दुनिया की पहली वैदिक घड़ी! सूरज संग चलेगा वक्त, भोपाल के काशिफ ने बनाई अनोखी फ्रेमिंग

दुनिया की पहली वैदिक घड़ी! सूरज संग चलेगा वक्त, भोपाल के काशिफ ने बनाई अनोखी फ्रेमिंग


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Vedic Clock Bhopal: दुनिया की पहली विक्रमादित्य वैदिक घड़ी अब भारत में लॉन्च हो चुकी है. सूरज संग चलने वाली इस घड़ी को लखनऊ के आरोह श्रीवास्तव ने डिज़ाइन किया और भोपाल के मोहम्मद काशिफ ने फ्रेमिंग बनाई. जानिए क…और पढ़ें

भोपाल से निकलकर पूरे देश में एक नई क्रांति की शुरुआत हुई है. भारत की प्राचीन कालगणना और आधुनिक तकनीक का संगम बन चुकीविक्रमादित्य वैदिक घड़ीऔर उसका मोबाइल ऐप 1 सितंबर को लॉन्च किया गया. यह सिर्फ एक घड़ी नहीं, बल्कि भारतीय समय गणना पद्धति को नए रूप में दुनिया के सामने लाने वाली अनूठी खोज है.

इस घड़ी का सबसे पहला अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 फरवरी 2024 को उज्जैन में किया था. अब यह मध्य प्रदेश से देशभर में उपलब्ध है. खास बात यह है कि इस घड़ी का डिज़ाइन लखनऊ के आरोह श्रीवास्तव ने तैयार किया है, जबकि इसकी शानदार फ्रेमिंग भोपाल के मोहम्मद काशिफ ने की है.

लोकल 18 से बातचीत में काशिफ ने बताया कि फ्रेमिंग तैयार करने में उनकी टीम को लगभग तीन महीने का वक्त लगा. दिन-रात की मेहनत से उन्होंने इस घड़ी को एक आकर्षक रूप दिया. काशिफ कहते हैं कि यह घड़ी केवल समय दिखाने का साधन नहीं, बल्कि भारतीय परंपरा और वैदिक विज्ञान की झलक है.

दरअसल, इस घड़ी का नाम राजा विक्रमादित्य पर रखा गया है, जिन्होंने विक्रम संवत की शुरुआत की थी. यही संवत आज भी भारतीय पंचांग की नींव है. 1 सितंबर को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री निवास में इसका आधिकारिक लोकार्पण किया.

घड़ी पर लंबे समय से रिसर्च कर रहे आरोह श्रीवास्तव बताते हैं कि उन्होंने साल 2013 में इस पर काम शुरू किया था. साल 2017 तक तय कर लिया कि भारत की अपनी वैदिक घड़ी बनेगी. लगातार तीन साल की मेहनत के बाद 2020 में इसका फॉर्मूला तैयार हुआ. अब इस घड़ी और मोबाइल ऐप की मदद से हर शहर के लिए अलग-अलग वैदिक समय की सटीक गणना संभव होगी. यह आधुनिक दुनिया में भारतीय कालगणना को फिर से स्थापित करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है.

सिर्फ घड़ी ही नहीं, मोहम्मद काशिफ का काम कला और नवाचार से भी जुड़ा है. उन्होंने हाल ही में भोपाल में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2025 के लिए करीब 120 स्कल्पचर्स बनाए थे. इनमें शेर, हाथी, मोर, हिरन और छाता जैसी कृतियां शामिल थीं. उनका मास्टरपीस शेर का स्कल्पचर था, जिसे बनाने में 2 दिन का समय लगा. पूरी टीम ने कम समय में कमाल दिखाते हुए 90 दिनों में सारे 120 स्कल्पचर्स तैयार कर दिए.

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Shweta Singh, currently working with News18MPCG (Digital), has been crafting impactful stories in digital journalism for more than two years. From hyperlocal issues to politics, crime, astrology, and lifestyle,…और पढ़ें

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Vedic Clock: अब सूरज संग चलेगा वक्त, भोपाल में बनी दुनिया की पहली वैदिक घड़ी!



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