मध्यप्रदेश अब देश का पहला राज्य बन गया है, जिसे केंद्र सरकार से राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) के तहत मार्च 2026 तक 180 करोड़ रुपए का सबसे बड़ा अनुदान मिला है। इस राशि से राज्य में अगले 18 महीने में सरकारी आयुर्वेद कॉलेजों की संख्या 7 से बढ़कर 15 हो जा
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अभी 7 आयुर्वेद कॉलेजों में 513 सीटें हैं, जो बढ़कर 1500 तक हो जाएंगी। अभी एक साथ 5 आयुर्वेद कॉलेजों सागर, शहडोल, नर्मदापुरम, बालाघाट, मुरैना और ट्राइबल क्षेत्र में दो कॉलेजों झाबुआ और शुजालपुर को मंजूरी मिली है। इसके अलावा डिण्डौरी में जिला खनिज प्रतिष्ठान मद से कॉलेज स्थापित होगा।
इन सभी मेडिकल कॉलेज में 100-100 सीटें बढ़ेंगी। हर कॉलेज में पढ़ाई के साथ शोध भवन, अस्पताल, छात्रावास और स्टाफ क्वार्टर जैसी सुविधाएं होंगी। 70 करोड़ रुपए की लागत से हर कॉलेज का निर्माण कार्य 2027-28 तक पूरा कर लिया जाएगा। इन मेडिकल कॉलेजों को खोलने के लिए 1570 नए पदों पर भी मंजूर हुए है।
उज्जैन और खजुराहो में वैलनेस सेंटर
पर्यटन और आयुष सेवाओं को जोड़ते हुए हेल्थ टूरिज्म को बढ़ावा देने की तैयारी भी है। इसके तहत उज्जैन और खजुराहो में 50-50 बेड वाले सुपर स्पेशलिटी पंचकर्म और वैलनेस सेंटर बनेंगे। हर प्रोजेक्ट पर 15 करोड़ रुपए खर्च होंगे। भोपाल और नरसिंहपुर में पहले से ऐसे केंद्र चल रहे हैं, जबकि महेश्वर, सीहोर, इंदौर, अमरकंटक, पन्ना, बालाघाट, गुना, भिंड और श्योपुर में निर्माण कार्य जारी है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि खजुराहो जैसे अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल पर वैलनेस सेंटर खुलने से हेल्थ टूरिज्म को नई पहचान मिलेगी। वहीं उज्जैन में 2028 के सिंहस्थ कुंभ में लगभग 10 करोड़ श्रद्धालु आने की संभावना है। ऐसे में वहां का वैलनेस सेंटर स्थानीय लोगों और बाहर से आए श्रद्धालुओं दोनों को लाभ देगा।
छोटे शहरों में भी आयुष अस्पताल
जहां 30 या 50 बेड वाले अस्पताल नहीं हैं, वहां भी लोगों तक आयुष सेवाएं पहुंचाने की योजना है। इसके लिए 10 बेड वाले आयुष चिकित्सालय बनाए जाएंगे। प्रत्येक केंद्र पर 7.5 करोड़ रुपए खर्च होंगे। पहले चरण में सिंगरौली, ओरछा, चंदेरी, ओंकारेश्वर, अलीराजपुर, दतिया, सामपुर (मंदसौर), आगर-मालवा, चित्रकूट और पचमढ़ी को चुना गया है।
जनजातीय क्षेत्रों में औषधियों पर रिसर्च होगी
आयुर्वेद कॉलेज और अस्पताल खोलने के लिए यह अब तक का सबसे बड़ा अनुदान है। इससे मध्यप्रदेश आयुष सेवाओं के विस्तार में देश का अग्रणी राज्य बन गया है। इस राशि से नई परियोजनाएं और चिकित्सा सुविधाएं शुरू होंगी। जनजातीय क्षेत्रों में बनने वाले नए आयुर्वेद कॉलेज वहां के लोगों को शिक्षा और वहां पाई जाने वाली वन औषधियों पर शोध की सुविधा देंगे। सभी आयुष कॉलेजों में प्रवेश क्षमता बढ़ाकर 100 सीटें कर दी गई हैं। -इंदर सिंह परमार, कैबिनेट मंत्री, आयुष एवं उच्च शिक्षा विभाग