75 साल की उम्र में बाधा दौड़ करते एथलिट रामकिशन शर्मा।
हरियाणा की मिट्टी सिर्फ युवाओं को ही नहीं, बल्कि बुजुर्गों को भी खेलों का जज्बा सिखाती है। दादरी की रामबाई ने 104 साल की उम्र में ट्रैक पर दौड़कर देश का नाम रोशन किया और “उड़नपरी दादी” बन गईं।
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वहीं बाढड़ा के रामकिशन शर्मा 75 साल की उम्र में 280 मेडल जीतकर “मेडल मशीन” कहलाने लगे। उम्र को मात देकर ये दोनों एथलीट आज भी मैदान पर पसीना बहाकर नई पीढ़ी के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं।
108 साल की उम्र में चूरमा व दूध लेती हैं रामबाई
गांव कादमा की रहने वाली रामबाई ने बीते करीब 8 महीने से किसी प्रतियोगिता में शिरकत नहीं की है। लेकिन उन्होंने अभ्यास जारी रखा है और उनकी इच्छा है कि वे फिर से मैदान पर उतरकर देश व प्रदेश के लिए मेडल हासिल करें।
अभ्यास के साथ वे डाइट पर भी उतना ही ध्यान दे रही हैं, जो एक युवा पहलवान देता है। रामबाई घर पर बना देसी खाना लेती हैं। वे दोनों समय दूध के साथ चूरमा खाती हैं। इसके अलावा गर्मी के मौसम में मूंग के लड्डू व सर्दियों में गोंद के लड्डू उनके पसंदीदा हैं।
108 वर्षीय बुजुर्ग खिलाड़ी रामबाई गोला फेंकते हुए, फाइल फोटो।
पहले प्रैक्टिस की नहीं होती थी जरूरत
रामबाई ने बताया कि आज के युवा जिम व दूसरे स्थानों पर शरीर को फिट रखने के लिए मेहनत करते हैं। लेकिन उनके समय में प्रैक्टिस की जरूरत नहीं थी और लोग जो घरेलू काम करते थे उससे ही संपूर्ण शरीर की प्रैक्टिस हो जाती थी और लोग स्वस्थ रहते थे।
उन्होंने बताया कि वे हाथ से चक्की चलाकर आटा पीसना, कुएं से पानी निकालना, पशुओं के लिए चारा काटना आदि काम करती थी। जिससे प्रैक्टिस हो जाती थी। आज की दिनचर्या और खाने ने लोगों को बीमार बना दिया है।
105 साल की उम्र में तोड़ा नेशनल रिकॉर्ड
रामबाई ने 2021 में 104 साल की उम्र में खेल प्रतियोगिताओं में भागीदारी शुरू की और इस दौरान उन्होंने इंटरनेशनल, नेशनल और स्टेट लेवल पर दर्जनों मेडल हासिल किए। उन्होंने 105 साल की उम्र में 2022 में गुजरात के बड़ोदरा में पंजाब की धावक मान कौर का रिकॉर्ड तोड़ते हुए नया रिकॉर्ड कायम किया।
नेशनल ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उन्होंने 100 मीटर दौड़ 45.40 सेकेंड में पूरी कर देश का रिकॉर्ड तोड़ा—जो पहले मान कौर के नाम था, जिन्होंने 74 सेकेंड में यह रेस पूरी की थी। जिसके बाद से रामबाई को उड़नपरी दादी के नाम से जाना जाता है।

बुजुर्ग एथलीट रामबाई मेडल प्राप्त करते हुए, फाइल फोटो।
मेडल मशीन के नाम जानते हैं रामकिशन
बाढड़ा के रहने वाले रामकिशन शर्मा (75) अब तक सैकड़ों मेडल जीत चुके हैं। नशे से दूर रहकर अपने आपको इस उम्र में स्वस्थ रखने वाले रामकिशन शर्मा युवाओं को शराब, चाय, बीड़ी, सिगरेट से दूर रहने की सलाह देते हैं।
इसके लिए वे नशामुक्ति अभियान चलाते हैं। वे अपने आप को फिट रखकर एक के बाद प्रतियोगिताओं में भागीदारी करते हैं। वे जिस भी प्रतियोगिता में भागीदारी में करने जाते हैं, वहां दूसरे खिलाड़ी सिल्वर और ब्रॉन्ज के लिए ही मुकाबला करते नजर आते हैं। क्योंकि गोल्ड लगभग उनका पक्का होता है।
वे प्रतियोगिताओं में गुच्छों में मेडल हासिल करते हैं। यही कारण है कि लोग उन्हें मेडल मशीन के नाम जानते हैं। रामकिशन शर्मा पहले अनाज का कारोबार करते थे। करीब 67 साल की उम्र में वे ग्रामीण खेल प्रतियोगिता देखने गए थे, जहां बुजुर्गों की दौड़ भी आयोजित की जा रही थी। वहां मौजूद लोगों में से उनके एक जानकार ने उन्हें जबरदस्ती उस दौड़ में भाग लेने के लिए तैयार किया और इस दौड़ में वे प्रथम आए।
इसी दौरान मैच रेफरी की भूमिका निभा रहे अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग धावक नंदलाल ने उनको आगे खेलने के लिए प्रेरित किया। जिसके बाद उन्होंने स्टेट, नेशनल और इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में भागीदारी कर आगे बढ़ते चले गए और आज 75 वर्षीय धावक रामकिशन शर्मा के नाम 280 मेडल हैं।
जिसमें इंटरनेशनल के 6 गोल्ड, नेशनल के 154 गोल्ड, 27 सिल्वर, 5 ब्रॉन्ज मेडल है। इसके अलावा स्टेट के 88 गोल्ड मेडल हैं। वे इसी साल सूरत, चेन्नई व दूसरे स्थानों पर आयोजित एशियाई व नेशनल चैंपियनशिप में भाग लेंगे और उनका लक्ष्य है कि मेडलों की संख्या का तिहरा शतक पूरा किया जाए।

खिलाड़ी रचना परमार को सम्मानित करते बृजभूषण शरण सिंह साथ में मौजूद ओलंपियन मेडलिस्ट योगेश्वरदत्त।
कई खिलाड़ी ओलिंपिक में दिखा चुके जलवा
ओलिंपिक खेलों में प्रदेश के खिलाड़ियों का दबदबा रहा। सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त ने पहलवानी में पदक जीतकर नई पीढ़ी को प्रेरित किया। साक्षी मलिक ने रियो ओलिंपिक 2016 में कांस्य पदक जीतकर भारतीय महिला पहलवानी का परचम लहराया।
वहीं, नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलिंपिक 2020 में भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। पेरिस ओलिंपिक 2024 में हरियाणा के नीरज चौपड़ा, मनु भाकर, अमन सहरावत का शानदार प्रदर्शन रहा और भारत के लिए मेडल जीते।
हरियाणा को पहलवानों की धरती कहा जाता
हरियाणा की मिट्टी पहलवानों के लिए जानी जाती है। गांव-गांव में अखाड़ों की परंपरा रही है। गीता, बबीता, विनेश फोगाट ने न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया में महिला कुश्ती को नया मुकाम दिलाया। उनसे प्रेरणा लेकर आज युवा महिला खिलाड़ी रचना परमार, रीना सांगवान, तपस्या ने कुश्ती में अपनी पहचान छोड़ आगे बढ़ रहीं हैं।
हरियाणा के खिलाड़ी केवल कुश्ती या एथलेटिक्स तक ही सीमित नहीं रहे। हॉकी के मैदान पर संदीप सिंह, हरमनप्रीत सिंह, जैसे खिलाड़ियों ने भारत को नई पहचान दिलाई। बॉक्सिंग में विजेंदर सिंह अपने दमदार पंच से विरोधियों को मात दी। शूटिंग में मनु भाकर ने गोल्ड जीतकर देश का गौरव बढ़ाया। क्रिकेट में यजुवेंद्र चहल ने प्रतिद्वंदी खिलाड़ियों को अपनी फिरकी में फंसाया है।