2 साल बाद एमपी के किसान बिना छिलके वाली जौ की खेती करेंगे, नई किस्म तैयार, 138 दिन बाद काट सकेंगे – Gwalior News

2 साल बाद एमपी के किसान बिना छिलके वाली जौ की खेती करेंगे, नई किस्म तैयार, 138 दिन बाद काट सकेंगे – Gwalior News



भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान करनाल ने बिना छिलके वाली जौ की नई किस्म डीडब्ल्यूआरबी-223 विकसित की है। यह गेहूं जैसे दिखता है। करनाल केंद्र न्यूक्लियर बीज क बाद अब ब्रीडर बीज तैयार करने में जुटा हुआ है। यह बात अनुसंधान संस्थान करनाल के निदेशक डॉ

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कृषि विवि एक साल किसानों के लिए बीज तैयार करेगा। इस तरह 2 साल बाद किसानों को गेहूं की तरह दिखने वाला जौ बीज की खेती किसान करेंगे। बिना छिलके वाले जौ की औसत उपज 42.96 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होगा। यह फसल 138 दिन में पककर तैयार हो जाएगी।

एक्सपर्ट – -डॉ. मंगल सिंह, जौ का दलिया और रोटी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद

जौ के अनाज में 6.10 बीटा-ग्लूकन होता है। मीटा-ग्लूकन एक प्रकार का घुलनशील है। इस किस्म के जौ का दलिया, चपाती और पूड़ियां खाने के बहुत फायदे हैं। लगातार गेहूं का अनाज खाने से आंतों में कई लोगों को दिक्कत होने लगती है । इस किस्म में पाया जाने वाला वाला बीटा-ग्लूक्न आंतों के रिसाव (लीकी गट) को ठीक करता है और सही स्वास्थ्य बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि दुनिया में जितने भी अनाजों से दलिया बनता उनमें बिना छिलके के जौ का दलिया सबसे स्वादिष्ट है। रोजाना के आहार में 50-100 ग्राम बिना छिलके जौ को शामिल किया जाए तो यह स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा रहेगा।

गेहूं और जौ की 46 नई किस्म तैयार, CBRC की मुहर लगते ही रिलीज होंगी राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विवि में आयोजित अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान कार्यकर्ता गोष्ठी का समापन बुधवार को हो गया। इस गोष्ठी में देशभर के 300 से अधिक कृषि वैज्ञानिकों ने भाग लिया। बुधवार को कृषि विवि में वैरायटी आइडेंटी कम्यूनिटी की बैठक आयोजित हुई।

कमेटी ने 46 गेहूं व जौ की नई वैरायटी रिलीज करने पर मुहर लगाई है। अब इन प्रस्ताव को सेंट्रल वैरायटी रिलीज कमेटी (सीवीआरसी) के समक्ष रखा जाएगा। सीवीआरसी की मुहर लगने के बाद गेहूं व जौ की नई किस्म को रिलीज करने का गजट नोटिफिकेशन जारी होगा।



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