मप्र में कमलनाथ सरकार द्वारा ओबीसी वर्ग को दिए गए 27% आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। मप्र सरकार ने इस मुद्दे का हल निकालने के लिए कल यानी 28 अगस्त को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इस बैठक के पहले इस मामले में बड़ा उलटफेर हुआ है।
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मप्र लोक सेवा आयोग (MPPSC) ने सुप्रीम कोर्ट में एक नया आवेदन दिया है। इस आवेदन में एमपीपीएससी ने ओबीसी वर्ग के चयनित अभ्यर्थियों की पिटीशन को खारिज करने लगाए गए काउंटर एफिडेविट को सुप्रीम कोर्ट से वापस लेने का अनुरोध किया है।
सलेक्टेड कैंडिडेट्स की याचिका खारिज करने काउंटर एफिडेविट सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी महासभा के वकील वरुण ठाकुर ने बताया कि मप्र ओबीसी आरक्षण के मामले में आज नया इम्प्रूवमेंट हुआ है। 19 अगस्त 2025 को एमपीपीएससी ने काउंटर एफिडेविट फाइल किया गया था। जिसमें यह मांग की गई थी कि चयनित उम्मीदवारों की जिस याचिका में यह मांग की गई है कि मप्र में जब 27 रिजर्वेशन का कानून है तो हमें भी 27 प्रतिशत आरक्षण के कानून के तहत नियुक्तियां दी जाएं। एमपीपीएससी ने अपने काउंटर एफिडेविट में चयनित अभ्यर्थियों की पिटीशन को खारिज करने की मांग की थी।
वरुण ठाकुर ने बताया कि अब इस मामले में नया इम्प्रूवमेंट यह हुआ है कि उस काउंटर एफिडेविट को वापस लेने के लिए आवेदन लगाया है। और अनकंडीशनल अपोलॉजी भी सुप्रीम कोर्ट से मांगी है। एमपीपीएससी ने यह कहा है कि ये हमसे गलती से फाइल हो गया था। हम 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के मामले में दूसरा काउंटर एफिडेविट फाइल करेंगे।
6 साल से लगी है रोक
2019 से लेकर 2025 तक ओबीसी आरक्षण का लाभ पिछड़े वर्ग को नहीं मिल पाया है। लाखों अभ्यर्थी पहले से चयनित हो चुके हैं। सिर्फ उन्हें नियुक्ति पत्र यह कहकर नहीं दिए जा रहे हैं कि इनकी पिटीशन सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग हैं। जबकि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट कई बार यह कह चुके हैं कि हमारे द्वारा कोई रोक नहीं है। आप करना चाहें तो कर सकते हैं।
एमपीपीएससी की ओर से एडवोकेट अनुराधा मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में यह अर्जी दाखिल की है, जिसमें कहा गया है कि दाखिल किए गए हलफनामे में औपचारिक पैराग्राफ से जुड़ी कुछ त्रुटियां रह गई थीं। इन त्रुटियों को सुधारकर संशोधित एफिडेविट दाखिल करने की अनुमति मांगी गई है।
क्या कहा गया है अर्जी में?
- हलफनामे में अनजाने में त्रुटियां आ गई हैं।
- इन त्रुटियों के लिए निर्विवाद रूप से बिना शर्त माफी मांगी गई है।
- अदालत से अनुरोध किया गया है कि पुराने एफिडेविट को रिकॉर्ड से हटाकर नया एफिडेविट (Annexure A1) को स्वीकार किया जाए।