एसटीआर में बाघ रावण-2 के शिकार का मामला: ग्रामीणों ने वन विभाग के अधिकारियों पर लगाया जबरन मारपीट और दंड-बैठक लगवाने का आरोप – narmadapuram (hoshangabad) News

एसटीआर में बाघ रावण-2 के शिकार का मामला:  ग्रामीणों ने वन विभाग के अधिकारियों पर लगाया जबरन मारपीट और दंड-बैठक लगवाने का आरोप – narmadapuram (hoshangabad) News


केसला थाने में आदिवासी ग्रामीण युवक ने रात में की शिकायत।

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बुजुर्ग बाघ रावण-2 (टी-35) के शिकार मामले में एक ओर वन विभाग की टीम शिकारियों की तलाश में जुटी है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों ने फॉरेस्ट अधिकारियों पर प्रताड़ना, मारपीट और धमकाने के गंभीर आरोप लगाए हैं। केसला थाने में एक ग्रामीण

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बिना ठोस सबूत गांवों में दबिश, ग्रामीणों में आक्रोश

बाघ की मौत के बाद से एसटीआर, टाइगर स्ट्राइक फोर्स (TSF) और सामान्य वन मंडल की संयुक्त टीमें लगातार बढ़ चापड़ा, बारधा और आस-पास के गांवों में दबिश दे रही हैं। पूछताछ के नाम पर ग्रामीणों को हिरासत में लिया जा रहा है।

ग्रामीणों का आरोप है कि बिना किसी ठोस सबूत के उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। बुधवार को बारधा गांव निवासी अजय लविस्कर ने केसला थाने में शिकायत दर्ज कराई। उसने बताया कि वन विभाग की टीम ने उन्हें हिरन चापड़ा नर्सरी ले जाकर बंद कमरे में डंडे से पीटा और जबरन दंड बैठक लगवाई।

बढ़ चापडा में ग्रामीणों ने पेसा एक्ट के तहत ग्राम सभा की।

100 उठक-बैठक लगवाई, फिर डंडे से पीटा

अजय लविस्कर ने शिकायत में बताया कि 26 अगस्त को वह गांव की एक दुकान पर बैठा था, तभी वन विभाग की टीम उसे हिरासत में लेकर हिरन चापड़ा नर्सरी ले गई। वहां बंद कमरे में पूछताछ करते हुए आरोप लगाया गया कि वह बाघ के शिकार की जानकारी छुपा रहा है।

जब उसने किसी भी जानकारी से इनकार किया, तो उसे 100 उठक-बैठक करने को कहा गया। पूरा नहीं कर पाने पर उसकी पिंडलियों पर डंडे से पिटाई की गई, जिससे सूजन आ गई और चलने-फिरने में तकलीफ हो रही है। इलाज कराने के एक दिन बाद बुधवार को उसने थाने में शिकायत की।

केसला थाना प्रभारी उमाशंकर यादव ने बताया-

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अजय लविस्कर ने आदिवासी संगठन के सदस्यों के साथ आकर थाने में शिकायत की है। उनका कहना था कि बिना किसी सबूत के ग्रामीणों के साथ इस तरह की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। जांच की जा रही है।

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तवा नदी के बैकवाटर में मिला था शिकार हुए बाघ का शव।

तवा नदी के बैकवाटर में मिला था शिकार हुए बाघ का शव।

फॉरेस्ट विभाग ने आरोपों से किया इनकार

इस पूरे मामले पर बोरी अभ्यारण्य के असिस्टेंट डिप्टी डायरेक्टर विनोद वर्मा ने कहा कि बाघ के शिकार की गंभीर घटना के चलते कुछ ग्रामीणों को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। किसी के साथ मारपीट या अभद्रता नहीं की गई है। सभी को पूछताछ के बाद सकुशल घर छोड़ा गया है।

ग्रामीणों ने ग्राम सभा में जताया विरोध

वहीं घटना के बाद बुधवार को बढ़ चापड़ा गांव में ग्रामीणों ने पेसा एक्ट के तहत ग्राम सभा का आयोजन किया, जिसमें वन अधिकारियों की कार्यशैली पर कड़ा विरोध दर्ज किया गया। ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित किया गया कि जब तक जांच टीमें कोई ठोस सबूत नहीं लातीं, तब तक उन्हें गांव में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।

ग्राम सभा में यह भी आरोप लगाया गया कि पूछताछ के दौरान हिरासत में लिए गए ग्रामीणों को बंद कमरे में भूखा-प्यासा रखा गया और कुत्तों के सामने डालने जैसी धमकियां दी गईं। आदिवासी समुदाय ने कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है।

शिकार हुए मृत बाघ रावण-2।

शिकार हुए मृत बाघ रावण-2।

बाघ की देख-रेख और जिम्मेदारी को लेकर उलझा विभाग

जानकारी के अनुसार, 13-14 वर्षीय बाघ रावण-2 का शव 22 अगस्त को तवा नदी के बैकवाटर क्षेत्र में मिला था, जो एसटीआर की सीमा से बाहर का क्षेत्र माना जा रहा है। इसको लेकर विभागों में जिम्मेदारी तय करने को लेकर टाल-मटोल जारी है।

एसटीआर की फील्ड डायरेक्टर राखी नंदा का कहना है कि बाघ एसटीआर का है, लेकिन बुजुर्ग होने के कारण वह कोर एरिया छोड़कर वन विकास निगम और सामान्य वन मंडल के जंगलों में रहने लगा था। ऐसे में उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी उन्हीं की बनती है।

वहीं, वन विकास निगम के महा प्रबंधक आलोक कुमार का कहना है कि बाघ अगर एसटीआर का था तो उसकी सुरक्षा जिम्मेदारी भी एसटीआर की बनती है। निगम के पास पर्याप्त स्टाफ नहीं है। बाघ की मौत के बाद जिम्मेदारी तय करने की बजाय विभागों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।

शिकारियों की तलाश जारी, अब तक सुराग नहीं

बाघ के पंजा काटकर किए गए इस शिकार की घटना को उजागर हुए एक सप्ताह बीत चुका है, लेकिन अभी तक न शिकारियों का कोई सुराग लगा है और न ही शिकार की सही जगह का पता चल पाया है।

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