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मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल है नबू भाई नामक मुस्लिम शख्स, पिछले 12 साल से बिना शुल्क लिए हिंदू शवों के अंतिम संस्कार में मदद कर रहे हैं. कोरोना काल में भी उन्होंने निस्वार्थ सेवा की।
महाजनापेठ क्षेत्र में रहने वाले नबू भाई का कहना है कि मैं 12 वर्षों से यहां पर सेवा का काम कर रहा हूं कोई भी शुल्क नहीं लेता हूं. कोरोना काल में शवों को कोई हाथ तक नहीं लगाता था. मैंने उन लोगों का भी अंतिम संस्कार किया, जब किसी के यहां पर मौत होती है, मुझे जैसे ही सूचना लगती है तो मैं श्मशान घाट पर पहुंच जाता हूं. वहां पर लकड़ी जमाने से लेकर तो शव दाह संस्कार तक मौजूद रहता हूं. जब दूसरे दिन लोग अस्थियां लेने आते हैं उसमें भी मैं मदद करता हूं.
नबू भाई ने बताया कि मैं शमशान घाट के पास ही रहता हूं. जब एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. तब उसकी हेल्प करने वाला और उसके परिवार की हेल्प करने वाला कोई नहीं था. तब मुझे लगा कि उन्हें इस काम में मदद की जाए तब मैंने वहां जाकर उनकी मदद की. तब मेरे मन में ऐसा आया कि मैं रोज यहीं पर रहता हूं और कबर खोदने का काम करता हूं. तब से मैं यहां पर जो भी अंतिम संस्कार के लिए शव आते हैं उनके दाह संस्कार में मदद करने का काम करता हूं.
कबर खोद कर परिवार का करता हूं पालन पोषण
नबू भाई ने बताया कि मैं कक्षा चौथी तक पढ़ा हूं. मैं पिछले 30 वर्षों से कबर खोदने का काम कर रहा हूं. अभी फिलहाल में उम्र करीब 50 वर्ष है. मैं इस क्षेत्र में कबर खोदता हूं. जिससे परिवार का पालन पोषण भी होता है और सेवा भी होती है.
Dallu Slathia is a seasoned digital journalist with over 6 years of experience, currently leading editorial efforts across Madhya Pradesh and Chhattisgarh. She specializes in crafting compelling stories across …और पढ़ें
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