सेल्फी-रील्स के पीछे दिमाग में केमिकल का खेल: भास्कर ने एक्सपर्ट से पूछा- क्यों जान की परवाह नहीं करते लोग; लगातार हो रहे हादसे – Madhya Pradesh News

सेल्फी-रील्स के पीछे दिमाग में केमिकल का खेल:  भास्कर ने एक्सपर्ट से पूछा- क्यों जान की परवाह नहीं करते लोग; लगातार हो रहे हादसे – Madhya Pradesh News


शिवपुरी में रील बना रहे एक युवक की करंट लगने से मौत हो गई। दरअसल, 29 अगस्त को युवक टीन शेड वाले छज्जे पर चढ़कर वीडियो बना रहा था। ऊपर से हाईटेंशन लाइन गुजरी थी, लेकिन युवक ने उसकी परवाह नहीं की। इसी दौरान वो करंट की चपेट में आया और उसकी जान चली गई।

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ये इकलौता मामला नहीं है। सेल्फी, रील्स के लिए कुछ भी करने का ये चलन आम हो गया है। इसके क्रेज में कुछ लोग खतरों से खेल रहे हैं। चलती ट्रेन के सामने वीडियो, तो कभी बाइक पर खतरनाक स्टंट, तो कभी झरनों के पास जाकर जान जोखिम मे डाल लेना। लोग सेल्फी और रील्स के लिए हर कीमत चुकाने को तैयार हो रहे हैं।

सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर क्यों? वो कौन सी मानसिक स्थिति है जिसमें महज एक रील या सेल्फी से ज्यादा जान सस्ती लगने लगती है?

पहले तीन केस… जानिए कैसे है जोखिम में जान

1. खतरनाक वाटरफॉल में जानलेवा रील्स ग्वालियर के नलकेश्वर जलप्रपात पर एक कपल ने सैयारा गाने पर रील बनाई, जो खूब वायरल हुई। कपल जलप्रपात के तेज बहाव के बीच चट्टान पर खड़े होकर डांस कर रहा था। नीचे खाई थी, पैर फिसलता तो गिरने से जान जा सकती थी। इसी तरह जलप्रपात में वीडियो बनाने के दौरान कई लोगों की जान जा चुकी है। मप्र में महू के पातालपानी, अनूपपुर के महादेव घाट, रीवा के क्योटी समेत कई जलप्रपात में कई लोग जान गवां चुके हैं।

सोशल मीडिया पर लाइक्स के चक्कर में लोग जोखिम ले रहे।

2. गाड़ी से कई बार गिरे, फिर भी बना रहे रील इंस्टाग्राम पर एक लड़का बाइक पर स्टंट करते हुए वीडियो अपलोड करता है। बीच सड़क पर तेज स्पीड, कई बार वह गिर भी जाता है, लेकिन उसके बाद भी खतरनाक स्टंट की कई रील्स बनाकर इंस्टाग्राम पर अपलोड किए हैं। इस दौरान उसने हेलमेट तो पहना है, मगर बाकी सुरक्षा उपकरण नहीं है।

एक अन्य युवक भी ट्रैक्टर के साथ स्टंट के वीडियो अपलोड करता है। जिसमें कई बार ट्रैक्टर पलट भी जाता है और उसकी बाल-बाल जान बचती है। इस तरह के कई वीडियो इसने भी अपलोड किए हैं। वीडियो देखने से यही लगता है कि ये लड़के मौत से नहीं डर रहे।

बाइक स्टंट के चक्कर में इस तरह हो रहे हादसे।

बाइक स्टंट के चक्कर में इस तरह हो रहे हादसे।

3. ब्लास्ट में एक की जान गई, युवती चोरी करने लगी ग्वालियर में एक फ्लैट में रील बनाने के लिए रसोई गैस का पाइप कमरे में खोल दिया। रील्स बनाने के बाद जैसे ही बिजली का स्विच ऑन किया, कमरे में ब्लास्ट हो गया, जिससे 3 लोग घायल हो गए। 24 घंटे बाद इनमें एक युवक की मौत हो गई। जबलपुर में एक युवती के यूट्यूब में व्यूज कम आए तो चोरी करने लगी।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट इस तरह रील के लिए बार-बार जान को खतरे में डालने के पीछे न सिर्फ वायरल होने का जुनून होता है, बल्कि इसके पीछे मनोविज्ञान काम करता है, जो ऐसा करने के लिए बार-बार मजबूर करता है। भास्कर ने इसके पीछे छिपे मनोविज्ञान को समझने के लिए चार मनोचिकित्सकों के एक्सपर्ट पैनल से बात की।

मन को काबू में करता है रील्स का एडिक्शन मानसिक स्वास्थ्य संस्थान आगरा के निदेशक डॉ दिनेश सिंह राठौर ने बताया, रील्स बनाने के लिए जान जोखिम में डालना एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है। यह इंटरनेट एडिक्शन का ही एक प्रकार है। यह एडिक्शन रिवार्ड सिस्टम के माध्यम से हमारे मन को काबू में करता है।

इस तरह की एक्टिविटी में हम ज्यादा समय और ऊर्जा गंवाते हैं। जब ये एक्टिविटी नहीं कर पाते हैं तो बेचैनी, घबराहट होती है। इसलिए इससे बचने के लिए लगातार इस तरह की एक्टिवटी करनी पड़ती है।

क्लस्टर बी पर्सनॉलिटी डिसऑर्डर का असर भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में मनोरोग विभाग के एचओडी डॉ जेपी श्रीवास्तव ने बताया कि कई लोग रील्स बनाने के लिए जान जोखिम में डाल लेते हैं। इसकी कई वजह हो सकती है। क्लस्टर बी पर्सनैलिटी डिसऑर्डर इनमें से एक है। यह एक मनोविकार की अवस्था है, जिसके कारण व्यक्ति बार-बार ऐसी एक्टिविटी करता है, जो लोगों का ध्यान आकर्षित करे। इसके लिए वह कुछ भी कर सकता है।

क्या होता है ये डिसऑर्डर…

क्लस्टर बी पर्सनॉलिटी के लोग अपनी छवि को लेकर अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। आसपास के लोगों से ज्यादा तवज्जो न मिलने पर और एग्रेसिव हो जाते हैं। हमेशा ध्यान आकर्षित करने की कोशिश करते हैं। सोशल मीडिया पर यह बार-बार रील्स, स्टोरी और उत्तेजक कंटेंट के रूप में दिखता है।

डोपामाइन देता है खुशी का एहसास बंसल हॉस्पिटल के मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी का कहना है कि आजकल नेता, खिलाड़ी से लेकर सेलिब्रिटी तक सब रील्स बना रहे हैं। ऐसे में ये आजकल सामान्य व्यवहार बन गया है। कोई कम बना रहा है कोई अधिक बना रहा। इसमें सबसे इंपॉर्टेंट बात यह है कि यह हमें डोपामीन, किक देता है, इसकी वजह से फील गुड फैक्टर आता है।

रील्स जितनी थ्रिलिंग होती है उतने लाइक और कमेंट मिलते हैं। इससे ऐसी रील्स या वीडियो बनाने के लिए बूस्ट मिलता है। इसलिए इसके पीछे सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और आर्थिक लाभ का भी है। इसलिए टेक्नोलॉजी का हेल्दी इस्तेमाल करने की आवश्यकता है, जिससे वह हमारा दोस्त बन सके, न कि दुश्मन।

डोपामाइन क्या है… डोपामाइन एक रासायनिक संदेशवाहक (neurotransmitter) है, यानी यह हमारे नर्व सेल्स (तंत्रिका कोशिकाओं) के बीच संदेश पहुंचाने का काम करता है। इसे फील गुड केमिकल भी कहते हैं। नियंत्रित रहने पर यह उत्साह बढ़ाने, प्रेरित करने और खुशी का एहसास दिलाने के काम आता है लेकिन बेकाबू होने पर यह जुनून की हद वाले काम के लिए उकसाता है।

एड्रिनलिन डर खत्म कर देता है डॉ संतोष सोम सुदर्शन के अनुसार कुछ व्यक्तियों को खतरनाक, रोमांचक या जोखिम भरे काम की लत हो जाती है। ऐसी गतिविधियों में मनुष्य के शरीर में एड्रिनलिन नाम का हार्मोन बहुत तेजी से रिलीज होता है और शरीर को एक खास तरह का “रश” या “हाई” महसूस होता है। ऐसे लोगों को हर समय कुछ नया और रोमांचक करने की चाह होती है। साधारण जिंदगी बोरिंग लगने लगती है। रिस्क लेने में मजा आता है।

हालांकि एड्रिनलिन जंकी शब्द का इस्तेमाल स्काई डाइविंग, बंजी जंपिंग, बाइक रेसिंग, फाइटिंग, एडवेंचर स्पोर्ट्स करने वाले प्रोफेशनल्स के लिए किया जाता है लेकिन आजकल ज्यादातर लोग रील्स बनाकर पॉपुलर होने की चाह में ऐसे खतरनाक कदम उठाते हैं। बिना किसी गाइडेंस, ट्रेनिंग, सुरक्षा उपायों के खतरों के खिलाड़ी बनते हैं।

एड्रिनलिन क्या है… यह हार्मोन दिल की धड़कन तेज करता है, ब्लड प्रेशर बढ़ाता है, मांसपेशियों को ऊर्जा देता है, दिमाग को अलर्ट करता है। इस “रश” से हमें रोमांच, उत्साह और आनंद महसूस होता है। कुछ लोग इस एहसास के आदी हो जाते हैं।

एड्रिनलिन के कारण रील बनाने वाले दुस्साहस कर बैठते हैं।

एड्रिनलिन के कारण रील बनाने वाले दुस्साहस कर बैठते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य पर असर मनोचिकित्सकों के अनुसार रील्स और लाइक्स की होड़ ने युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाला है।

कम उम्र में नकल करने की कोशिश इस ट्रेंड का असर सिर्फ रील बनाने वालों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि पूरे समाज पर पड़ता है। खासकर कम उम्र के बच्चे और किशोर ऐसे खतरनाक वीडियो देखकर उनकी नकल करने की कोशिश करते हैं।जुलाई 2024 में मुरैना में रील बनाने के लिए एक बच्चा गले में फंदा डाल रहा था। इस दौरान उसे फांसी लग लग गई।

वीडियो बना रहे बच्चे नाटक समझ रहे थे, लेकिन देखते ही देखते उसकी मौत हो गई। इसी तरह इंदौर में 11वीं का छात्र वीडियो कॉल पर दोस्त को अप्रैल फूल बनाने के लिए गले में फंदा लगा रहा था, फांसी लगने से मौत हो गई।

दूसरों की जान को भी खतरे में डालना खतरनाक स्टंट्स सिर्फ वीडियो बनाने वाले के लिए ही नहीं, बल्कि दूसरों के लिए भी खतरा पैदा करते हैं। सार्वजनिक जगहों पर स्टंट करने से राहगीरों, बच्चों और आसपास मौजूद लोगों की सुरक्षा खतरे में पड़ती है। कई बार सरकारी संपत्ति को नुकसान होता है, जैसे पुल, ट्रेन ट्रैक, ऐतिहासिक इमारतों पर चढ़ना या पानी के स्रोतों को प्रदूषित करना।

इससे न सिर्फ जान का खतरा होता है बल्कि आपका चालान भी कट सकता है। हाल ही में जबलपुर में बने मध्य प्रदेश के सबसे लंबे फ्लाईओवर रील बनाने वाले कई लोगों के पुलिस ने चालान काट दिए।



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