डायरी ने खोली कार में मिली महिला की मर्डर मिस्ट्री: आर्किटेक्ट के ऑफिस में छिपे थे आरटीआई कार्यकर्ता के कत्ल के सबूत – Madhya Pradesh News

डायरी ने खोली कार में मिली महिला की मर्डर मिस्ट्री:  आर्किटेक्ट के ऑफिस में छिपे थे आरटीआई कार्यकर्ता के कत्ल के सबूत – Madhya Pradesh News


मध्यप्रदेश क्राइम फाइल्स में इस बार बात 14 साल पहले के चर्चित मर्डर केस की। भोपाल की एक शांत कॉलोनी में सुबह का सन्नाटा अचानक चीखों से टूट गया। घर के बाहर खड़ी कार ने सबका ध्यान खींचा। अजीब बात यह थी कि गाड़ी काफी देर से वहीं खड़ी थी, मगर उसका इंजन ब

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आरटीआई कार्यकर्ता शहला मसूद।

जांच शुरू हुई तो कई ओर संदेह की उंगलियां उठने लगीं। पुलिस से लेकर सीबीआई तक की टीमें महीनों तक उलझी रहीं।

क्या यह आत्महत्या थी? हत्या थी? या फिर किसी बड़े खेल की बिसात?

पढ़िए इस रिपोर्ट में…

16 अगस्त 2011 का दिन। भोपाल के कोहेफिजा थाने के प्रभारी धर्मेंद्रसिंह तोमर को सुबह करीब 11 बजे एक फोन आया। सूचना मिली कि हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में कार में एक महिला की लाश मिली है।

टीआई तुरंत पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे।

जहां उन्हें कोहेफिजा भोपाल हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी निवासी सुल्तान मसूद मिलते हैं। उन्होंने पुलिस को बताया कि सुबह उनकी लड़की शहला मसूद उम्र 35 साल घर से अपनी कार से बोट क्लब जाने के लिए निकली थी। कार में वो अकेली थी। गाड़ी में बैठने के बाद करीब 20 मिनट तक न गाड़ी चलती है और न ही बेटी गाड़ी से बाहर निकलती है। गाड़ी वहीं खड़ी थी।

मकान से उसकी खाला ने देखा कि शहला गाड़ी में बैठी है, लेकिन वो जा नहीं रही है। जब काफी देर हो गई तो घर वालों को थोड़ा शक हुआ। खाला रवाब जैदी भागकर कार के पास जाती है।

रवाब ने देखा तो कार का गेट खुला हुआ था, शहला सीट पर बेहोशी की हालत में टिकी हुई थी। खाला रवाब जैदी ने उसे आवाज दी मगर शहला बेहोश थी।

खाला जोर से चिल्लाई।तब पिता ने जाकर देखा तो शहला खून से लथपथ थी। उसके गले में गोली लगी थी। शहला को घरवाले तुरंत अस्पताल लेकर जाते हैं, लेकिन उसकी मौत हो चुकी थी। गांधी मेडिकल कॉलेज में पोस्टमॉर्टम हुआ।

दिल्ली से पढ़ाई कर भोपाल में इवेंट-आरटीआई का काम

शहला मसूद ने ग्रेजुएशन करने के बाद दिल्ली में मास कम्युनिकेशन में डिप्लोमा किया था। भोपाल आकर इवेंट मैनेजमेंट का काम शुरू किया था। उसने इवेंट कंपनी खोली थी, जिसका ऑफिस एमपी नगर में था। जहां कई तरह के प्राइवेट काम किए जाते थे। वह उदय नामक सामाजिक संस्था से भी जुड़ी हुई थी। शहला मसूद आरटीआई का काम भी करती थी।

जिस दिन मौत उस दिन रैली निकालने वाली थी शहला

जैसे ही ये पता चलता है कि एक आरटीआई एक्टिविस्ट की मौत हो गई है। भोपाल में हंगामा हो जाता है।

इस तरह लोग इस केस को आंदोलन से जोड़ कर देखने लगे।

इसी बीच शहला मसूद की एक चिट्‌ठी का भी जिक्र होने लगा जो उसने 9 जनवरी 2010 को डीजीपी को लिखी थी, जिसमें एमपी के एक आईपीएस अधिकारी पर 2 साल से परेशान करने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया था। शहला की मौत के साथ ही अचानक वो चिट्‌ठी फिर से सुर्खियों में आ गई। मौत को लेकर संदेह उस आरोप की ओर भी गया।

सीबीआई को सौंपा मामला

हाई प्रोफाइल मामला होने के कारण मध्यप्रदेश सरकार ने सोचा कि ये केस सीबीआई को सौंप दिया जाए।

सीबीआई डीएसपी भरतेंदर शर्मा, इंस्पेक्टर वीएसडी नायर, सब इंस्पेक्टर अमित बांगर, इंस्पेक्टर मुकेश तिवारी, इंस्पेक्टर दीपा खरे सहित करीब 15 अफसरों ने समय-समय पर मामले की जांच की।

3 महीने केस की जांच फिर मर्डर का केस

पुलिस सितंबर, अक्टूबर और नवंबर तीन महीने केस की जांच करती है। हर पहलू को देखती है।

कार में शहला की लाश मिली थी। गोली गर्दन में लगी थी। पीएम रिपोर्ट में भी ये आया था कि गोली बेहद करीब से लगी है। इस वजह से ये भी लगा कि शायद शहला ने सुसाइड किया है, लेकिन ये साबित नहीं हुआ। सीबीआई ने बारीकी से केस की जांच की।

तीन महीने बाद ये क्लियर हो जाता है कि ये मर्डर है, लेकिन अब सवाल ये है कि आखिर कातिल कौन है?

अब यहां से कहानी से जुड़े दूसरे किरदार जाहिदा के बारे में जानिए…

जाहिदा परवेज का जन्म जबलपुर में 17 दिसंबर 1975 को हुआ था। जाहिदा की साल 1996 में असद परवेज के साथ शादी हो गई।

पति असद ने अमेरिका से इंजीनियरिंग और एमबीए की पढ़ाई की थी। दोनों की दो बेटियां हुईं। वैवाहिक जीवन में ही उसने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और 2004 में आर्किटेक्चर/ इंटीरियर डिजाइन की कंसलटेंसी का काम शुरू किया। इसका ऑफिस एमपी नगर भोपाल में था। पति का एक पेट्रोल पंप भोपाल के बरखेड़ी गल्ला मंडी में था। जांच के दौरान पुलिस को कोई सुराग नहीं मिल रहा था कि कातिल तक कैसे पहुंचा जाए। मर्डर का मकसद क्या था, अब तक ये भी नहीं मालूम था।

आर्किटेक्ट जाहिदा परवेज।

आर्किटेक्ट जाहिदा परवेज।

एक डायरी ने खोला कत्ल का राज

कत्ल के करीब 6 महीने बाद 29 फरवरी 2012 को केस ने अचानक करवट ली। सीबीआई जाहिदा के एमपी नगर स्थित आर्किटेक्चर ऑफिस में छापा मारती है। यहां सीबीआई के हाथ कई सबूत लगते हैं। सीबीआई को केस की जांच में जाहिदा की एक डायरी और सीडी मिली। डायरी शहला मसूद मर्डर केस के राज खोलने में अहम साबित हुई।

डायरी में एक जगह लिखा हुआ था- 16 अगस्त 2011…

“मैं सुबह से ही बहुत उदास थी। अचानक अली (साकिब अली डेंजर) ने लगभग 11.15 बजे फोन किया कि मुबारक हो साहब। हमने उसके घर के सामने काम कर दिया है। मैं रमजान के कारण अपने ऑफिस में थी। मैंने रोहित (कर्मचारी) को भी उसकी कार देखने के लिए भेजा, उसने कहा कि कार वहां खड़ी नहीं है। फिर मैं नमाज पढ़ने के लिए अपने घर वापस आ गई। मैं बहुत निश्चिंत हो गई थी। मस्जिद गई, नमाज पढ़ी।

इस दौरान मेरे मोबाइल पर कई कॉल आए। केवल इस घटना की जानकारी के लिए। 12.30 बजे संजय ने भी फोन किया था, लेकिन फोन मिस हो गया था। फिर मैंने उसे वापस फोन किया तो उसने कहा कि हद है यार। नफरत की इंतेहा है ये। हमने शाम में रबाब का जन्मदिन मनाया। दो-दो केक काटे। पर हम दोनों डर रहे थे। रात में सबा चली गई थी,पर मैंने उसको फिर वापस बुला लिया। हम लोग रात भर जागते रहे।

मध्यप्रदेश क्राइम फाइल्स के पार्ट-2 में जानिए इन सवालों के जवाब

– जाहिदा की डायरी ने और क्या-क्या राज उगले?

– मर्डर की सुपारी कितने रुपए में दी गई थी?

– मर्डर के पीछे क्या था मकसद?

– हत्या के एक दिन पहले कैसी बची थी जाहिदा?

– कोर्ट ने आखिर क्या फैसला सुनाया?



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