बचपन में शुरू हुई यह आदत
संजय बताते हैं कि महज 12 साल की उम्र में उन्होंने पान खाना शुरू किया. पान खाते वक्त दांतों में फंसी सुपारी को निकालने के लिए वह माचिस की तीलियों या अगरबत्ती की काड़ियों का इस्तेमाल करते थे, जो जल्दी टूट जाती थीं. विकल्प की तलाश में उन्होंने पिन का सहारा लिया और धीरे-धीरे पिन को मुंह में दबाए रखना उनकी आदत बन गई और साल दर साल पिन की संख्या बढ़ती गई.
संजय विश्वकर्मा ने लोकल 18 से बताया, उन्होंने कभी पिन खरीदी नहीं, बल्कि कपड़े की दुकानों, सरकारी दफ्तरों या ऑफिस से वे चुपके से पिन उठा लिया करते थे. समय के साथ उनके पास पीतल, स्टील, लोहे और तरह-तरह की डिज़ाइन वाली पिनों का एक बड़ा कलेक्शन तैयार हो गया. लोग उन्हें अब उनकी इसी आदत के कारण पहचानते हैं और उनकी अनोखी आदत स्थानीय चर्चाओं का विषय बन गई है.
मुंह में पिन, कोई दिक्कत नहीं
संजय कहते हैं, चाहे ब्रश करना हो, खाना खाना हो या सोना-जागना हो, उनके मुंह में हमेशा पिन दबी रहती है. कुछ साल पहले जब उन्हें मीडिया ने जबलपुर अस्पताल ले जाकर जांच कराई तो डॉक्टर भी हैरान रह गए. रिपोर्ट में सामने आया कि जिस साइड से वे पान खाते हैं, वहां दांत ज़रूर घिसे हुए हैं. चूने के कारण मुंह कटा है, लेकिन जिस हिस्से में पिन रहती है, वहां सब कुछ पूरी तरह सुरक्षित है.
शुरुआत में उनके माता-पिता ने इस आदत पर नाराजगी जताई, लेकिन समय के साथ वे भी इसे नजरअंदाज करने लगे. संजय ने बताया कि स्कूल और कॉलेज के दिनों में उन्होंने कभी अपनी इस अजीबोगरीब आदत को सार्वजनिक नहीं होने दिया. हालांकि, अब लोग खुलेआम उनसे सवाल पूछते हैं और हैरत से उनकी ओर देखते हैं.
एयरपोर्ट पर भी हुआ अनुभव
संजय ने हंसते हुए बताया, एक बार एयरपोर्ट पर उन्हें डर लगा कि कहीं सिक्योरिटी चेक के दौरान उनसे पिन निकलवा न ली जाए. हालांकि, वे बिना किसी परेशानी के वहां से गुजर गए. उनका कहना है कि यह आदत अब उनकी जिंदगी का हिस्सा बन चुकी है और इसे छोड़ना काफी मुश्किल है.