MP News: एमपी पुलिस की खुलेगी पोल! जबलपुर के स्टूडेंट ने AI से बनाया ऐप

MP News: एमपी पुलिस की खुलेगी पोल! जबलपुर के स्टूडेंट ने AI से बनाया ऐप


आकाश निषाद
जबलपुर.
मध्यप्रदेश के जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) स्टूडेंट आर्य भगत ने कमाल कर दिखाया हैं. जिन्होंने ऐसा सॉफ्टवेयर बना दिया है, जो अब पुलिस कर्मियों की रियल टाइम लोकेशन बताएगा और अगर वे झूठ बोलेंगे तो उनकी पोल खोलने का काम करेगा. इसको लेकर AI स्टूडेंट आर्य भगत ने एक ऐप तैयार किया है. अक्सर देखा जाता है कि पेट्रोलिंग के दौरान या फिर वायरलेस पर पुलिस कर्मी झूठ बोल दिया करते थे, लेकिन अब उनकी रियल टाइम लोके‍शन रिकॉर्ड होगी.

यह खास सॉफ्टवेयर जबलपुर पुलिस अधीक्षक संपत उपाध्याय ने तैयार कराया है, जिसे इंजीनियरिंग कॉलेज के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विभाग की हेड ऑफ़ डिपार्मेंट आज्ञा मिश्रा और उनकी टीम ने तैयार किया है. खास बात यह है यह पुलिस ट्रैकिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर को जबलपुर पुलिस के मोबाइल पर डाउनलोड कराया जाएगा और जैसे ही मोबाइल में ऐप डाउनलोड होगा. वैसे ही यह सिस्टम एक्टिव हो जाएगा. इसके बाद पुलिस अफसर को अपने पुलिस कर्मियों की हर डिटेल और लोकेशन मिलनी शुरू हो जाएगी.

इस तरह तैयार हुआ हैं एप, जानिए खासियत… 
इंजीनियरिंग कॉलेज के AI स्टूडेंट आर्य भगत ने बताया  यह सॉफ्टवेयर पुलिस विभाग के लिए कारगर साबित होगा. जहां बनाए गए ट्रैकिंग सिस्टम में डैशबोर्ड पर पांच फंक्शन उपलब्ध होंगे. जिसमें लाइव ट्रैकिंग, सिस्टम एक्सेस, यूजर मैनेजमेंट, लोकेशन हिस्ट्री और मॉडर्न AI होगा. सबसे पहले पुलिस कर्मी को सॉफ्टवेयर डाउनलोड करना होगा इसके बाद यूजर नेम और पासवर्ड डालना होगा. यूजरनेम में मोबाइल नंबर या फिर वर्दी का नंबर हो सकता है. जैसे ही यह डिटेल पुलिसकर्मी मोबाइल पर डालेंगे वैसे ही ट्रैकिंग सिस्टम एक्टिव हो जाएगा और पुलिसकर्मी की मॉनिटरिंग होने लगेगी.

मुफ्त में स्टूडेंट ने किया तैयार, लगे एक महीने 
स्टूडेंट्स ने बताया सॉफ्टवेयर को बनाने में करीब एक महीने लगे. जिसमें AI टूल्स का भी इस्तेमाल किया गया. हालांकि इस सॉफ्टवेयर को पुलिस विभाग को मुफ्त में दिया गया हैं. स्टूडेंट का कहना है अक्सर देखने में आता था, पेट्रोलिंग के दौरान कभी किसी जगह घटना हो जाती थी. तब पुलिस देर से पहुंचती थी. ऐसे आरोप लगाते थे, लेकिन अब पुलिस कप्तान हो या फिर एडिशनल एसपी घटनास्थल और नजदीक में खड़े पुलिस कर्मियों को आसानी से देख सकेंगे और फिर गाइड कर सकेंगे. जिससे नजदीक में खड़ा पुलिसकर्मी घटनास्थल तक तुरंत पहुंचेगा.

जबलपुर पुलिस को किया गया  हैंड ओवर, प्रदेश में होगा लागू! 
दूसरी तरफ सॉफ्टवेयर को बनाकर इंजीनियरिंग कॉलेज के स्टूडेंट्स ने जबलपुर पुलिस को हैंड ओवर कर दिया है. जिसे जबलपुर पुलिस जल्द ही लागू कर सकती है. यदि यह सॉफ्टवेयर कारगर साबित हुआ तब प्रदेश के आला अधिकारी हर पुलिस की एक्टिविटी को आसानी से बैठे-बैठे देख सकेंगे और नजर रख सकेंगे. हालांकि यह सॉफ्टवेयर उन पुलिसकर्मियों के लिए खतरे की घंटी हो सकता है, जो आला अफसर से ड्यूटी के दौरान झूठ बोलते थे या फिर अपनी जिम्मेदारियां से बचते थे.

गश्त में आएगी मजबूती, नहीं कर पाएंगे टाइम पास 
अक्सर देखने में आता था पुलिसकर्मी गश्त नहीं करते थे, एक ही जगह में खड़े-खड़े पूरा टाइम गुजार दिया करते थे. लेकिन अब यह सॉफ्टवेयर पुलिस कर्मियों का सारा हिसाब किताब रखेगा. जहां पुलिसकर्मी का डाटा और हिस्ट्री सेव होती चली जाएगी. AI डिपार्टमेंट की हेड ऑफ़ डिपार्मेंट आज्ञा मिश्रा का कहना है. सॉफ्टवेयर के माध्यम से पुलिस कर्मियों को अन्यथा नहीं लेना चाहिए क्योंकि हमारा फर्ज बनता है, हमें जो तनख्वाह मिल रही है, उसका ईमान बना कर रखना है. यदि कोई पुलिस कर्मी ड्यूटी के दौरान कोताही बरतता है, तब आसानी से पकड़ा जा सकेगा. सिस्टम सिर्फ जबलपुर ही नहीं बल्कि पूरे मध्य प्रदेश में लागू होना चाहिए.

इन स्टूडेंटों ने मिलकर तैयार किया है सॉफ्टवेयर 
पुलिस ट्रैकिंग सिस्टम (पीटीएस) सॉफ्टवेयर को आर्य भगत, सुजल साहू, दिनकर दुबे, स्मिता वैद्य और तनीषा साहू ने मिलकर तैयार किया हैं. हालांकि यह सॉफ्टवेयर जबलपुर में लागू नहीं किया गया है. लेकिन जबलपुर पुलिस अब जल्द ही इस सॉफ्टवेयर को लागू करने की तैयारी में है.



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