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Satna News: सतना के राकेश साहू को अब संभवता पद्मश्री से भी नवाज़ा जा सकता है. 20 साल की तपस्या से उन्होंने कागज़ पर रचा ऐसा अद्भुत ग्रंथ, जिसमें कथा या क़िस्से नहीं, केवल ‘राम नाम’ है.
एकादशी से शुरुआत, 13 साल की यात्रा
लोकल 18 से बातचीत में राकेश ने बताया, इस लेखन यात्रा की शुरुआत दीपावली के बाद की एकादशी 2005 में हुई थी. उनका लक्ष्य था 84 लाख बार राम नाम लिखना. यह संख्या उन्होंने 16 दिसंबर 2017 को पूरी की, जिसमें उन्हें पूरे 13 साल लग गए. लेकिन, यह सफर यहीं नहीं थमा, आज वे एक करोड़ से भी ज्यादा बार राम नाम लिख चुके हैं.
राकेश कहते हैं कि जीवन केवल काम करो, खाना खाओ और सो जाओ के चक्र में सिमटकर रह जाता है. वे अपने जीवन को सार्थक करना चाहते थे और इसी विचार से उन्होंने 84 लाख राम नाम लिखने का संकल्प लिया. हिंदू मान्यताओं में 84 को अत्यंत शुभ माना जाता है. दिलचस्प बात ये कि राम मंदिर से जुड़े कई ऐतिहासिक व धार्मिक संयोग भी इस संख्या से मेल खाते हैं.
राम मंदिर और आस्था से जुड़े संयोग
राकेश ने बताया कि 2019 में जब 8 नवंबर को एकादशी थी, अगले दिन यानी 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया. यही नहीं जिस तरह भगवान राम का वनवास 14 साल का था वैसे ही उनके राम नाम लेखन का 14वां साल भी 84 लाख नामों की पूर्णता का साक्षी बना. वहीं राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन 84 सेकंड का विशेष काल रखा गया था जिसे राकेश ने ईश्वर का संकेत और अपने प्रयासों का दिव्य आशीर्वाद माना.
यह पुस्तक केवल एक साधना नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र भी है. राकेश ने इसके लिए एक विशेष विजिटर बुक बनाई है, जिसमें अब तक 15 राज्यों से आए लोग अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं. यह नायाब रिकॉर्ड सतना को धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अलग पहचान दिला रहा है.
पद्मश्री के लिए नामांकन और सतना का गौरव
हाल ही में सतना कलेक्टर ने राकेश साहू का नाम पद्मश्री सम्मान के लिए रेफरेंस के तौर पर भेजा है. राकेश का कहना है कि यह सम्मान यदि मिलता है तो यह केवल उनका नहीं, बल्कि पूरे सतना का गौरव होगा. वे मानते हैं कि उनकी यह अनोखी साधना अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत और विंध्य क्षेत्र की पहचान को नई ऊंचाई देगी.