सोईकलां में 228 साल पुरानी परंपरा जीवित, धूमधाम से हुआ सती माता का वार्षिक पूजन
कस्बे में भादौ माह की शुक्ल पक्ष की छठ तिथि पर शुक्रवार को सती माता का वार्षिक पूजन बड़े धूमधाम और पारंपरिक श्रद्धा के साथ आयोजित किया गया। यह विशेष पूजन पूरे जिले में सिर्फ सोईकलां कस्बे में होता है और 228 वर्षों से मीणा समाज के परसावत गोत्र परिवार
.
सुबह से ही कस्बे के आर्य समाज मंदिर के पीछे स्थित सती माता की छत्री पर श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया। परंपरा के अनुसार परसावत परिवार के साथ-साथ सोई क्षेत्र के लगभग 190 परिवारों ने पूजा-अर्चना में भाग लिया। इस अवसर पर परिवार की बहन-बेटियों के लिए विशेष रसोई और भोग का आयोजन किया गया। हर परिवार की ओर से 16 पुए और खीर बनाकर सती माता को अर्पित किए गए।
जानकारों के अनुसार यह परंपरा संवत 1856 से चली आ रही है। माना जाता है कि सोंठवा गांव की दीपा देवी की सगाई सोईकलां निवासी ओंकार मीणा (परसावत) से हुई थी, लेकिन विवाह से पूर्व ही ओंकार का निधन हो गया। अपने मंगेतर की असामयिक मृत्यु से दुखी दीपा देवी 16 किलोमीटर दौड़कर सोईकलां पहुंचीं और ओंकार की चिता पर सती हो गईं। उसी स्थान पर यह मंदिर बना और तभी से हर साल इस दिन श्रद्धापूर्वक पूजन किया जाता है।
इस मौके पर खेतों में हल या ट्रैक्टर नहीं चलाया गया। ग्रामीण मानते हैं कि छठ तिथि पर हल चलाने से बैलों की मृत्यु हुई थी, जिसके बाद से किसान इस दिन खेती-बाड़ी से दूर रहकर परंपरा का सम्मान करते हैं।
पूर्व सरपंच लक्ष्मीनारायण मीणा ने बताया कि तीन पीढ़ियों से यह पूजन सतत जारी है और परसावत परिवार इसे सामाजिक व धार्मिक दायित्व मानकर निभा रहा है। वहीं वंशावली लेखक शंभूदयाल जागा ने कहा कि यह पूजा सोंठवा की बेटी दीपा मरमट की सती गाथा को आज भी जीवंत बनाए हुए है।