Last Updated:
आजकल बाजार में बिकने वाला हर लहसुन असली नहीं होता. देखने में भले ही ताज़ा और आकर्षक लगे, लेकिन नकली लहसुन सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. यह न सिर्फ औषधीय गुणों से खाली होता है बल्कि लंबे समय तक खाने से कई बीमारियों का खतरा भी बढ़ा देता है.
भारतीय रसोई की पहचान लहसुन बिना अधूरी मानी जाती है. खाने का स्वाद और दवा दोनों का काम करने वाला यह मसाला अब मिलावट की चपेट में है. बाजार में नकली लहसुन की सप्लाई बढ़ गई है, जो देखने में असली जैसा ही लगता है.

ज्यादातर लोग असली और नकली लहसुन में फर्क नहीं कर पाते और यही वजह है कि वे बाजार में आसानी से ठगे जाते हैं. लोकल 18 को जानकारी देते हुए मंडी अध्यक्ष रामदुलारे कुशवाहा ने कुछ आसान टिप्स बताए, जिससे आप इस धोखे से बच सकते हैं.

असली लहसुन का रंग हल्का पीला या ऑफ-व्हाइट होता है और उसकी बनावट थोड़ी खुरदरी होती है. इसके विपरीत नकली लहसुन बेहद सफेद और चमकदार दिखता है, जिसे छूने पर यह प्लास्टिक जैसा चिकना और अस्वाभाविक नरम महसूस होता है.

खरीदते समय लहसुन का वजन और साइज भी संकेत देते हैं. असली लहसुन का वजन थोड़ा भारी होता है और उसकी कलियां छोटी-मीडियम आकार की होती हैं. जबकि नकली लहसुन हल्का और एक जैसे बड़े आकार की कलियों वाला दिखता है.

लहसुन की गंध उसकी असली पहचान है. असली लहसुन से तीखी और तेज खुशबू आती है जो इसकी शुद्धता का प्रमाण होती है. वहीं नकली लहसुन में या तो गंध नहीं होती या फिर बेहद हल्की और फीकी खुशबू आती है.

असली लहसुन की जड़ों में पतले और नाजुक रेशे बड़ी संख्या में पाए जाते हैं. जबकि नकली लहसुन में रेशे कम, मोटे और सख्त होते हैं. यह एक आसान तरीका है जिसे देखकर हर कोई असली और नकली लहसुन का फर्क कर सकता है.

बाजार में मिलने वाला नकली लहसुन अक्सर चाइनीज गार्लिक के नाम से आता है. इसे तैयार करने में ज्यादा मात्रा में केमिकल और पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल किया जाता है. यही कारण है कि यह दिखने में आकर्षक लेकिन सेहत के लिए हानिकारक साबित होता है.

लहसुन रोज़ाना के खाने का अहम हिस्सा है. इसलिए इसे खरीदते समय थोड़ी सी सतर्कता बहुत जरूरी है. अगर आप रंग, वजन, गंध और रेशों पर ध्यान देंगे तो आसानी से असली और नकली लहसुन में फर्क कर पाएंगे और सेहत के लिए सही चुनाव करेंगे.