रायसेन जिले के बरेली में कचरा वाहन से मिली नवजात बच्ची के मामले में पुलिस ने रविवार को आरोपी मां को हिरासत में ले लिया। बच्ची को जिस टी-शर्ट में लपेटकर फेंका गया था, वह सुराग बनकर पुलिस तक पहुंची।
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एक व्यक्ति ने टी-शर्ट को पहचान लिया। उसने बताया कि यह टी-शर्ट होली के दौरान उसने घर में काम करने वाली दो महिलाओं में से एक को दी थी। थाना प्रभारी कपिल गुप्ता और टीम ने जांच शुरू की।
सिविल ड्रेस में संदिग्ध महिलाओं तक पहुंची पुलिस पुलिस ने महिला की गरिमा का ध्यान रखते हुए डॉक्टर, नर्स और महिला पुलिसकर्मी मलेरिया जांच के बहाने सिविल ड्रेस में संदिग्ध महिलाओं के घर पहुंचे। एक महिला पर शक होने पर उसे सिविल अस्पताल ले जाया गया। चिकित्सकों ने पुष्टि की कि उसने हाल ही में बच्चे को जन्म दिया है।
30 वर्षीय आरोपी महिला ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। वह लंबे समय से पति से अलग अपने पिता के साथ रहती है। मजदूरी करने वाली इस महिला ने बताया कि आर्थिक तंगी और लोकलाज के कारण उसने बच्ची को फेंक दिया।
पुलिस ने घटना के दिन सिविल अस्पताल के प्रसव रिकॉर्ड भी खंगाले। उस दिन अस्पताल में जन्मी चारों बच्चियां अपनी माताओं के साथ सुरक्षित मिलीं। इससे स्पष्ट हुआ कि फेंकी गई बच्ची का जन्म अस्पताल में नहीं हुआ था।
महिला का सिविल अस्पताल में चल रहा इलाज जानकारी में यह भी सामने आया कि महिला ने गर्भवती होने की सूचना न तो आंगनवाड़ी को दी और न ही अस्पताल को। उसने बच्ची को घर पर ही जन्म दिया था।
घटना वाले दिन से वह जिन घरों में काम करती थी, वहां दो दिन तक नहीं गई। लोगों को शक न हो, इस डर से तीसरे दिन काम पर भी चली गई थी। महिला लोकलाज के डर से इलाज कराने अस्पताल नहीं आई थी। वर्तमान में उसे पुलिस सुरक्षा में रखा गया है और उसका इलाज सिविल अस्पताल में चल रहा है। महिला ने बच्ची को अपने पास रखने से मना कर दिया है।