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How is cotton grown and harvested: खरगोन जिले में बीटी कॉटन की बुवाई 2 लाख हेक्टेयर में हुई है. इस समय फसल में घेटे बनने लगे हैं, जो पुष्पन और फलन की मुख्य अवस्था है.
इस समय कपास की फसल पुष्पन और फलन की अवस्था में है. झेंडे (घेटे) बनने लगे है. कृषि विशेषज्ञ बताते है कि, इस अवस्था में किसानों को अपनी फसलों की खास देखभाल करनी चाहिए. उन्हें फसल को पर्याप्त मात्रा में नत्रजन उपलब्ध कराना चाहिए. लेकिन, कई बार किसान इसे नजर अंदाज कर देते है. जो एक बड़ी गलती है. ऐसा करने पर उत्पादन गिर जाता है और किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है.
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजीव सिंह बताते हैं कि, एक एकड़ में करीब 100 किलो यूरिया लगती है. बुवाई के समय ही किसानों को सलाह दी जाती है कि एक बार में पूरी यूरिया नहीं डाले. बुवाई के एक महीने बाद 25 किलो, 60 दिन बाद 25 किलो, 90 दिन बाद 25 किलो और 120 दिन बाद 15 किलो डाले. इस तरह से फसल को आखरी तक नत्रजन मिलता रहता है.
किसान नहीं करें ये गलती
अभी कपास में घेटे बन गए है या बनने लगे है. ऐसे में फसल को नत्रजन की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है. लेकिन, किसान गलती ये करते है कि बताए तरीके को अपनाते नहीं है. पहले ही पूरी यूरिया डालकर फ्री हो जाते है और बाद में डालते नहीं है. जब घेटे बनते है तो उस समय पत्तों को नत्रजन मिलना कम हो जाता है और पत्ते लाल या पीले होकर सूखने लगते है.
फसल में नत्रजन का मुख्य कार्य
वैज्ञानिक डॉ. सिंह बताते है कि, पत्ते लाल होने लग जाए तो समझ जाए कि फसल में नत्रजन की कमी है और तुरंत नत्रजन का छिड़काव कर दें. ताकि पत्ते हरे रहे. क्योंकि, पत्तों का मुख्य कार्य भोजन बनाना होता है. अगर पत्ते हरे नहीं रहेंगे तो घेटे का विकास पूरी तरह नहीं होगा और रूई की मात्रा भी घट जाएगी. इसलिए किसानों को समय पर नत्रजन की पूर्ति करना जरूरी है.
Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked a…और पढ़ें
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