आमतौर पर फिल्म बनाने के लिए बड़े बजट और आधुनिक उपकरणों की ज़रूरत होती है, लेकिन मलगांव के इन युवाओं ने यह साबित कर दिया कि इच्छाशक्ति और लगन हो तो संसाधनों की कमी भी बाधा नहीं बनती. मोबाइल कैमरे से शूट हुई इस फिल्म में किसानों ने अपनी मेहनत और हुनर का ऐसा परिचय दिया है, जो दूसरों के लिए प्रेरणा बन रहा है.
टीम के युवा भावेश पटेल बताते हैं कि फिल्म की तैयारी लंबे समय से चल रही थी. सभी युवाओं के पास काम और खेती की जिम्मेदारी थी, इसलिए समय निकालना आसान नहीं था. लेकिन हर रविवार वे मिलकर मूवी की शूटिंग करते रहे. आखिरकार मेहनत रंग लाई और फिल्म को पूरा कर लिया गया.
कॉमेडी का तड़का
“गब्बर इज बैंक” एक शॉर्ट कॉमेडी मूवी है. ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित इस फिल्म में युवाओं ने हंसी और मनोरंजन के साथ अपने टैलेंट का भी खूब इस्तेमाल किया है. उनका कहना है कि दर्शक इस मूवी को देखकर न सिर्फ हंसेंगे, बल्कि यह भी समझेंगे कि गांव का युवा किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है.
कमलेश पटेल बताते हैं कि युवाओं के दिमाग में फिल्म बनाने का ख्याल तब आया, जब वे खुद फिल्में देखते थे. पहले उन्हें लगा कि इसके लिए भारी-भरकम उपकरण और पैसा लगेगा. लेकिन बाद में उन्होंने रिसर्च की और पाया कि मोबाइल कैमरे से भी बेहतरीन कंटेंट तैयार किया जा सकता है. इसी सोच के साथ उन्होंने टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल किया और जीरो बजट में मूवी तैयार कर दी.
रिलीज होगा यूट्यूब पर
निर्देशक भावेश पटेल ने कहा यह शॉर्ट मूवी निमाड़ क्रिएशन नाम के यूट्यूब चैनल पर रिलीज की जाएगी. फिल्म का टीज़र पहले ही सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया है, जिसे दर्शकों का भरपूर प्यार मिला. युवाओं का कहना है कि उन्हें इतनी उम्मीद नहीं थी कि टीज़र इतना वायरल होगा, लेकिन लोगों का समर्थन और उत्साह ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है.
भविष्य की उम्मीदें
अन्य टीम के सदस्यों का कहना है कि अगर भविष्य में मुंबई या किसी अन्य जगह बड़े स्तर पर काम करने का मौका मिलता है तो यह उनके लिए सौभाग्य की बात होगी. लेकिन फिलहाल उनका मकसद यही है कि अपने गांव और जिले का नाम रोशन करें और यह संदेश दें कि सपनों को पूरा करने के लिए सिर्फ मेहनत और जुनून चाहिए, पैसा नहीं.
मलगांव के इन आठ युवाओं भावेश पटेल , कमलेश पटेल ,पवन पटेल ,शुभम तिरोले ,कपिल पटेल , अंकित पटेल , आयुष पटेल , चंद्र शेखर कर्मा की यह कहानी इस बात का सबूत है कि आधुनिक तकनीक और रचनात्मक सोच से गांव के खेतों से भी नए सपनों का जन्म हो सकता है. यह फिल्म न सिर्फ मनोरंजन करेगी, बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी यह सिखाएगी कि जुनून के आगे कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती.