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10 Indian Cricketer never got a farewell match: भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कई खिलाड़ी ऐसे रहे हैं जिन्हें विदाई मैच खेलने का मौका नहीं दिया गया. इन खिलाड़ियों ने आनन फानन में संन्यास ले लिया. चेतेश्वर पुजारा भी उन्हीं खिलाड़ियों में शामिल हो गए हैं जिन्होंने गुपचुप क्रिकेट को अलविदा कह दिया. पुजारा भी वीरेंद्र सहवाग, महेंद्र सिंह धोनी और युवराज सिंह के लिस्ट में शामिल हो गए हैं जिन्हें फेयरवेल मैच खेलने का मौका नहीं मिला. भारत के 10 क्रिकेटर ऐसे हैं जिन्होंने मैदान के बाहर अपने खेल को अलविदा कह दिया.

दुनिया का हर खिलाड़ी यही चाहता है कि जब वो अपने खेल को अलविदा कहे तो, उसकी विदाई ग्राउंड से भव्य तरीके से हो. सचिन तेंदुलकर को 2013 में दर्शकों से खचाखच भरे वानखेड़े स्टेडियम में उन्हें क्रिकेट से विदाई दी गई थी.कई भारतीय दिगगज ऐसे भी हैं जिन्हें यह नसीब नहीं होता. वह गुपचुप इस खेल को अलविदा कह जाते हैं. चेतेश्वर पुजारा भी इन्हीं बदनसीब खिलाड़ियों में शामिल हैं.पुजारा भारतीय क्रिकेट के महान खिलाड़ियों में शुमार हैं जो एक दशक से भी ज्यादा समय तक भारतीय टेस्ट बल्लेबाजी के स्तंभ रहे. लेकिन इस दिग्गज का संन्यास क्रिकेट के मैदान से नहीं, सोशल मीडिया के जरिए हुआ.

37 साल के चेतेश्वर पुजारा ने 103 टेस्ट मैचों में 7,195 रन बनाए थे. मॉडर्न क्रिकेट में उनकी अपनी एक अलग पहचान थी. दाएं हाथ का यह बल्लेबाज विदाई मैच का हकदार था लेकिन कई अन्य दिग्गजों की तरह इसे भी फेयरवेल मैच खेलने का मौका नहीं दिया गया. उन्होंने बिना फेयरवेल मैच खेले क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया. इस लिस्ट में भारत के कई लीजेंड्स शामिल हैं.

भारत के विश्व कप विजेता कप्तान एमएस धोनी ने अगस्त 2020 में इंस्टाग्राम पोस्ट पर अपने संन्यास की घोषणा करके प्रशंसकों को चौंका दिया था. उनका आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच न्यूजीलैंड के खिलाफ 2019 विश्व कप सेमीफाइनल था.भारतीय क्रिकेट के महानतम कप्तानों में से एक धोनी को कोई विदाई मैच नहीं मिला. जिन्होंने अपनी कप्तानी में भारत को दो बार वर्ल्ड चैंपियन बनाया जबक एक बार आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी की खिताब दिलाई.

वीरेंद्र सहवाग की गिनती दुनिया के खूंखार ओपनर में होती है. जो किसी भी गेंदबाजी आक्रमण की बखिया उधेड़ने को जाने जाते थे. मुल्तान के सुल्तान और नजफगढ़ के इस नवाब ने अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच 2013 में खेला था. लेकिन 2015 में औपचारिक रूप से संन्यास लेने से पहले दो साल और इंतजार किया. लेकिन उन्हें विदाई मैच नहीं मिला.

भारत की 2011 विश्व कप जीत के नायक रहे दिग्गज ऑलराउंडर युवराज सिंह ने 2019 में बीसीसीआई द्वारा प्रस्तावित विदाई मैच के ऑफर को ठुकरा दिया था.उन्होंने टीम से बाहर होने के बाद अपनी शर्तों पर संन्यास लेने का विकल्प चुना.

बाएं हाथ के तेज गेंदबाज जहीर खान, दिग्गज ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह और विस्फोटक ओपनर गौतम गंभीर जैसे अन्य खिलाड़ियों ने भी टीम में अपनी जगह गंवाने के बाद चुपचाप चले गए. यहां तक कि वीवीएस लक्ष्मण, भारत के महान स्पिनर अनिल कुंबले भी 2008 में दिल्ली में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के बीच में ही चोटों से जूझने के बाद संन्यास की घोषणा कर बाहर हो गए थे.

चेतेश्वर पुजारा से पहले ताजा उदाहरण रविचंद्रन अश्विन का है. जो टेस्ट मैचों में भारत के दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं. अश्विन ने ब्रिस्बेन में 2024 ऑस्ट्रेलिया सीरीज के बीच में ही संन्यास ले लिया था. अश्विन के अचानक संन्यास के फैसले ने लोगों को हैरान कर दिया था.

टीम इंडिया में गब्बर के नाम से मशहूर शिखर धवन के साथ भी ऐसा ही हुआ. धवन और रोहित शर्मा की ओपनिंग जोड़ी कभी टीम इंडिया की जान हुआ करती थी. लेकिन इस बल्लेबाज को भी बेहतरन प्रदर्शन के बावजूद टीम से बाहर कर दिया गया.आखिरकार बाएं हाथ के इस ओपनर ने बिना फेयरवेल मैच खेले क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया.