भोपाल आएं और न चखी सुलेमानी चाय, तो अधूरा है सफर, 15 साल से नवाबी दौर का जायका परोस रही यह दुकान

भोपाल आएं और न चखी सुलेमानी चाय, तो अधूरा है सफर, 15 साल से नवाबी दौर का जायका परोस रही यह दुकान


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Sulemani Chai Bhopal: भोपाल की गलियों में अब भी नवाबी दौर की मशहूर सुलेमानी चाय मिलती है, जो घंटों तक पकाकर चुटकी भर नमक और मलाई के साथ परोसी जाती है. जानिए क्यों भोपाल से लेकर बाहर से आने वाले लोग इस अनोखी चाय…और पढ़ें

Bhopal News. भोपाल में वैसे तो खाने के शौकीन लोगों की कमी नहीं है, लेकिन नवाबी दौर में भी इसका स्वाद चखने को मिलता रहा है. भोपाल के पुराने जायकों की बात करें तो इसमें सुलेमानी चाय भी शामिल है. चुटकी भर नमक के साथ घंटों तक बनने वाली सुलेमानी चाय की खुशबू आपको पुराने जमाने में ले जाएगी. कप और तश्तरी में परोसी गई और ऊपर से मलाई से सजाई गई सुलेमानी चाय का अनोखा स्वाद लाजवाब है.

लोकल 18 से बात करते हुए दुकान संचालक मोहम्मद आसिफ कुरैशी ने बताया कि वह पिछले 15 साल से लोगों को सुलेमानी चाय पिला रहे हैं. इससे पहले हमारे पिताजी यहां दुकान लगाते थे. न सिर्फ भोपाली बल्कि बाहर से आने वाले लोग भी इस चाय की चुस्की लेने हमारे पास पहुंचते हैं. बता दें, सुलेमानी चाय अपने बनने और परोसे जाने के खास अंदाज के लिए मशहूर है. स्वाद में अलग इस चाय को पुराने भोपाल की जनता बड़े चाव के साथ पीती है.

ऐसे बनती है सुलेमानी चाय
आसिफ ने बताया कि सुलेमानी चाई को बनाने के लिए पानी में चाय पत्ती के साथ खड़ा नमक डाला जाता है. इसे तकरीबन डेढ़ से 2 घंटे तक धीमी आंच पर पकाया जाता है. इसके साथ ही दूध को भी लगभग दो से ढाई घंटे धीमी आंच पर पकाने के लिए छोड़ दिया जाता है, जैसे-जैसे इसमें मलाई आती जाती है. चाय की प्याली में काली चाय को निकाल कर उसमें ऊपर से गर्म दूध मिलाया जाता है. साथ ही बाद में ऊपर से मलाई भी डाली जाती है.

नवाबी दौर से बन रही चाय
यह सुलेमानी चाय नवाबी दौर से बनते हुए आ रही है. भोपाल रियासत पर पहले नवाबों की हुकूमत रही है. अरब व्यापारियों द्वारा केरल के मालाबार तट पर सुलेमानी चाय लाई गई थी, जो बाद में भारतीय मसालों और चीनी से प्रभावित होकर एक लोकप्रिय भारतीय मसालेदार चाय बन गई. यह अरबों के बीच एक प्रथा थी, लेकिन इसे भारतीय परंपराओं के अनुसार अनुकूलित किया गया.

घंटों पकाई जाती चाय
आसिफ बताते हैं कि इस चाय को घंटे पकाया जाता है, जिसके कारण ही इसका स्वाद दोगुना आता है. यदि इसे ज्यादा देर तक पकाया नहीं जाएगा तो यह स्वाद में अलग लगेगी और लोगों को भी इसका जायका पसंद नहीं आएगा. यदि कोई भी बाहरी व्यक्ति यहां घूमने आता है, तो इस सुलेमानी चाई की चुस्की जरूर लेता है.

Dallu Slathia

Dallu Slathia is a seasoned digital journalist with over 6 years of experience, currently leading editorial efforts across Madhya Pradesh and Chhattisgarh. She specializes in crafting compelling stories across …और पढ़ें

Dallu Slathia is a seasoned digital journalist with over 6 years of experience, currently leading editorial efforts across Madhya Pradesh and Chhattisgarh. She specializes in crafting compelling stories across … और पढ़ें

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भोपाल आएं और न चखी सुलेमानी चाय, तो अधूरा है सफर, पीने के लिए लगती लाइन



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