डीन सीधी भर्ती मामले में हाईकोर्ट में हुई सुनवाई: डीन पद की सीधी भर्ती पर हुई बहस; असंवैधानिक और अनावश्यक बताया, अगली सुनवाई 28 अगस्त को – Indore News

डीन सीधी भर्ती मामले में हाईकोर्ट में हुई सुनवाई:  डीन पद की सीधी भर्ती पर हुई बहस; असंवैधानिक और अनावश्यक बताया, अगली सुनवाई 28 अगस्त को – Indore News



इंदौर के मेडिकल कॉलेज के डीन के पद पर सीधी भर्ती से नियुक्ति मामले में मंगलवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई।

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इसमें याचिकाकर्ता पूर्व डीन डॉ. वीपी पांडे याचिकाकर्ता है। याचिका में डीन के पद के लिए शासन की वरिष्ठता सूची में उपलब्ध प्रोफेसर के फीडिंग कैडर को मौलिक अधिकार को मान्य कर प्रमोशन के लिए डीपीसी कराने की अपील पर बहस हुई।

मामले में याचिकाकर्ता वीपी पांडे की ओर से एडवोकेट अमित अग्रवाल ने कोर्ट समक्ष मजबूती से पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि डीन की सीधी भर्ती पूरी तरह से असंवैधानिक और अनावश्यक है। डीन भर्ती की वास्तवित प्रक्रिया में संवैधानिक बाधा नहीं है।

फीडर कैडर के कैंडिडेट्स भी उपलब्ध हैं। मामले में मंगलवार एडवोकेट जनरल प्रशांत सिंह भी वर्चुअली उपस्थित हुए। सुनवाई के बाद कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 28 अगस्त को तय की है।

इंदौर के पूर्व डीन ने शासन को दी है चुनौती प्रदेश के सीनियर प्रोफेसर डॉ. वेद प्रकाश पांडे ने फरवरी 2024 में डीन के 100% पदोन्नति के पद पर राज्य सरकार द्वारा सीधी भर्ती के माध्यम से नियुक्ति की विज्ञप्ति को चुनौती देकर सीधी भर्ती को निरस्त कर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेशों के परिप्रेक्ष्य में डीन के पद पर पदोन्नति के लिए डीपीसी की मांग की गई है।

6 माह में बिना बहस 10 बार बढ़ी तारीख मामले में पिछले 6 माह में शासन की ओर से एडवोकेट जनरल सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं होने से 10 बार तारीख बढ़ती गई है। एडवोकेट जनरल के बहस के लिए उपस्थित नहीं होने के कारण 14 फरवरी, 4 मार्च, 26 मार्च, 15 अप्रैल, 17 अप्रैल, 13 मई, 2 जुलाई, 17 जुलाई, 29 जुलाई और 18 अगस्त को तारीख को बढ़ाया जा चुका है। मंगलवार को फिर एडवोकेट जनरल शासन की ओर से कोर्ट में वर्चुअली उपस्थित हुए।

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने पदोन्नति के लिए डीपीसी के दिए हैं आदेश

  • सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी 5868/2023 (मप्र शासन विरुद्ध विनय कुमार बाबेले) में प्रदेश में उच्च पदों को पदोन्नति के द्वारा भरने में कोई कानूनी बाधा नहीं होने के आदेश पारित किए हैं।
  • मप्र हाई कोर्ट ने 12 से अधिक याचिकाओं रिट अपील 1584/ 2022, रिट याचिका 13241/2017 (धीरेंद्र चतुर्वेदी विरुद्ध मप्र शासन), रिट याचिका 14029 /2020 (डॉ. राकेश कुमार शर्मा विरुद्ध मप्र शासन), रिट याचिका 25370 /2024 (राहुल पाटीदार विरुद्ध मप्र शासन) में प्रदेश में पदोन्नति के लिए कोई कानूनी बाधा नहीं होने और कर्मचारी की डीपीसी करने के आदेश जारी किए हैं।

शासन से मांगा स्पष्टीकरण हाईकोर्ट ने पदोन्नति नहीं किये जाने के लिए कानूनी बाधा का पूछा है। कोर्ट ने डॉ. पांडे द्वारा दायर रिट याचिका 4991/ 2024 में पारित अंतरिम आदेश 30 सितंबर 2024 में राज्य सरकार से डीन के पद पर पदोन्नति नहीं किए जाने के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा था। इसमें आदेश के बाद प्रदेश में पदोन्नति पर कोई वैधानिक बाधा नहीं हैं।

  • राज्य सरकार की प्रोफेसर की वरिष्ठता सूची में डॉ. पांडे और अन्य प्रोफेसर पदोन्नति के की प्रतीक्षा में है।
  • सेवा भर्ती नियम 2023 के नियम 6 और नियम 14 से 18 में पदोन्नति से नियुक्ति प्रावधान उल्लेखित किया है।
  • फिर ऐसी स्थिति में डीन के पद पर पदोन्नति के स्थान पर सीधी भर्ती से नियुक्ति क्यों की गई है।

सीधी भर्ती में खारिज आरक्षण रोस्टर का उपयोग राज्य सरकार द्वारा फरवरी 2024 को जारी डीन के पद पर सीधी भर्ती की विज्ञप्ति में हाई कोर्ट द्वारा 2016 में खारिज किए गए पदोन्नति के लिए आरक्षण रोस्टर को ही लागू कर दिया गया है । पदोन्नति के आरक्षण रोस्टर के अनुसार 12 पद अनारक्षित श्रेणी, 3 पद एससी श्रेणी और 3 पद एसटी श्रेणी में विज्ञापन किए गए थे जो कानूनी रूप से पूर्णतः गलत है।

अंतिम बहस के लिए प्रकरण लंबित

  • डॉ. पांडे की याचिका पर राज्य सरकार अपना जवाब प्रस्तुत कर चुकी है और अतिरिक्त जवाब भी प्रस्तुत कर चुकी हैं।
  • प्रकरण में 21 नियुक्त डीन इंटरविनर के रूप में अपना जवाब/दावा प्रस्तुत कर चुके हैं।
  • एडवोकेट जनरल के उपस्थित होने पर प्रकरण में सिर्फ अंतिम सुनवाई की जानी शेष है।
  • डॉ. पांडे 30 अक्टूबर को रिटायर होने वाले हैं और हाईकोर्ट में जज के समक्ष रिटायर होने के पूर्व पदोन्नति प्रदान करने की गुहार लगाकर निवेदन किया है।
  • डॉ. पांडे का आरोप है कि सरकार के पास डीन के 100% पदोन्नति के पद पर सीधी भर्ती से नियुक्ति किए जाने के संबंध में कोई तथ्य और तर्क नहीं है इसलिए एडवोकेट जनरल पिछले माह में 10 बार अनुपस्थित होकर सिर्फ तारीख बढ़ा रहे हैं। उन्हें पदोन्नति के लिए विचाराधीन किए जाने के मौलिक अधिकार से वंचित किया जा रहा है। जबकि रिटायर होने में सिर्फ दो माह बचे हैं।



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