‘मौलाना लिखूं तो लिखूं कैसे?’, सीएम मोहन यादव फिर सुर्खियों में, चौंका देगी वजह

‘मौलाना लिखूं तो लिखूं कैसे?’, सीएम मोहन यादव फिर सुर्खियों में, चौंका देगी वजह


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MP CM Mohan Yadav News: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का मौलाना गांव को लेकर दिया गया पुराना बयान फिर चर्चा में है. इस बयान में उन्‍होंने कहा था कि मौलाना गांव का नाम लिखने में उनका पेन अटकता है, क्योंकि…और पढ़ें

मौलाना लिखूं तो लिखूं कैसे?, सीएम मोहन यादव फिर सुर्खियों में, चौंका देगी वजहएमपी के सीएम मोहन यादव ने अपने पुराने बयान को एक बार फिर दोहरा दिया है.
भोपाल. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा गांवों के नाम बदलने को लेकर दिया गया बयान फिर से सुर्खियों में है. उज्जैन जिले के तीन गांवों ‘मौलाना, गजनीखेड़ी और जहांगीरपुर’ के नाम बदले जाने की घोषणा के दौरान सीएम यादव ने कहा था कि “मौलाना गांव का नाम लिखने में पेन अटकता है.” अब इस गांव का नाम बदलकर विक्रम नगर कर दिया जाएगा. दरअसल, बड़नगर में आयोजित एक जनसभा में मुख्यमंत्री ने ऐलान किया था कि राज्य सरकार ऐसे स्थानों के नाम बदलेगी जिनका नाम लेने या लिखने में “जुबान या कलम अटकती है”. इसी कड़ी में गजनीखेड़ी गांव का नाम चामुंडा माता नगर और जहांगीरपुर का नाम जगदीशपुर रखा जाएगा.

सीएम यादव ने हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में इस मुद्दे पर फिर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि “एक गांव का नाम मौलाना है, लेकिन वहां मुस्लिम समाज का एक भी व्यक्ति नहीं है. जब गांव में कोई मौलाना है ही नहीं तो फिर गांव का नाम मौलाना क्यों?” उन्होंने आगे कहा कि जब भी वे उस गांव का नाम लिखते हैं, उनके मन में सवाल आता है कि आखिर “मौलाना लिखूं तो लिखूं कैसे?”

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नाम बदलने का निर्णय गांववालों की मांग पर लिया
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह नाम बदलने का निर्णय गांववालों की मांग पर लिया गया है. स्थानीय निवासियों ने लिखित में कहा था कि उनका गांव पूरी तरह हिन्दू आबादी वाला है और वे चाहते हैं कि इसका नाम बदलकर विक्रम नगर रखा जाए. यादव ने कहा, “मौलाना गांव के लोग अपने बलबूते पर प्राइवेट सेक्टर में इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट से जुड़े हैं. यहां मशीनें तक मिल जाती हैं, लेकिन नाम लिखते वक्त पेन अटकता है. इसलिए हमने लोगों की इच्छा के अनुसार इसका नाम सम्राट विक्रमादित्य से जोड़कर विक्रम नगर रखा.”

केवल कानून और प्रक्रिया का पालन कर रहे
मोहम्मदपुर गांव के नाम बदलने के सवाल पर भी उन्होंने कहा कि “अगर किसी गांव में एक भी मोहम्मद नहीं है और वहां मंदिर है तो गांव वाले ही लिखकर देते हैं कि नाम बदला जाए.” उन्होंने दोहराया कि वह केवल कानून और प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं. यह पहला मौका नहीं है जब मध्य प्रदेश में नाम बदलने की राजनीति सुर्खियों में आई हो. इससे पहले भी कई स्थानों और शहरों के नाम बदले गए हैं. लेकिन मौलाना गांव का उदाहरण खास इसलिए बना क्योंकि मुख्यमंत्री ने इसे “पेन अटकने वाली बात” कहकर जोड़ा. स्थानीय स्तर पर इस फैसले को समर्थन भी मिला है, वहीं राजनीतिक हलकों में इस पर बहस जारी है.

Sumit verma

सुमित वर्मा, News18 में 4 सालों से एसोसिएट एडीटर पद पर कार्यरत हैं. बीते 3 दशकों से सक्रिय पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखते हैं. देश के नामचीन मीडिया संस्‍थानों में सजग जिम्‍मेदार पदों पर काम करने का अनुभव. प…और पढ़ें

सुमित वर्मा, News18 में 4 सालों से एसोसिएट एडीटर पद पर कार्यरत हैं. बीते 3 दशकों से सक्रिय पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखते हैं. देश के नामचीन मीडिया संस्‍थानों में सजग जिम्‍मेदार पदों पर काम करने का अनुभव. प… और पढ़ें

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