Last Updated:
Sagar Farmer Success Story: सागर के 65 वर्षीय किसान शोभाराम पटेल ने मात्र 6 किलो बीज से अश्वगंधा की खेती कर पहले ही साल डेढ़ लाख का मुनाफा कमाया. जानें कैसे खेती में नवाचार से उन्होंने रिटायरमेंट की उम्र में भी…और पढ़ें
अनुज गौतम, सागर: आमतौर पर 65 साल की उम्र में लोग थककर घर बैठ जाते हैं, नौकरी वाले रिटायर होकर खुद को बेकार समझने लगते हैं. लेकिन मध्यप्रदेश के एक किसान ने इस उम्र में ऐसा कमाल कर दिखाया है, जो युवाओं के लिए भी मिसाल बन गया है.
सागर से करीब 40 किलोमीटर दूर टेहरा टेहरी गांव के शोभाराम पटेल ने 65 साल की उम्र में खेती में नवाचार करते हुए अश्वगंधा की खेती शुरू की. उन्होंने रिस्क लिया और पहले ही साल मात्र 6 किलो बीज से 70 डिसमिल जमीन पर फसल बोई. नतीजा ऐसा आया कि उन्होंने डेढ़ लाख रुपए का मुनाफा कमा लिया.
पिता से मिली प्रेरणा, मेले से आया आइडिया
शोभाराम के पिता वैध थे और जड़ी-बूटियां खोजकर लाते थे. शोभाराम भी कई बार औषधीय पौधों की तलाश में जाते थे. एक बार भोपाल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय वन मेले में जब उन्होंने कई हर्बल पौधे देखे तो उनके मन में ख्याल आया कि क्यों न जड़ी-बूटियों की खेती खुद ही शुरू की जाए. यहीं से अश्वगंधा की खेती करने का विचार आया.
खेत में उगाई औषधीय दौलत
आज शोभाराम पटेल के खेत में अश्वगंधा के अलावा कई तरह के औषधीय पौधे लगे हैं. वह बताते हैं कि अश्वगंधा की जड़ सबसे कीमती होती है, जिससे पाउडर बनता है और वह कई बीमारियों में काम आता है.
खेती का तरीका
शोभाराम किसानों को सलाह देते हैं कि अश्वगंधा की खेती के लिए ऐसी जमीन चुनें, जहां कम से कम दो साल से कीटनाशक का उपयोग न हुआ हो. पहले खेत की गहरी जुताई कराएं, मिट्टी को मुलायम (मक्खन जैसी) बनाएं, उसमें गोबर की खाद डालें. जितनी अच्छी मिट्टी होगी, उतनी ही अच्छी और मोटी जड़ें निकलेंगी.
हर्बल फैक्ट्रियों से होता है सीधा अनुबंध
मार्केटिंग की समस्या भी अब नहीं है. शोभाराम बताते हैं कि आजकल हर्बल फैक्ट्रियां सीधे किसानों से अनुबंध कर लेती हैं. अगर कोई किसान नीमच मंडी नहीं जाना चाहता तो सीधा फैक्ट्री को भी फसल बेच सकता है.
मिसाल बन गए शोभाराम
शोभाराम पटेल ने उम्र के इस पड़ाव में साबित कर दिया है कि खेती में मेहनत और नवाचार से बड़ी सफलता पाई जा सकती है. उनकी कहानी उन युवाओं के लिए भी सीख है, जो खेती को घाटे का सौदा मानते हैं.