ड्रग्स, हथियारों की तस्करी और अपहरण से लेकर रेप जैसे आरोपों का सामना कर रहे मछली परिवार की आलीशान कोठी से लेकर फॉर्म हाउस तक प्रशासन ने ढहा दिए। दावा है कि 100 करोड़ की जमीन मुक्त कराई गई है, लेकिन प्रशासन ने उसकी कमाई का जरिया बंद नहीं किया है। हथाई
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ये ठेका इस्लाम नगर समिति के पास है। समिति के सारे सदस्य फर्जी हैं, प्रशासन की जांच में ये खुलासा हो चुका है। ये भी पता चला कि समिति का सारा काम मछली परिवार के करीबी जलील मोहम्मद खान उर्फ नीलू मियां करता है। नीलू ने मछली पालन का ठेका लेने के लिए ईटखेड़ी मत्स्योद्योग सहकारी समिति नाम से एक और समिति बनाई है।
भास्कर ने जब इस समिति की पड़ताल की तो पता चला कि इसके सदस्य भी फर्जी है। इन्होंने आज तक मछली पकड़ने का काम नहीं किया है। पढ़िए रिपोर्ट
ईटखेड़ी मत्स्योद्योग सहकारी समिति के सदस्यों की सूची। ज्यादातर सदस्य मछुआरे ही नहीं है।
फॉर्म हाउस मालिक भी बना मछुआरा जलील मोहम्मद खान उर्फ नीलू मियां ने बांध और तालाब के ठेके हासिल करने के लिए जो ईटखेड़ी मत्स्योद्योग सहकारी समिति बनाई है उसमें गांव के लोगों के साथ अपना, पत्नी और बेटे का नाम भी मछुआरों में शामिल कर लिया है। इस समिति में 54वें नंबर पर जलील मोहम्मद पिता स्व. आदिल मोहम्मद के रूप में खुद नीलू मियां का नाम शामिल है।
वहीं शुरुआत में 10वें नंबर पर खदीदा पत्नी जलील मोहम्मद का नाम शामिल है, जो उनकी पत्नी है। इसी समिति की सूची में आखिर में 62वें नंबर पर तैयब अली पिता जलील मोहम्मद, ईटखेड़ी का नाम शामिल है। तैय्यब नीलू मियां का बेटा है जो परिवार की बड़ी खेतीबाड़ी और बिजनेस संभालने के साथ ईटखेड़ी में फॉर्म हाउस कम वाटर पार्क का संचालन करता है।
ग्रामीण जिसे रोजाना अलग–अलग एसयूवी और कारों में घूमते देखते हैं, उसका नाम भी मछुआरे के रूप में शामिल है।

समिति में नीलू मियां का बेटा तैय्यब को भी मछुआरा बताया गया है। वो इन लग्जरी गाड़ियों में घूमता है।
अब जानिए समिति के बाकी सदस्यों के बारे में
केस1: घर के नौकर को बनाया मछुआरा हताईखेड़ा बांध का ठेका समिति में ईटखेड़ी के खामखेड़ा गांव निवासी मोतीलाल पुत्र रघुनाथ का नाम शामिल है। मोतीलाल को तलाशते हुए जब हम खामखेड़ा पहुंचे तो लोगों ने बताया गांव के किनारे पर उनका घर मौजूद हैं। कच्चा घर पॉलीथिन की शीट से ढका हुआ था। घर पर रघुनाथ की पत्नी और बेटी मिली।
उन्होंने बताया कि रघुनाथ किसी समिति में सदस्य है, इसका उन्हें पता नहीं। वो तो नीलू मियां की कोठी पर काम करते हैं। वह कोठी पर ही रहते हैं। पत्नी ने बताया, हम दोनों तो मजदूरी करते हैं।
केस 2 : घरों में काम करती है अकबरी बाई ईटखेड़ी की अकबरी बाई का नाम भी समिति में जुड़ा है, लेकिन इनका परिवार भी कभी मछली पालन से नहीं जुड़ा रहा। गांव के लोगों से पता चला कि अकबरी बाई के पति गफूर की मौत हो चुकी है। उनका बेटा चौकीदारी करता है। गांव के लोग कहते हैं कि इस परिवार में कभी किसी ने मछली पकड़ने का काम नहीं किया। ऐसे में उनका नाम समिति में कैसे जुड़ा? यह जांच का विषय है।
केस3: फर्जी नाम के व्यक्ति को बेटा बताकर सदस्य बनाया ईटखेड़ी गांव में ही रहते हैं बुद्धा शाह। इनका नाम भी ईटखेड़ी मत्स्य पालन समिति में शामिल है। 70 साल की उम्र पार कर चुके शाह ने बताया कि मुझे नीलू मियां ने समिति में शामिल किया है। मेरे अलावा मेरी पत्नी और बेटे का भी नाम है, लेकिन हमें कभी इसका फायदा नहीं मिला।
इतना ही नहीं समिति में उन्होंने मेरे और पत्नी के अलावा मेरे नाम के आगे दो बेटों शफीक और इब्राहिम के नाम शामिल किए हैं, जबकि मेरा एक ही बेटा शफीक है।

सरपंच ने कहा- समिति में गांव के लोग, मगर मछली नहीं पकड़ते ईटखेड़ी के सरपंच हरिसिंह सैनी से जब इस मामले में बात की गई तो उन्होंने खुलासा करते हुए कहा कि ईटखेड़ी मत्स्य पालन समिति में शामिल सभी लोग गांव के हैं, लेकिन इन परिवारों ने कभी मछली पकड़ने का काम ही नहीं किया। सैनी ने कहा कि समिति बनाने वाले जलील मोहम्मद खान उर्फ नीलू मियां हमारे गांव के किसान है, लेकिन उनका भी मछली पकड़ने का काम पुश्तैनी नहीं है। हमारे यहां मछली पकड़ने वाले परिवार ही नहीं है।

समिति के अकाउंट से निकाले 88 लाख रुपए ईटखेड़ी मछली पालन समिति का भोपाल को-ऑपरेटिव सेंट्रल बैंक में अकाउंट है। इसमें मछली पालन से समिति को होने वाली आय और मछुआरों को मिलने वाला सरकारी अनुदान जमा किया जाता है। नियम के मुताबिक जो समिति के सदस्य हैं उन्हें सरकारी अनुदान का फायदा मिलना चाहिए। इस अकाउंट का संचालन समिति के बजाय जलील मोहम्मद उर्फ नीलू मियां करते हैं।
अकाउंट की आरटीआई से डिटेल निकालने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अतुल गुप्ता बताते हैं कि अकाउंट से सारे ट्रांजैक्शन नीलू मियां और उसके बेटे तैय्यब खान ने किए हैं। पिछले 7 साल में दोनों ने इस अकाउंट से 88 लाख रुपए निकाले हैं। इसमें मछुआरों के लिए आया सरकारी अनुदान भी शामिल है।

समिति के अकाउंट की पासबुक की कॉपी। इसमें 90 लाख रु. जमा थे जिसमें से करीब 88 लाख रु. निकाल लिए गए।
समिति के अकाउंट के पैसों से खरीदी एसयूवी अकाउंट की जानकारी सामने लाने वाले अतुल गुप्ता बताते हैं कि 14 नवंबर 2018 को अकाउंट से कार शोरुम पटवा मोटर्स को एक लाख रुपए ट्रांसफर किए गए। इसके बाद 7 दिसंबर को फिर पटवा मोटर्स को 4 लाख 80 हजार रुपए ट्रांसफर किए गए। पटवा मोटर्स विदेशी ब्रांड की एसयूवी सेल करता है।
नवंबर और दिसंबर में 5 लाख 80 हजार रुपए के पेमेंट के बाद जनवरी 2019 में एमपी 04जीबी 3395 रजिस्टर्ड हुई जिसे नीलू मियां का परिवार उपयोग करता है। इस तरह मछुआरा समिति के रुपए से एसयूवी खरीद ली गई जो अब भी नीलू मछली के बंगले के बाहर खड़ी रहती है।

नीलू के फॉर्म हाउस में स्विमिंग पूल और झूले अतुल गुप्ता बताते हैं कि मछुआरा समिति से नीलू मियां के दिन बदल गए। उसने मछली पकड़ने का ठेका हासिल करने के बाद कई एकड़ जमीन खरीदी और फॉर्म हाउस बनाया। वह विदेश यात्राएं भी कर चुका है। इसी दौरान नीलू मछली ने ईटखेड़ी में फॉर्म हाउस और तालाब भी तैयार किया है।
इसमें स्विमिंग पूल और झूले लगे हुए हैं। फॉर्म हाउस को वाटर पार्क की तरह डेवलप किया गया है जहां ऐश-ओ-आराम की हर सुविधा है। स्थानीय निवासियों के मुताबिक स्विमिंग पूल में आए दिन पार्टियां होती हैं, जिसमें शहर के कई रसूखदार शामिल होते हैं।

ईटखेड़ी में नीलू मियां का फॉर्म हाउस। यहां ऐश-ओ-आराम की सारी सुविधाएं हैं।
अफसर बोले- गड़बड़ी सामने आएगी तो ठेका निरस्त करेंगे
सहकारिता विभाग के डिप्टी रजिस्ट्रार अरुण विश्वकर्मा से बातचीत की तो पहले तो उन्होंने गड़बड़ी से ही इनकार कर दिया। समिति में फर्जी लोगों के शामिल होने की जानकारी देने पर उन्होंने बताया कि सहकारिता का काम चुनाव कराना है। चुनाव के समय गलत लिस्ट देकर मिसगाइड कर दिया होगा। हमारी मत्स्य पालन विभाग के साथ बैठक हुई है। सारी गड़बड़ियों की संयुक्त रूप से जांच करा रहे हैं। कोई गड़बड़ी सामने आएगी तो कार्रवाई करेंगे।