वारंटी में थी स्‍कूटी, डीलर ने मरम्‍मत के ल‍िए थमा द‍िया 6,804 रुपये का बिल, अब आयोग ने कहा – फाइन के साथ पैसे वापस करो

वारंटी में थी स्‍कूटी, डीलर ने मरम्‍मत के ल‍िए थमा द‍िया 6,804 रुपये का बिल, अब आयोग ने कहा – फाइन के साथ पैसे वापस करो


नई द‍िल्‍ली : जिला उपभोक्ता आयोग ने साहिबाबाद के एक ऑटोमोबाइल शोरूम को आदेश दिया है कि वह एक स्कूटर के मरम्मत खर्च को वापस करे, जिसे उसने उसके मालिक से वसूला था, जबकि वह टू-वीलर वारंटी अवधि में था. राजनगर एक्सटेंशन की निवासी प्रिया जैन ने मि. धमीजा एंटरप्राइजेज से एक टीवीएस जुपिटर खरीदा था. इस टू-वीलर के साथ पांच साल या 50,000 किलोमीटर की वारंटी थी, जो भी पहले हो.

जैन ने उपभोक्ता आयोग को बताया क‍ि मेरे स्कूटर ने केवल 15,000 किलोमीटर ही चलाया था और वह वारंटी अवधि में था, जब उसमें इंजन की समस्या आई. बिना किसी परेशानी के मरम्मत की उम्मीद करते हुए, वह तब हैरान रह गईं जब डीलर ने समस्या का निदान किया, इंजन की मरम्मत की और उन्हें 6,804 रुपये का बिल थमा दिया. उनके विरोध और स्पष्ट वारंटी शर्तों के बावजूद, डीलर ने मरम्मत को वारंटी के तहत कवर करने से इनकार कर दिया.

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उपभोक्‍ता आयोग में श‍िकायत
जैन ने पिछले साल 7 सितंबर को उपभोक्ता आयोग का रुख किया और इंजन की मरम्मत के लिए वसूली गई राशि की वापसी की मांग की. उन्होंने जोर देकर कहा कि डीलर द्वारा वारंटी का सम्मान न करना न केवल अनुबंध का उल्लंघन है, बल्कि उपभोक्ता के रूप में उनके अधिकारों का भी हनन है. आयोग, जिसमें अध्यक्ष प्रवीण कुमार जैन और सदस्य आरपी सिंह शामिल थे, ने स्पीड पोस्ट के जर‍िए धमीजा एंटरप्राइजेज को नोटिस भेजा, लेकिन डीलर ने न तो जवाब दिया और न ही आयोग के सामने पेश हुआ.

डीलर की ओर से कोई प्रतिनिधि नहीं होने के कारण, आयोग ने मामले की सुनवाई एकतरफा की.

जैन के दस्तावेजों और सबूतों की गहन समीक्षा के बाद, आयोग ने पाया कि स्कूटर मरम्मत के समय वारंटी अवधि के भीतर था. आयोग ने अपने 20 अगस्त के आदेश में कहा क‍ि वारंटी के तहत कवर किए जाने वाले मरम्मत के लिए ग्राहक से शुल्क लेना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत सेवा में स्पष्ट कमी है.

नहीं चुकाई राश‍ि तो क्‍या होगा?
कुल Rs 11,804 की राशि आदेश के 45 दिनों के भीतर जैन को दी जानी चाहिए. यदि डीलर इस अवधि के भीतर अनुपालन करने में विफल रहता है, तो आयोग ने 6% प्रति वर्ष की दर से ब्याज लगाने का प्रावधान किया है जब तक कि पूरी राशि का भुगतान नहीं हो जाता.



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