ये कैसा सरकारी स्कूल! नहीं होती टीचर भर्ती, बच्चों को पढ़ा रहे गांव के युवक

ये कैसा सरकारी स्कूल! नहीं होती टीचर भर्ती, बच्चों को पढ़ा रहे गांव के युवक


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Balaghat News: स्कूल प्रबंधन का कहना है कि शासन स्कूल नहीं बल्कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है. अगर उनकी मंशा स्कूल के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की होती, तो इसका समाधान बहुत पहले हो जाता लेकिन अब …और पढ़ें

बालाघाट. मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में दो अनोखे स्कूल हैं, जो स्कूल शासकीय तो हैं लेकिन उसमें सरकारी शिक्षक नियुक्त नहीं होते हैं. ऐसे में स्कूल प्रशासन ने लगातार मिन्नतें कीं. विकासखंड से लेकर लोक शिक्षण संचालनालय तक आवेदन और निवेदन किया लेकिन उस स्कूल में नियमित शिक्षक तो दूर अतिथि शिक्षक तक नहीं मिले. इतना ही नहीं, स्कूल प्रशासन ने सरपंच से लेकर विधायक तक को अपनी इस समस्या के बारे में बताया लेकिन सभी हाथ खड़े कर चुके हैं. अब स्कूल प्रशासन ने इधर-उधर मिन्नतें करना छोड़ दिया और खुद ही नया रास्ता निकाला. बीते दो साल से स्कूल को अतिथि शिक्षक नहीं मिलने से स्कूल स्टाफ की कमी से जूझ रहा था लेकिन अब आसपास के गांव के कुछ युवा मनरेगा मजदूरी से भी कम तनख्वाह में बच्चों को पढ़ा रहे हैं.

एमपी अजब है, सबसे गजब है…लोग ये यूं नहीं कहते हैं. बालाघाट जिले के कटंगी विकासखंड के अंतर्गत आने वाले दो स्कूलों में नियमित हों या अतिथि, किसी भी प्रकार के शिक्षक नियुक्त नहीं होते. ये स्कूल शासकीय बावनथड़ी गुरुकुल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बम्हनी और शासकीय महात्मा गांधी शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय टेकाड़ी हैं. इन दोनों स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति ही नहीं हो पा रही है. ऐसे में स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य पर संकट नजर आ रहा है. आपको बता दें कि बावनथड़ी स्कूल में पहली से 12वीं तक की कक्षाएं लगती हैं. उसमें 370 स्टूडेंट्स पढ़ते हैं. वहीं कक्षा 9 से 12 में 260 स्टूडेंट पढ़ रहे हैं. वहीं टेकाड़ी स्कूल में भी 100 से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं.

बावनथड़ी गुरुकुल में सिर्फ 6 शिक्षक
स्कूल प्रबंधन ने लोकल 18 को बताया कि 12वीं तक के स्कूल में सिर्फ 6 नियमित शिक्षक हैं. इसमें तीन शिक्षक प्राथमिक स्कूल के लिए शिक्षक हैं. वहीं एक शिक्षक हाईस्कूल के लिए हैं. एक प्रभारी प्राचार्य हैं और एक लैब असिस्टेंट हैं. मिडिल स्कूल के लिए एक भी नियमित शिक्षक नहीं है. अब इस महीने गौतम सर भी रिटायर होने वाले हैं. ऐसे में स्कूल में सिर्फ पांच ही नियमित शिक्षक रह जाएंगे. अब शाला विकास के बजट से गांव के युवाओं को सैलरी दी जा रही है. इसके लिए निकायाधीन स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से हर साल 2500 रुपये फीस ली जा रही है.

स्कूल में पढ़ा रहे गांव के युवा
बीटेक की पढ़ाई पूरी कर चुके कुणाल मेश्राम इन दिनों सरकारी नौकरी की पढ़ाई कर रहे हैं. वह अपने गांव में ही रह रहे हैं. वह इस स्कूल में पढ़ाने आ रहे हैं. यहां पर वह गणित और फिजिक्स पढ़ा रहे हैं. वह मनरेगा में मिलने वाली मजदूरी से भी कम तनख्वाह में यहां पढ़ा रहे हैं. वहीं दिगम्बर पुष्प तोड़े भी इसी तरह स्कूल में पढ़ा रहे हैं. उनका मानना है कि भले ही कम तनख्वाह हो, अभी समय है, तो बच्चों को पढ़ाकर उनके भविष्य के लिए थोड़ा योगदान दे रहे हैं. शासकीय बावनथड़ी गुरुकुल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बम्हनी में कुल 10 युवा बच्चों को पढ़ा रहे हैं.

2002 में प्राइवेट से निकायाधीन हुए थे स्कूल
अगले महीने रिटायर होने वाले गौतम सर बताते हैं कि 21 मार्च 2002 को स्कूल प्राइवेट से निकायाधीन हुआ था. इससे लगा था कि स्कूल में सुधार होगा और शिक्षा का स्तर बेहतर होगा. स्कूल में शासन की हर योजना का लाभ बच्चों को मिल रहा है लेकिन न ही नियमित शिक्षक मिल रहे हैं और न ही अतिथि शिक्षक. ऐसे में ये स्कूल धीरे-धीरे बंद होने के कगार पर हैं. आपको बता दें कि स्कूल के बच्चों को छात्रवृत्ति, स्कूल ड्रेस, मध्याह्न भोजन की सुविधा सरकारी स्कूल की तरह ही मिल रही है.

न टीचर मिल रहे और न ही हो रहा मर्जर
स्कूल प्रबंधन का कहना है कि शासन स्कूल नहीं बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है. अगर उनकी मंशा स्कूल के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की होती, तो इसका निराकरण बहुत पहले हो जाता लेकिन अब तक किसी ने कुछ नहीं किया. अब सब इस स्कूल के मामले में हाथ खड़े कर चुके हैं. वहीं इस स्कूल को गांव के स्कूल हाईस्कूल के साथ मर्ज किया जा सकता है लेकिन ऐसा भी नहीं हो पा रहा है. ऐसे में न सिर्फ बम्हनी नहीं बल्कि आसपास के आधा दर्जन गांव के बच्चों को दूर-दूर तक हायर सेकेंडरी स्कूल के लिए जाना पड़ता है. बम्हनी से तीन दिशा में हायर सेकेंडरी स्कूल हैं, इसमें परसवाड़ा, तिरोड़ी और महकेपार के स्कूल हैं. इनकी गांव से दूरी करीब 12 से 15 किलोमीटर तक है. ऐसे में अगर गांव के हाईस्कूल में बावनथड़ी गुरुकुल का मर्जर होता, तो समस्या का समाधान हो सकता है.

जिम्मेदारों ने खड़े कर दिए हाथ
इस मामले में लोकल 18 ने विकासखंड स्तर के शिक्षा अधिकारी से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने ज्यादा जानकारी नहीं दी लेकिन इतना कहा कि निकायाधीन स्कूलों को लेकर लोक शिक्षण संचालनालय में चर्चा की लेकिन उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए. ये दो निकायाधीन स्कूल बीते एक साल से पूरे जिले में चर्चा का विषय रहे लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पाया. इस मामले में क्षेत्रीय विधायक गौरव सिंह पारधी से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनकी तरफ से भी कोई जवाब नहीं आया.

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