कंपनी ने बनाया। इसी कंपनी को इतनी सड़क के मेंटेनेंस का काम दिया है। एरा को एनएचएआई द्वारा 6 माह में 26 करोड़ (हर वर्ष 52 करोड़ रुपए) मिलते हैं। मेंटेनेंस के लिए कंपनी को रोज रोज 14,24,657रुपए मिल रहे हैं।
  • टोल टैक्स: इस बायपास पर मेहरा गांव के पास टोल टैक्स बूथ है। जिस पर रोज 40 लाख से अधिक का टैक्स वाहनों से वसूला जाता है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि सड़क पर गड्ढे हैं तो टोल टैक्स वसूलना गलत है। इसके बाद भी लोगों को जान का जोखिम लेकर यहां सफर करना पड़ रहा है।

3 जिम्मेदार: हालात बेकार

  1. एनएचएआई के अधिकारियों को बायपास पर सुविधा एवं गुणवत्ता को लेकर मॉनिटरिंग करनी होती है। लेकिन अधिकारी, ठेकेदार कंपनियों का सपोर्ट करते हैं, जिससे हालत खराब हैं।
  2. एरा कंपनी को मेंटेनेंस कर सड़क को गड्डाविहीन रखनी होती है। सड़क का रफनेस इंडैक्स खत्म करना होता है। जीवित एवं मृत जानवर हटाने होते हैं।
  3. कंस्ट्रक्शन-मेंटेनेंस कंपनी काम सही करे इसलिए देखरेख के लिए लॉयन को ठेका दिया है, लेकिन इस कंपनी के अधिकारी एरा टीम का सपोर्ट करते हैं।

​​​​​​​बारिश बाद गड्ढे-रफनेस कराएंगे सही ​​​​​​​

^बायपास से जानवरों को खदेड़ा जाता है। मैंने एरा कंपनी की टीम को रोज 6 चक्कर लगाने के निर्देश दिए हैं। सड़क पर जो गड्ढे या रफनेस है, उसे बारिश के बाद ठीक कराया जाएगा। – उमाकांत मीणा, प्रोजेक्ट डायरेक्टर/ एनएचएआई​​​​​​​



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