प्रदेश में ज्यादातर हिस्सों में बारिश हुई है।
स्ट्रॉन्ग सिस्टम के एक्टिव होने से मध्यप्रदेश में एक बार फिर तेज बारिश का दौर शुरू हो गया है। सोमवार को भोपाल, रतलाम, दमोह, ग्वालियर समेत 26 से ज्यादा जिलों में बारिश हुई। रतलाम का पलसोड़ा गांव पानी में पूरी तरह डूब गया। नदियां उफान पर आ गईं, जबकि डैम
.
अगले 24 घंटे के दौरान ढाई से साढ़े 4 इंच तक बारिश हो सकती है, उन जिलों में उज्जैन, रतलाम, आगर-मालवा, राजगढ़, गुना, शिवपुरी, धार, बुरहानपुर, खंडवा, हरदा, कटनी, उमरिया, शहडोल, डिंडौरी और अनूपपुर शामिल हैं। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर में भी बारिश का दौर जारी रह सकता है।
रतलाम में गांव डूबा, मुरैना में तिरपाल के नीचे अंतिम संस्कार मानसून ट्रफ की एक्टिविटी इस समय प्रदेश में है। सोमवार को 26 से अधिक जिलों में बारिश हुई। सबसे ज्यादा दमोह में 2.3 इंच पानी गिर गया। रतलाम-दतिया में डेढ़ इंच, ग्वालियर में पौन इंच और भोपाल में आधा इंच बारिश हो गई। बैतूल, इंदौर, पचमढ़ी, गुना, शाजापुर, भिंड, निवाड़ी, छतरपुर, बालाघाट, मंदसौर, सतना, नर्मदापुरम, शिवपुरी, छिंदवाड़ा, जबलपुर, नौगांव, सागर, सिवनी, सीधी, टीकमगढ़, उमरिया, बालाघाट में भी बारिश का दौर बना रहा।
मुरैना के अंबाह में तिरपाल ढांककर अंतिम संस्कार किया गया। वहीं, दमोह में एक मकान गिर गया। मलबे में दबने से एक व्यक्ति की मौत हो गई। उसकी पत्नी घायल है, जिसे अस्पताल ले जाया गया। राजधानी भोपाल में रुक-रुककर कभी तेज तो कभी रिमझिम बारिश जारी रही। रतलाम के धोलावाड़ डैम के तीन गेट खोलने पड़े। पलसोड़ा गांव पानी में पूरी तरह डूब गया। लोग छतों पर चढ़कर बैठे रहे। उसरगार और अमलेटा गांव के बीच नाले की पुलिया धंसने से ट्रैफिक रुक गया। उपलई गांव में एक कार पलट गई। ग्रामीणों ने कार सवार लोगों को बाहर निकाला।
मंदसौर में शिवना नदी उफान पर रही। बालाघाट में देर रात आकाशीय बिजली गिरने से तीन कॉन्स्टेबल घायल हो गए। हॉक फोर्स में शामिल देवेंद्र, छत्रपाल और उज्ज्वल नक्सली सर्चिंग पर निकले थे। उन्हें स्पेशल वाहन से बेहतर उपचार के लिए महाराष्ट्र के गोंदिया भेजा गया।
सोमवार को तेज बारिश की तस्वीरें…

भोपाल में सुबह से शाम तक कभी तेज तो कभी रिमझिम बारिश का दौर बना रहा।

पलसोड़ा गांव पानी में पूरी तरह डूब गया और लोग घरों की छत पर चढ़ गए।

उपलई गांव में कार पलट गई। इसमें सवार लोगों को ग्रामीणों ने निकाला।

ग्वालियर में रविवार रात से ही रिमझिम बारिश का दौर जारी रहा।
इस वजह से तेज बारिश का दौर सीनियर मौसम वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन ने बताया, प्रदेश के उत्तरी हिस्से में दो ट्रफ गुजर रही है। इस वजह से सोमवार को कई जिलों में तेज बारिश का दौर रहा। मंगलवार को भी सिस्टम का असर देखने को मिलेगा।
एमपी में बारिश का कोटा फुल मौसम विभाग के अनुसार, एमपी में अब तक 37.8 इंच बारिश हो चुकी है, जो सीजन की 102 प्रतिशत है। वहीं, अब तक 31.2 इंच बारिश होनी थी। प्रदेश की सामान्य बारिश औसत 37 इंच है। पिछले मानसूनी सीजन में औसत 44 इंच बारिश हुई थी।
गुना में 56 इंच से ज्यादा पानी गिरा इस बार बारिश के मामले में गुना सबसे बेहतर है। यहां 56 इंच बारिश हो चुकी है। गुना में 24 इंच पानी ज्यादा गिर चुका है। मंडला में 54.2 इंच बारिश हो चुकी है। श्योपुर में साढ़े 52.4 इंच, अशोकनगर में 51.8 इंच और रायसेन में 51.5 इंच पानी गिरा है।
वहीं, सबसे कम बारिश वाले 5 जिले इंदौर और उज्जैन संभाग के हैं। इंदौर में सबसे कम 21.3 इंच बारिश हुई है। शाजापुर में 21.6 इंच, खरगोन में 22.6 इंच, खंडवा में 23 इंच और बड़वानी में 24.2 इंच पानी गिरा है।
अब तक इतनी बारिश…



ग्वालियर, चंबल-सागर सबसे बेहतर एमपी में जब से मानसून एंटर हुआ, तब से पूर्वी हिस्से यानी, जबलपुर, रीवा, सागर और शहडोल संभाग में तेज बारिश हुई है। यहां बारिश के स्ट्रॉन्ग सिस्टम एक्टिव रहे। छतरपुर, मंडला, टीकमगढ़, उमरिया समेत कई जिलों में बाढ़ आ गई। इसके अलावा ग्वालियर-चंबल में भी मानसून जमकर बरसा है। प्रदेश के 20 जिलों में बारिश का कोटा फुल हो गया है।
अगले 2 दिन ऐसा रहेगा मौसम…


अब जानिए, एमपी के 5 बड़े शहरों में बारिश का रिकॉर्ड…
भोपाल में 4 साल से कोटे से ज्यादा बारिश भोपाल में सितंबर महीने की औसत बारिश 7 इंच है, लेकिन पिछले 4 साल से कोटे से ज्यादा पानी बरस रहा है। ओवरऑल रिकॉर्ड की बात करें तो साल 1961 में पूरे सितंबर माह में 30 इंच से ज्यादा पानी गिरा था। वहीं, 24 घंटे में सर्वाधिक 9.2 इंच बारिश का रिकॉर्ड 2 सितंबर 1947 को बना था।
इस महीने औसत 8 से 10 दिन बारिश होती है। वहीं, दिन में तापमान 31.3 डिग्री और न्यूनतम तापमान 22.2 डिग्री सेल्सियस तक रहता है।

इंदौर में सितंबर में रिकॉर्ड 30 इंच बारिश इंदौर में सितंबर महीने में रिकॉर्ड 30 इंच बारिश हो चुकी है। यह ओवरऑल रिकॉर्ड है, जो साल 1954 में बना था। वहीं, 20 सितंबर 1987 को 24 घंटे में पौने 7 इंच पानी गिर चुका है। इस महीने इंदौर में औसत 8 दिन बारिश होती है, लेकिन इस बार 15 या इससे अधिक दिनों तक बारिश हो सकती है। सितंबर के आखिरी सप्ताह में मानसून की वापसी होने लगेगी।

ग्वालियर में वर्ष 1990 में गिरा था 25 इंच पानी ग्वालियर में सितंबर 1990 में 647 मिमी यानी, साढ़े 25 इंच बारिश हुई थी। यह सितंबर में मासिक बारिश का ओवरऑल रिकॉर्ड है। वहीं, 24 घंटे में 7 सितंबर 1988 को साढ़े 12 इंच बारिश हुई थी। सितंबर में ग्वालियर की औसत बारिश करीब 6 इंच है, लेकिन पिछले तीन साल से इससे अधिक बारिश हो रही है। ग्वालियर में इस बार अगस्त में ही बारिश का कोटा पूरा हो गया। ऐसे में सितंबर में जितनी भी बारिश होगी, वह बोनस की तरह ही रहेगी।

जबलपुर में 24 घंटे में साढ़े 8 इंच बारिश का रिकॉर्ड सितंबर महीने में जबलपुर में भी मानसून जमकर बरसता है। 20 सितंबर 1926 को जबलपुर में 24 घंटे के अंदर साढ़े 8 इंच बारिश का रिकॉर्ड है। वहीं, पूरे महीने में 32 इंच बारिश साल 1926 को हो चुकी है। यहां महीने में औसत 10 दिन बारिश होती है। वहीं, सामान्य बारिश साढ़े 8 इंच है। पिछले 3 साल से सामान्य से ज्यादा पानी गिर रहा है।

उज्जैन में 1981 में पूरे मानसून का कोटा हो गया था फुल उज्जैन की सामान्य बारिश 34.81 इंच है, लेकिन वर्ष 1961 में सितंबर की बारिश ने ही पूरे सीजन की बारिश का कोटा फुल कर दिया था। इस महीने 1089 मिमी यानी, करीब 43 इंच पानी गिरा था। वहीं, 24 घंटे में सर्वाधिक साढ़े 5 इंच बारिश का रिकॉर्ड 27 सितंबर 1961 में ही बना था।
सितंबर महीने में उज्जैन की सामान्य बारिश पौने 7 इंच है, लेकिन पिछले दो साल से 12 इंच से ज्यादा बारिश हो रही है। इस महीने औसत 7 दिन बारिश होती है।
