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Ganesh Pandals in Sagar: सागर में इस बार अनोखी और अनूठी प्रतिमाएं भी देखने को मिल रही हैं, कहीं बीच तालाब में तो कहीं बीच नदी में भी बप्पा को विराजमान किया गया है. कहीं वह मां पार्वती की गोद में बैठे हैं तो कहीं मां पार्वती झूला झुला रही हैं. कहीं प्रेमानंद जी के स्वरूप में नजर आ रहे हैं तो कहीं राधा कृष्ण के रूप में झांकी सजी है. कहीं बांसुरी बजाते हुए कृष्ण तो कहीं कमल पर बैठे हुए बप्पा हैं.
बुंदेलखंड का सागर हमेशा से ही धर्म संस्कृति और अपनी परंपराओं के लिए जाना जाता रहा है.तीज त्यौहार यहां पर बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाए जाते हैं ऐसे ही गणेश उत्सव में यहां पर खूब धूम देखने को मिल रही है. श्रद्धालुओं के द्वारा बप्पा की अलग-अलग तरह की प्रतिमाएं विराजमान कर झांकियां सजाई जाती हैं

सागर के बड़ा बाजार में करीब 100 साल से गणेश जी को विराजमान करने की परंपरा चली आ रही है. यहां पर 15 फीट के बप्पा विराजमान किए गए हैं. जिन्हें नगर सेठ के रूप में जाना जाता है.

रहली में श्री गणेश जी की भव्य प्रतिमा प्रकृति को ध्यान में रखते हुए विराजमान हैं, यह इलायची , कालीमिर्च, धूपबत्ती ,अगरबती से निर्मित की गई है जो प्रकृति के अनुकूल है ना ही इन वस्तुओं से जलीय जीवों को कोई नुकसान है और पूरी तरह से जल में घुलनशील है. विजय और मोंटू ने ऐसे तैयार किया है.

कांच मंदिर मच्छर्याई में भगवान राधा कृष्ण के रूप में गणेश जी को विराजमान किया गया है. इनकी झांकी अद्भुत है, ऐसे मोहल्ले के लोगों द्वारा ही बनाकर विराजमान किया गया है

चमेली चौक पर भगवान गणेश श्री कृष्ण के रूप में बांसुरी बजाते हुए नजर आ रहे हैं, यहां भी दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की लाइन लग रही है.

चकरा घाट पर श्री गणेश भोलेनाथ के स्वरूप में हैं, जो नदी पर शेर की छाल लपेटकर बैठे हुए हैं. हाथ में त्रिशूल और डमरू है

एक जगह प्रेमानंद जी महाराज की छवि वाली गणेश प्रतिमा रखी गयी है. वहीं खुरई में 8 बच्चों के द्वारा भगवान गणेश की भव्य प्रतिमा विराजमान की गई. खास बात यह है कि इन बच्चों ने गर्मियों के चार महीना में काम करके करीब₹1 लाख रुपए इक्कठे किए थे, ताकि किसी से चंदा ना लेना पड़े.

सागर शहर में 300 से अधिक पंडाल में गणेश जी विराजमान हैं. सुबह शाम पूजा अर्चना की जा रही है. रोजाना महा आरती और 56 भोग लगा रहे हैं.