किसानों का ‘हरा सोना’…गाय-भैंस को खिला दें ये जादुई चीज, सुबह-शाम बहेंगी दूध की नदियां

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अगर आप अपने पशुओं में दूध बढ़ाना चाहते हैं, तो हम आपको कुछ ऐसी घास बताने जा रहे हैं, जिसे खिलाकर आपके पशु कुछ ही दिनों में बाल्टी भर-भरकर दूध देने लगेंगे. वो कौन सी घास हैं ? आईए जानते हैं एक्सपर्ट से…

Fodder Grass: पशुपालकों के सामने सबसे बड़ी चिंता ये रहती है कि कैसे वे अपने दुधारू पशुओं में दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ाएं. इसके लिए वे तमाम जतन भी करते रहते हैं. यहां हम आपको पशुओं को खिलाई जानी वाली कुछ ऐसी घास के बारे में बता रहे हैं, जिसकी मदद से किसान गाय और भैंसों में दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ा सकते हैं.

पशु अधिकारी ने दी जानकारी 
लवकुश नगर के पशु अस्पताल में पदस्थ सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी मातादीन पटेल कल 18 से बातचीत में बताते हैं कि छतरपुर जिले में किसान या पशुपालक अपने पशु को सबसे ज्यादा बरसीम घास खिलाते हैं. इस घास में कैल्शियम और फास्फोरस की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है. इस घास के सेवन से पशुओं की पाचन क्रिया सही रहती है. इससे उनका दुग्ध उत्पादन बढ़ता है और वह लंबे वक्त तक दूध देना जारी रखते हैं. बरसीम  घास को बरसात और ठंड में उगाया जाता है. खासकर ठंड सीजन में पशुओं को बरसीम घास ही खिलाई जाती है.

जिरका घास
इसके साथ ही पशुओं को जिरका घास भी दी जा सकती है. इसकी बुवाई भी बेहद आसान है. इस घास में भी कैल्शियम और फास्फोरस की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है. इसके चलते गायों और भैंसों में दुग्ध उत्पादन की क्षमता बढ़ती है और वह ज्यादा दूध देने लगते हैं.

नेपियर घास
बात नेपियर घास की करें तो ये घास दुधारू पशुओं के लिए सबसे अच्छा आहार माना जाता है. इसके खिलाने से गाय और भैंसों का स्वास्थ्य अच्छा होता है. अच्छे स्वास्थ्य के चलते दुधारू पशु में दूध देने की क्षमता बढ़ती है. इससे किसान को बढ़िया मुनाफा होता है.

सालभर देती है चारा
मातादीन पटेल बताते हैं कि नेपियर घास पशुपालकों के बीच काफी लोकप्रिय है. बुवाई के सिर्फ 2 महीने बाद ही यह कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इसके चारे में प्रोटीन और विटामिन की भरपूर मात्रा पाई जाती है. इस घास को पशुओं का उत्तम आहार भी कहा जाता है. दुधारू पशुओं को लगातार नेपियर घास खिलाने से पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे वह तंदुरुस्त रहते हैं और दूध उत्पादकता को बढ़ाते हैं. इसकी खेती सूखे-बंजर इलाकों में भी की जा सकती है. किसान इसे अपने खेत की मेड़ों पर भी उगा सकते हैं. यह घास साल भर तक हरा चारा मुहैया कराने वाली बहुवर्षीय हरा चारा फसल है. इसे एक बार उगाकर लगातार 4 से 5 साल तक पशुओं के लिए चारे की आपूर्ति की जा सकती है.

गर्मी में जुंडी घास खिलाएं 
इसके अलावा छतरपुर जिले में गर्मी के दिनों में जुंडी (ज्वार) घास भी पशुओं को खिलाया जाता है. ज्वार का चारा खिलाने से पशुओं के शरीर में पानी की कमी पूरी होती है. इसमें फाइबर की अच्छी मात्रा होती है. ऐसे में इस चारे के सेवन से उनमें दूध उत्पादकता की बढ़ोतरी होती है.

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked a…और पढ़ें

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked a… और पढ़ें

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